प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत MCQ [Free PDF]: प्रश्न उत्तर और व्यख्या
भारतीय इतिहास के स्रोत विभिन्न प्रकार के होते हैं, जो इसके अध्ययन को सुगम बनाते हैं। इन स्रोतों में साहित्यिक, स्थलीय, राजनीतिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक सहित सामाजिक साक्षरता की विविध जानकारी होती है। ये स्रोत पुराने समय से ही भारतीय इतिहास को प्रकट करने में मदद करते हैं। आइये प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत से महत्वपूर्ण MCQ प्रश्न उत्तर पढ़े, समझे और उसका Free PDF डाउनलोड करें।
यहाँ 80 से अधिक प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत MCQ प्रश्न उत्तर उनके व्याख्या के साथ दिए गए हैं, यहाँ दिए गए सभी प्रकार के प्रतियोगी परीक्षाओ (Competetives Exams) जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC, State Police आदि में सहयता करेंगे।
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत MCQ प्रश्न उत्तर और व्यख्या
1. फारस के सुल्तान मिर्जा शाहरुख के राजदूत अब्दुर्रज्जाक (1443-44 ई.) ने किस विजयनगर सम्राट के शासनकाल में विजयनगर की यात्रा की ?
देवराय-I
देवराय-II
कृष्णदेव राय
सदाशिव राय
उत्तर- (B)
व्याख्या :- फारस के सुल्तान मिर्जा शाहरुख के राजदूत अब्दुर्रज्जाक (1443-44 ई.) ने देवराय-II विजयनगर सम्राट के शासनकाल में विजयनगर की यात्रा की।
2. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) की स्थापना कब हुई थी?
1784 ई. में
1800 ई. में
1857 ई. में
1861 ई. में
उत्तर- (D)
व्याख्या :- संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की स्थापना वर्ष 1861 में हुई थी। यह देश की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं पुरातात्विक शोध के क्षेत्र में एक प्रमुख संगठन है।
व्याख्या :- अबु रेहान मुहम्मद बिन अहमद अल-बयरुनी (973-1048) एक फ़ारसी विद्वान लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ तथा विचारक था। ग़ज़नी के महमूद, जिसने भारत पर कई बार आक्रमण किये, के कई अभियानों में वो सुल्तान के साथ था। अलबरुनी को भारतीय इतिहास का पहला जानकार कहा जाता था।
व्याख्या :- इब्न बतूता एक विद्वान अफ़्रीकी यात्री था, जिसका जन्म 24 फ़रवरी 1304 ई. को उत्तर अफ्रीका के मोरक्को प्रदेश के प्रसिद्ध नगर तांजियर में हुआ था।
5. दक्षिण अफ़्रीकी यात्री इब्नबतूता किसके शासनकाल में भारत आया था? [RRB – 2005]
हुमायूँ
अकबर
मुहम्मद बिन तुगलक
अलाउद्दीन खिलजी
उत्तर- (C)
व्याख्या :- इब्नबतूता 1333 ई. में सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ के राज्यकाल में भारत आया। भारत के उत्तर पश्चिम द्वार से प्रवेश करके इब्नबतूता सीधा दिल्ली पहुँचा, जहाँ तुगलक सुल्तान मुहम्मद ने उसका बड़ा आदर सत्कार किया और उसे राजधानी का काजी नियुक्त किया।
6. ‘भारतीय पुरातत्व का जनक” (The Father of Indian Archaeology) किसे कहा जाता है? [MPSC – 2017]
अलेक्जेंडर कनिंघम
जेम्स प्रिंसेप
जॉन मार्शल
मार्टिमर ह्वीलर
उत्तर- (A)
व्याख्या :- सर अलेक्ज़ैंडर कनिंघम को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग का जनक माना जाता है। सर अलेक्ज़ैंडर कनिंघम ब्रिटिश सेना के बंगाल इंजीनियर ग्रुप में इंजीनियर थे जो बाद में भारतीय पुरातत्व, ऐतिहासिक भूगोल तथा इतिहास के प्रसिद्ध विद्वान् के रूप में प्रसिद्ध हुए।
7. हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की पुरातात्विक खुदाई के प्रभारी थे- [RAS/RTS – 1998]
लाई मैकाले
सर जान मार्शल
लाई क्लाइव
कर्नल टाड
उत्तर- (B)
व्याख्या :- सर जॉन हुबर्ट मार्शल (19 मार्च 1876, चेस्टर, इंग्लैण्ड – 17 अगस्त 1958, गिल्डफोर्ड, इंग्लैण्ड) 1902 से 1928 तक भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक थे।
8. अशोक के शिलालेखों को पढ़ने वाला प्रथम अंग्रेज कौन था? [CGPCS – 2003, BPSC – 2008, SSC – 2012]
जॉन टॉवर
हैरी स्मिथ
चार्ल्स मेटकॉफ
जेम्स प्रिंसेप
उत्तर- (D)
व्याख्या :- इन शिलालेखों की खोज सबसे पहले 1750 में फेंथलर ने की थी और सबसे पहले 1837 में इसको जेम्स प्रिंसेप ने इन शिलालेखों को पढ़ा था।
9. निम्नलिखित विद्वानों में से हड़प्पा सभ्यता का सर्वप्रथम खोजकर्ता कौन था ? [SSC – 1999]
सर जॉन मार्शल
आर. डी. बनर्जी
ए. कनिंघम
दयाराम सहनी
उत्तर- (D)
व्याख्या :- सन हड़प्पा सभ्यता की सर्वप्रथम खोज 1921 ई0 में दयाराम साहनी और माधव स्वरूप वत्स द्वारा किया गया। हड़प्पा सभ्यता की खोज प्रथम स्थली हड़प्पा है, जो मोंटगोमरी जिला के पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान में) राज्य में अवस्थित है। सर जॉन मार्शल के निर्देशन में हड़प्पा सभ्यता का उत्खनन कार्य शुरू हुआ।
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत MCQ notes और व्यख्या
10. हड़प्पा सभ्यता की खोज किस वर्ष में हुई? [SSC – 2004]
1901 ई.
1921 ई.
1935 ई.
1942 ई.
उत्तर- (B)
व्याख्या :- हड़प्पा सभ्यता की सर्वप्रथम खोज सन 1921 ई0 में दयाराम साहनी और माधव स्वरूप वत्स द्वारा किया गया। हड़प्पा सभ्यता की खोज प्रथम स्थली हड़प्पा है, जो मोंटगोमरी जिला के पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान में) राज्य में अवस्थित है। सर जॉन मार्शल के निर्देशन में हड़प्पा सभ्यता का उत्खनन कार्य शुरू हुआ।
11. सिंधु घाटी सभ्यता को खोज निकालने में जिन दो भारतीय का नाम जुड़ा है, वे हैं? [CGPCS – 2003]
दयाराम साहनी एवं राखालदास बनर्जी
जॉन मार्शल एवं ईश्वरी प्रसाद
आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव एवं रंगनाथ राव
माधोस्वरूप वत्स एवं वी० बी० राव
उत्तर- (A)
व्याख्या :- सिंधु घाटी सभ्यता को खोज निकालने में जिन दो भारतीयों का नाम जुड़ा है ,वे हैं. राखालदास बनर्जी तथा दयाराम सहानी।
12. अशोक के अधिकांश अभिलेख किस भाषा व लिपि में है?
प्राकृत व ब्राह्मी
संस्कृत व ब्राह्मी
पालि व ब्राह्मी
हिन्दी व ब्राह्मी
उत्तर- (A)
व्याख्या :- अशोक के अधिकांश अभिलेख तीन भाषाओं में लिखे गए हैं – प्राकृत, यूनानी और आरामाईक। प्राकृत शिलालेख मुख्य रूप से खरोष्ठी और ब्राह्मी लिपियों में लिखे गए हैं।
13. कहाँ से अशोक के द्विभाषाई (ग्रीक एवं आरमाइक) अभिलेख प्राप्त हुए हैं?
शर-ए-कुना (कंधार)
मनसेहरा
काल्सी
कलिंग
उत्तर- (A)
व्याख्या :- कान्धार में प्राप्त सम्राट अशोक का द्विभाषी शिलालेख जिसमें ग्रीक और अरामी में सन्देश उत्कीर्ण किया हुआ है।
14. अशोक के मानसेहरा (पाकिस्तान) एवं शाहबाजगढ़ी (पाकिस्तान) से प्राप्त शिलालेख में किस लिपि का प्रयोग किया गया है? [CGPCS – 2012]
खरोष्ठी
संस्कृत
तमिल
यूनानी
उत्तर- (A)
व्याख्या :- मानसेहरा की तरह शाहबाजगढ़ी की प्रतिलिपियाँ खरोष्ठी लिपि में खुदी हैं, जो दाहिनी से बाईं ओर लिखी जाती है, शेष पाँचो स्थानों की प्रतिलिपियाँ ब्राह्मी लिपि में हैं। यह पहाड़ी पेशावर से 40 मील उत्तरपूर्व है।
व्याख्या :- मुद्राशास्त्र (Numismatics) सिक्कों, कागजी मुद्रा आदि के संग्रह एवं उसके अध्ययन का विज्ञान है। मुद्राशास्त्र इतिहास और संस्कृति को जानने का सर्वाधिक विश्वनीय और दिलचस्प माध्यम है। मुद्राओं की धातु, शिल्प और प्रतीकों के माध्यम से उनका काल और मूल्य निर्धारण किया जाता है तथा उनके सूक्ष्म अध्ययन से उस समय के समाज की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अवस्था को जाना जा सकता है। यह एक छंद भी है।
16. एशिया माइनर स्थित बोगाज कोई का महत्व इसलिए है कि – [BPSC – 1994, NET/JRF – 2012]
वहाँ से जो अभिलेख पाप्त हुए हैं, उनमें चार वैदिक देवताओं – इन्द्र, वरुण, मित्र व नासत्य, – का उल्लेख मिलता है
मध्य एशिया व तिब्बत के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र था
वेद के मूल ग्रंथ की रचना यहीं हुई थी
इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (A)
व्याख्या :- एशिया माइनर स्थित बोगाजकोई का महत्व इसलिए है, की वहां जो अभिलेख प्राप्त हुए हैं, उनमें 4 वैदिक देवताओं- इंद्र, वरुण, मित्र, नासत्य का उल्लेख मिलता है। इसलिए उपरोक्त सभी विकल्पों में ऑप्शन (a) का उत्तर सही होगा।
17. प्राचीन भारत में कौन-सी एक लिपि दायीं से बायीं ओर लिखी जाती थी? [UPSC – 1997]
ब्राह्मी
नंदनागरी
शारदा
खरोष्ठी
उत्तर- (D)
व्याख्या :- खरोष्ठी लिपि दायीं ओर से बायीं ओर लिखी जाती थी। शेष लिपियां बायीं से दायीं ओर लिखी जाती हैं। शारदा का विकास ब्राह्मी से ही हुआ है।
18. हेलियोडोरस का बेसनगर अभिलेख संदर्भित है – [UPPCS- 1999]
संकर्षण तथा वासुदेव से
संकर्षण तथा प्रद्युम्न से
संकर्षण, प्रद्युम्न तथा वासुदेव से
केवल वासुदेव से
उत्तर- (D)
व्याख्या :- हेलियोडोरस का बेसनगर अभिलेख केवल वासुदेव का उल्लेख होता है। शुंग वंश का नवां शासक भागभद्र था। उसके शासनकाल के 14वें वर्ष में तक्षशिला के यवन नरेश एन्टियालकीड्स का राजदूत हेलियोडोरस, उसके विदिशा स्थित दरबार में उपस्थित हुआ। उसने भागवत धर्म ग्रहण कर लिया तथा विदिशा (बेसनगर) में गरुड़ स्तम्भ की स्थापना कर भगवान विष्णु की पूजा की।
19. निम्नलिखित में से कौन-सा अभिलेख कलिंग नरेश खारवेल से संबंधित है?
हाथीगुफ्फा
जूनागढ़
नानाघाट
नासिक
उत्तर- (A)
व्याख्या :- खारवेल कलिंग के तीसरे राजवंश चेदिवंश का शासक था। खारवेल को ऐरा, महामेघवाहन एवं कलिंगाधिपति भी कहा गया है। इतिहासकार के.पी. जायसवाल ने मेघवंश राजाओं को चेदिवंश का माना है। उनके अनुसार ये लोग उड़ीसा तथा कलिंग के उन्हीं चेदियों के वंशज थे जो खारवेल के वंश थे और अपने साम्राज्यकाल में ‘महामेघ’ कहलाते थे।
20. सर्वप्रथम भारत में विशुद्ध संस्कृत भाषा में लम्बा अभिलेख किस राजा द्वारा जारी किया गया?
यवन राजा मिनाण्डर द्वारा
शक क्षत्रप रूद्रदमन द्वारा
पार्थव राजा गोंदोफिर्निस द्वारा
कुषाण राजा कनिष्क द्वारा
उत्तर- (B)
व्याख्या :- रुद्रदामन एक महान विजेता होने के साथ-साथ एक उच्च कोटि का विद्वान भी था। उसने सबसे पहले विशुद्ध संस्कृत भाषा में लम्बा अभिलेख ( जूनागढ़ अभिलेख ) जारी किया। उसके समय में उज्जैनी शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था।
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत MCQ और विवरण
21. मेहरौली (दिल्ली) स्थित लौह-स्तम्भ का निर्माण किस सदी में हुआ? [NDA – 1998]
द्वितीय सदी ई.
तृतीय सदी ई.
चतुर्थ सदी ई.
सप्तम सदी ई.
उत्तर- (C)
व्याख्या :- मेहरौली (दिल्ली) स्थित लौह-स्तम्भ चौथी सदी में बना था। यह कुतुबमीनार के पास स्थित है। इसमें चन्द्र का उल्लेख हुआ है। विद्वानों द्वारा इसे चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा स्थापित माना जाता है। मेहरौली स्तंभ लगभग 1600 वर्षो बाद भी अपनी चमक बरकरार रखे हुए है। यह उत्कृष्ट गुणवत्ता की इस्पात के कारण संभव हो सका है।
22. दिल्ली के महरौली कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के प्रांगण में स्थित प्रसिद्ध लौह-स्तम्भ किसकी स्मृति में है? [UPPCS – 2005]
अशोक
चन्द्र
हर्ष
अनंगपाल
उत्तर- (B)
व्याख्या :- मेहरौली (दिल्ली) स्थित लौह-स्तम्भ चौथी सदी में बना था। यह कुतुबमीनार के पास स्थित है। इसमें चन्द्र का उल्लेख हुआ है। विद्वानों द्वारा इसे चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा स्थापित माना जाता है।
23. सती-प्रथा का पहला पुरातात्विक उल्लेख कहाँ मिलता है?
भीतरगांव लेख से
विलसद स्तंभ लेख से
एरण अभिलेख से
भितरी स्तंभ लेख से
उत्तर- (C)
व्याख्या :- सती प्रथा का पहला अभिलेखीय साक्ष्य 510 ई. एरण अभिलेख में मिलता है।
24. काव्य-शैली का प्राचीनतम नमूना किसके अभिलेख में मिलता है? [UPPCS – 1997]
रूद्रदमन के
अशोक के
राजेन्द्र-I के
इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (A)
व्याख्या :- रूद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेख अपनी शैली की रोचकता, भाव-प्रवणता एवं हृदयावर्जन के लिए प्रसिद्ध है। वस्तुत: वह एक छोटा गद्य-काव्य है। विशुद्ध संस्कृत में लिखा हुआ उसका यह लेख प्राचीनतम अभिलेख माना जाता है। यह गिरनार जिले में शक संवत 72 (150 ई.) में उत्कीर्ण किया गया।
25. निम्नलिखित में से किस अभिलेख में चन्द्रगुप्त मौर्य और अशोक दोनों का उल्लेख किया गया है? [UPPCS (LS) 2008]
गौतमीपुत्र शातकर्णी का नासिक अभिलेख
महाक्षत्रप रुद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेख
अशोक का गिरनार अभिलेख
स्कंदगुप्त का जूनागढ़ अभिलेख
उत्तर- (B)
व्याख्या :- महाक्षत्रप रुद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेख में चन्द्रगुप्त मौर्य और अशोक दोनों का उल्लेख किया गया है।
26. समुद्रगुप्त की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन किस अभिलेख में उपलब्ध है? [UPPCS – 2002, BPSC – 2008]
एरण के
गया के
नालंदा के
प्रयाग के
उत्तर- (D)
व्याख्या :- समुद्रगुप्त, गुप्त राजवंश के चौथे शासक थे, और उनका वर्णन प्रयाग में अशोक मौर्य के स्तंभ पर विशद रूप में खुदा हुआ है।
27. प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख का लेखक हरिषेण किस शासक का दरबारी कवि था?
समुद्रगुप्त
अशोक
कनिष्क
चन्द्रगुप्त – II
उत्तर- (A)
व्याख्या :- हरिषेण चौथी शताब्दी के संस्कृत कवि और मन्त्री थे। वे समुद्रगुप्त की राजसभा के एक महत्वपूर्ण सभासद थे। 345 ई में रचित उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध कृति प्रयाग प्रशस्ति है जिसमें समुद्रगुप्त की वीरता का वर्णन है। यह एक महान कवि थे।
28. एरण अभिलेख का संबंध किस शासक से है? [RRB ASM/GG 2005]
ब्रह्मगुप्त
चन्द्रगुप्त I
चन्द्रगुप्त II
भानुगुप्त
उत्तर- (D)
व्याख्या :- एरण नामक ऐतिहासिक स्थान मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित है। प्राचीन सिक्कों पर इसका नाम ऐरिकिण लिखा है। एरण से एक अन्य अभिलेख भी प्राप्त हुआ था जो लगभग 510 ईसवी का माना जा रहा है। इसे भानुगुप्त का अभिलेख कहते हैं। यह अभिलेख भानुगुप्त के मंत्री गोपराज के बारे में है, माना यह जाता है कि भानुगुप्त के मंत्री गोपराज उनके साथ युद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे जिससे गोपराज की पत्नी सती हो गई थी। इसी वजह से इस अभिलेख को एरण का सती अभिलेख भी कहा जाता है।
29. ऐहोल प्रशस्ति व रचयिता रविकीर्ति किस चालुक्य शासक का दरबारी कवि था?
पुलकेशिन – I
पुलकेशिन – II
विक्रमादित्य – I
विक्रमादित्य – II
उत्तर- (B)
व्याख्या :- ऐहोले से चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय का 634 ई. का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह प्रशस्ति के रूप में है और संस्कृत काव्य परम्परा में लिखा गया है। इसके रचयिता जैन कवि रविकीर्ति थे। इस अभिलेख में पुलकेशी द्वितीय की विजयों का वर्णन है।
30. हर्ष एवं पुलकेशिन-II के मध्य हुए संघर्ष की जानकारी कहाँ से मिलती है?
ऐहोल अभिलेख से
बंसखेड़ा अभिलेख से
हाथीगुफा अभिलेख से
ह्वेन त्सांग के वर्णन से
उत्तर- (A)
व्याख्या :- अभिलेख में पुलकेशी द्वितीय के हाथों हर्षवर्धन की पराजय के बारे में जानकारी मिलती है। यह अनुमान लगाया जा सकता है कि हर्ष और पुलकेशी के मध्य युद्ध 630 और 634ई0 के बीच हुआ था।
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31. भारत में सिक्कों का प्रचलन कब आरंभ हुआ?
600 ई. पू. में
300 ई. पू. में
कनिष्क के शासनकाल में
हर्षवर्द्धन के शासनकाल में
उत्तर- (A)
व्याख्या :- भारत में सिक्कों का प्रचलन 600 ई. पू. में आरंभ हुआ।
32. भारत में प्राचीनतम मुद्रा माना जाता है?
आहत सिक्के
इंडो-बैक्ट्रियन सिक्के
सीथियन सिक्के
पार्थियन सिक्के
उत्तर- (A)
व्याख्या :- प्राचीन भारतीय मुद्रा फूटी कौड़ी से कौड़ी, कौड़ी से दमड़ी, दमड़ी से धेला, धेला से पाई, पाई से पैसा, पैसा से आना, आना से रुपया बना। अगर किसी के पास 256 दमड़ी होती थी तो वह 192 पाई के बराबर होती थी। इसी तरह 128 धेला, 64 पैसे, व 16 आना 1 रुपये के बराबर होता था।
33. भारत में सर्वप्रथम स्वर्ण-मुद्राएँ किसने चलाई? [SSC – 2001, 2002]
कुषाण
इंडो-बैक्ट्रियन
शक
गुप्त
उत्तर- (B)
34. कवि कालिदास के नाम का उल्लेख किस लेख में हुआ है? [UPSC – 1994]
इलाहाबाद स्तम्भ लेख में
ऐहोल के उत्कीर्ण लेख में
अलापाडू दान लेख में
हनुमकोंडा उत्कीर्ण लेख में
उत्तर- (B)
व्याख्या :- छठीं सदी ईसवी में बाणभट्ट ने अपनी रचना हर्षचरितम् में कालिदास का उल्लेख किया है तथा इसी काल के पुलकेशिन द्वितीय के एहोल अभिलेख में कालिदास का जिक्र है अतः वे इनके बाद के नहीं हो सकते।
35. अभिलेखों को ऐतिहासिक प्राक्कथन के साथ प्रारंभ करने की परम्परा का सूत्रपात किसने किया?
परान्तक -I
राजराजा – I
राजेन्द्र – I
इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (B)
व्याख्या :- अभिलेखों को ऐतिहासिक प्राक्कथन के साथ प्रारंभ करने की परम्परा का सूत्रपात राजराजा – प्रथम ने किया। राजराज प्रथम (985-1014 ई.) अथवा अरिमोलिवर्मन परान्तक द्वितीय का पुत्र एवं उत्तराधिकारी, परान्तक द्वितीय के बाद चोल राजवंश के सिंहासन पर बैठा। उसके शासन के 30 वर्ष चोल साम्राज्य के सर्वाधिक गौरवशाली वर्ष थे। उसने अपने पितामह परान्तक प्रथम की ‘लौह एवं रक्त की नीति’ का पालन करते हुए ‘राजराज’ की उपाधि ग्रहण की।
36. कहाँ से प्राप्त अभिलेख में ‘महासभा’ की कार्य प्रणाली के विषय में विस्तृत जानकारी मिलती है?
उत्तरमेरुर
तंजौर
मणिमंगलम
इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (A)
व्याख्या :- उत्तिरमेरूर से पल्लव एवं चोल काल के लगभग दो सौ अभिलेख मिले हैं। इन अभिलेखों से परिज्ञात होता है कि पल्लव एवं चोल शासन के अन्तर्गत ग्राम अधिकतम स्वायत्तता का उपभोग करते थे। 10वीं शताब्दी का एक लेख आज भी एक मन्दिर की दीवार पर ख़ुदा है, जो यह बताता है कि चोल शासन के अन्तर्गत स्थानीय ‘सभा’ किस प्रकार कार्य करती थी।
37. निम्नलिखित में किसने सोने के सर्वाधिक शुद्ध सिक्के जारी किए?
कुषाण
इंडो-बैक्ट्रियन
शक
गुप्त
उत्तर- (A)
व्याख्या :- शुद्ध सोने के सिक्के सबसे पहले कुषाण शासक कनिष्क द्वारा चलाये गए।
38. निम्नलिखित में से किस स्थल में रोमन सिक्के मिलें हैं?
दिल्ली
आगरा
जयपुर
अरिकमेडू
उत्तर- (B)
व्याख्या :- अरिकमेडु (Arikamedu) भारत के पुदुचेरी केन्द्र-शासित प्रदेश के अरियांकुप्पम कोम्यून के काक्कायनतोपे गाँव में स्थित एक पुरातत्व स्थल है। यह पुदुचेरी नगर से लगभग 4 किलोमीटर (2.5 मील) दूर और गिंगी नदी के किनारे स्थित है। प्राचीन काल में यह भारत और रोम व यूनान के बीच व्यापार का एक केन्द्र हुआ करता था और यहाँ उस काल के कई रोमन और यूनानी अवशेष व वस्तुएँ मिली हैं।
39. भीमबेटका किसके लिए प्रसिद्ध है? [MPPSC 2003]
गुफाओं के शैलचित्र
खनिज
बौद्ध प्रतिमाएं
सोन नदी का उद्गम स्थल
उत्तर- (A)
व्याख्या :- भीमबेटका की गुफाएं मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में हैं। ये पाषाणी आश्रय मध्य भारतीय पठार के दक्षिणी छोर पर विंध्य पर्वतमाला के तलहटी में हैं। डॉ. वी.एस. वाकाणकर (प्रख्यात पुरातत्वविदों में से एक), ने 1958 में इन गुफाओं की खोज की थी। ‘भीमबेटका’ शब्द, ‘भीम बाटिका’ से बना है। इन गुफाओं का नाम महाभारत के पांच पांडवों में से एक ‘भीम’ के नाम पर रखा गया है। भीमबेटका का अर्थ है– भीम के बैठने का स्थान।
40. प्राचीन काल में भारत के लोग वर्मा को किस नाम से जानते थे? [UPSC – 1992]
सुवर्णभूमि
सुवर्णद्वीप
यवद्वीप
प्रलयमंडलम
उत्तर- (A)
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41. अंकोरवाट कहाँ स्थित है? [RRB ASM/GG2004. CgPSC 2012]
वियतनाम
तिब्बत
इंडोनेशिया
कम्बोडिया
उत्तर- (D)
व्याख्या :- अंकोरवाट कंबोडिया में एक मंदिर परिसर और दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है, 162.6 हेक्टेयर (1,626,000 वर्ग मीटर; 402 एकड़) को मापने वाले एक साइट पर। यह मूल रूप से खमेर साम्राज्य के लिए भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था, जो धीरे-धीरे 12 वीं शताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया था। यह कंबोडिया के अंकोर में है जिसका पुराना नाम ‘यशोधरपुर’ था। इसका निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय (1112-53ई.) के शासनकाल में हुआ था।
42. सातवाहनों के समय में मुद्रा सर्वाधिक किस धातु के बने?
सीसा
पोटीन
तांबा
स्वर्ण
उत्तर- (A)
व्याख्या :- सातवाहनों के समय में मुद्रा सर्वाधिक सीसा धातु के बने।
43. निम्नलिखित में किसने बड़े पैमाने पर स्वर्ण-मुद्राएँ चलाई थी- [RRB – 2006]
ग्रीक वासियों ने
मौर्यों ने
कुषाण शासकों ने
शुंगो ने
उत्तर- (C)
व्याख्या :- कुषाण शासकों ने बड़े पैमाने पर स्वर्ण-मुद्राएँ चलाई थी। कुषाण प्राचीन भारत के राजवंशों में से एक था। कुछ इतिहासकार इस वंश को चीन से आए युएझ़ी लोगों के मूल का मानते हैं।
44. सोने के सर्वाधिक सिक्के किस काल में जारी किए गए?
कुषाण काल में
गुप्त काल में
मौर्य काल में
हिन्द-यवन काल में
उत्तर- (B)
व्याख्या :- गुप्तों ने सबसे अधिक संख्या में सोने के सिक्के जारी किए और इसलिए, बहुत से इतिहासकार इस अवधि को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग मानते हैं।
45. प्लिनी की मूल कृति ‘नेचुरल हिस्ट्री’ किस भाषा में रचित है? [NET/JRF – 2005]
ग्रीक
लैटिन
फ्रेंच
इंग्लिश
उत्तर- (B)
व्याख्या :- प्लिनी की मूल कृति ‘नेचुरल हिस्ट्री’ लैटिन भाषा में रचित है।
46. रबातक अभिलेख संबंधित है- [UPPCS – 2017]
अशोक से
रूद्रदमन से
कनिष्क से
समुद्रगुप्त से
उत्तर- (C)
व्याख्या :- रबातक शिलालेख अफ़ग़ानिस्तान के बग़लान प्रान्त में सुर्ख़ कोतल के पास स्थित रबातक नामक पुरातन स्थल पर एक शिला पर बाख़्तरी भाषा और यूनानी लिपि में कुषाण वंश के प्रसिद्ध सम्राट कनिष्क के वंश के बारे में एक 23 पंक्तियों का लेख है।
47. ‘भारतवर्ष’ के लिए ‘इण्डिया’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था? [UPPCS – 2017]
हेरोडोटस
मेगस्थनीज
स्ट्रैबो
एरियन
उत्तर- (A)
व्याख्या :- ग्रीक इतिहासकार हेरोडोटस ने सर्वप्रथम भारत के लिए इंडिया शब्द का प्रयोग किया था। ये नाम इंडस नदी ( सिंधु नदी) के नाम पर था।
48. ‘चचनामा” सिंध का इतिहास है और मूल रूप में किस भाषा में लिखा गया है? [NET/JRF – 2011]
फ़ारसी
हेब्रू
अरबी
संस्कृत
उत्तर- (C)
व्याख्या :- चचनामा सिन्ध के इतिहास से सम्बन्धित एक पुस्तक है। इसमें चच राजवंश के इतिहास तथा अरबों द्वारा सिंध विजय का वर्णन किया गया है। इस पुस्तक को ‘फतहनामा सिन्ध’, तथा ‘तारीख़ अल-हिन्द वस-सिन्द’ भी कहते हैं।
49. भारत में सांस्कृतिक इतिहास के संदर्भ में इतिवृतों, राजवंशीय इतिहासों तथा वीर गाथाओं को कंठस्थ करना निम्नलिखित में किसका व्यवसाय था? [UPSC – 2016]
श्रमण
परिव्राजक
अग्रहारिक
मागध
उत्तर- (D)
प्राचीन भारतीय इतिहास के श्रोत वस्तुनिष्ट प्रश्न उत्तर
50. चीनी यात्री ‘सुंगयुन’ ने भारत यात्रा की थी- [BPSC – 2017]
518 ई. से 522 ई.
525 ई. से 529 ई.
545 ई. से 552 ई.
592 ई. से 597 ई.
उत्तर- (A)
व्याख्या :- चीनी यात्री ‘सुंगयुन’ ने 518 ई. से 522 ई. में भारत यात्रा की थी। सोंग युन एक ‘चीनी बौद्ध भिक्षु’ थे।
51. महाभारत युद्ध के लिए 3101 ई. पू. तिथि का उल्लेख निम्नलिखित में से किस अभिलेख में हुआ है? [NET/JRF, 2015]
पुलकेशिन – II का ऐहोल अभिलेख
रूद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेख
226 ई. का नन्दसा अभिलेख
238 ई. का बड़वा अभिलेख
उत्तर- (A)
52. किसने ब्राह्मी एवं खरोष्ठी लिपियों को उद्वाचित किया? [CDS – 2018]
पियदस्सी
कोलिन मैकेंजी
अलेक्जेंडर कनिंघम
जेम्स प्रिंसेप
उत्तर- (D)
व्याख्या :- जेम्स प्रिंसेप ईस्ट इण्डिया कम्पनी में एक अधिकारी के पद पर नियुक्त थे। उन्होंने 1838 ई. में सर्वप्रथम ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों को पढ़ने में सफलता प्राप्त की। इन लिपियों का उपयोग सबसे आरम्भिक अभिलेखों और सिक्कों में किया गया है।
53. निम्नलिखित में से प्राचीन भारत की कौन-सी लिपि दाहिने से बाई ओर लिखी जाती थी? [BPSC – 2019]
ब्राह्मी
शारदा
खरोष्ठी
नंदनागरी
उत्तर- (C)
व्याख्या :- सिंधु घाटी की चित्रलिपि को छोड़ कर, खरोष्ठी भारत की दो प्राचीनतम लिपियों में से एक है। यह दाएँ से बाएँ को लिखी जाती थी।
54. मेगस्थनीज के पुस्तक का नाम क्या है? [BPSC-2005]
अर्थशास्त्र
ऋग्वेद
पुराण
इंडिका
उत्तर- (D)
व्याख्या :- इंडिका ग्रीक लेखक मेगस्थनीज द्वारा मौर्यकालीन भारत का एक लेख है। यह मूल रूप से प्राप्त नहीं हुई है परन्तु इसके कुछ भाग परवर्ती लेखकों के ग्रंथों से प्राप्त हुए है इनमें डियोडोरस, सुकीलस , स्ट्रैबो ( जियोग्राफिका ), प्लिनी और एरियन ( इंडिका ), प्लूटार्क, जस्टिन के नाम उल्लेखनीय है।
55. ‘ज्योग्राफिया’ की रचना किसने की?
हेरोडोटस
मेगस्थनीज
स्ट्रैबो
प्लिनी
उत्तर- (C)
व्याख्या :- स्ट्रेबो (Strabo) यूनानी भूगोलवेत्ता तथा इतिहासकार था। उनका जन्म एशिया माइनर के अमासिया स्थान में ईसा से लगभग 63 वर्ष पूर्व हुआ था। स्ट्रेबो ने अनेक यात्राएँ कीं किंतु जब 19 ई. में मरे तो रोम में रहते थे। स्ट्रेबो का 17 खंडों में लिखा हुआ ‘ज्योग्रैफ़िका’ सुरक्षित है, जो यूरोप, एशिया तथा अफ्रीका के भूगोल से संबंधित है। यह बड़ा महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
56. फाह्यान किसके शासनकाल में भारत आया था? [NDA – 2003]
चन्द्रगुप्त-I
अशोक
हर्षवर्धन
चन्द्रगुप्त-II
उत्तर- (D)
व्याख्या :- फाहियान एक चीनी यात्री था जो चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में भारत आया था। वो 399 ईसवी से लेकर 412 ईसवी तक भारत मे रहा
57. हर्षवर्द्धन के समय में कौन-सा चीनी यात्री भारत आया था? [SSC – 2001, RRB – 2004]
फाह्यान
इत्सिंग
मेगस्थनीज
ह्वेन त्सांग
उत्तर- (D)
व्याख्या :- ह्वेनसांग एक चीनी यात्री था जो हर्ष के समय भारत आया। वो यहाँ गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का अध्ययन करने के लिए आया था। उसने नालंदा विश्वविद्यालय में पहले छात्र फिर शिक्षक के रूप में कार्य किया।
58. प्लिनी की पुस्तक का नाम है-
हिस्ट्रीज
नेचुरलिस हिस्टोरिया
ज्योग्राफिया
ज्योग्राफी
उत्तर- (B)
व्याख्या :- प्लिनी (प्रथम शताब्दी) अथवा गुइस प्लिनस जो कि प्लिनी द एल्डर के रूप में अधिक विख्यात है, एक प्रमुख रोमन भूगोलवेत्ता था। इसके ग्रंथों से भारत के बारे में काफ़ी सूचनाएँ प्राप्त होती हैं, विशेषकर नेचुरल हिस्ट्री नामक ग्रन्थ से।
59. ‘पेरिप्लस ऑफ एरिथ्रियन सी’ की रचना किसने की?
हेरोडोटस ने
मेगस्थनीज ने
स्ट्रैबो ने
अज्ञातनामा यूनानी लेखक ने
उत्तर- (D)
व्याख्या :- ‘पेरिप्लस ऑफ एरिथ्रियन सी’ की रचना किसी अज्ञात यूनानी लेखक ने की थी। जिसमें भारत व रोमन के बीच में होने वाले व्यापार का विस्तृत वर्णन है।
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60. फाह्यान कहाँ का निवासी था?
भूटान
अमेरिका
चीन
वर्मा
उत्तर- (C)
व्याख्या :- फाहियान एक चीनी यात्री था जो चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में भारत आया था। वो 399 ईसवी से लेकर 412 ईसवी तक भारत मे रहा
61. 9 वीं सदी में भारत आये अरब यात्री सुलेमान ने किस साम्राज्य को ‘रूहमा’ कहकर संबोधित किया?
पाल
प्रतिहार
राष्ट्रकूट
सेन
उत्तर- (A)
व्याख्या :- 9 वीं सदी में भारत आये अरब यात्री सुलेमान ने पाल साम्राज्य को ‘रूहमा’ कहकर संबोधित किया। अरब यात्री सुलेमान ने भारत भ्रमण के दौरान लिखी पुस्तक सिलसिलीउत तुआरीख 851 ईस्वीं में सम्राट मिहिरभोज को इस्लाम का सबसे बड़ा शत्रु बताया है, साथ ही मिहिरभोज प्रतिहार की महान सेना की तारीफ भी की है, साथ ही मिहिरभोज के राज्य की सीमाएं दक्षिण में राजकूटों के राज्य, पूर्व में बंगाल के पाल शासक और पश्चिम में मुलतान के शासकों की सीमाओं को छूती हुई बतायी है।
62. बीते हुए युगों की घटनाओं के संबंध में जानकारी देने वाले स्त्रोतों को कहा जाता है-
ऐतिहासिक स्त्रोत
भौगोलिक स्त्रोत
सामाजिक स्त्रोत
राजनैतिक स्त्रोत
उत्तर- (A)
व्याख्या :- बीते हुए युगों की घटनाओं के संबंध में जानकारी देने वाले साधनों (स्रोतों) को ऐतिहासिक स्रोत (Historical Sources) कहा जाता है।
63. ‘मिलिंदपन्हो’ (मिलिंद के प्रश्न) राजा मिलिंद और किस बौद्ध भिक्षु के मध्य संवाद के रूप में है? [UPSC – 1997, NET/JRF – 2006]
नागसेन
नागार्जुन
नागभट्ट
कुमारिल भट्ट
उत्तर- (A)
व्याख्या :- मिलिंदपन्हो एक पाली भाषा में रचित एक बौद्ध ग्रंथ है जिसकी रचना काल 100 ईसा पूर्व है। इसमें बौद्ध भिक्षु नाग सेन तथा भारत यूनानी शासक मिलिंद के बीच हुए वार्तालाप का वर्णन है। भारत की ओर से बौद्ध भिक्षुक नागसेन तथा मिलिंदपन्हो राजा मिलिंद के बीच संवाद है।
64. निम्नलिखित में से किसकी तुलना मैकि यावेली के ‘प्रिंस’ से की जा सकती है?
[UPPCS – 1994]
कालिदास का ‘मालविकाग्निमित्र’
कौटिल्य का ‘अर्थशास्त्र’
वात्स्यायन का ‘कामसूत्र’
तिरुवल्लूवर का ‘तिरुवकुरल’
उत्तर- (B)
व्याख्या :- अर्थशास्त्र की तुलना ‘मैकियावेली के प्रिंस’ से की जाती है।
65. कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में किस पहलू पर प्रकाश डाला गया है? [BPSC – 2002]
आर्थिक जीवन
राजनीतिक नीतियाँ
धार्मिक जीवन
सामजिक जीवन
उत्तर- (B)
व्याख्या :- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में ‘राजनीतिक नीतियों’ (Political Policies) के पहलू पर प्रकाश डाला गया है।
66. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? [SSC – 1999]
साहित्यिक स्त्रोत की तुलना में पुरातात्विक स्रोत अधिक प्रामाणिक होते हैं।
पुरातात्विक स्रोत की तुलना में साहित्यिक स्रोत अधिक प्रमाणिक है।
साहित्यिक स्रोत एवं पुरातात्विक स्रोत दोनों एकसमान प्रमाणिक होते हैं।
साहित्यिक स्रोत की तुलना पुरातात्विक स्रोत से नहीं की जा सकती।
उत्तर- (A)
व्याख्या :- इतिहास की जानकारी के लिए पुरातात्विक स्त्रोतों का अधिक महत्व है, क्योकि साहित्यिक स्रोतों की तुलना में इनसे प्राप्त जानकारी अधिक विश्वसनीय, प्रामाणिक एवं दोषरहित मानी जाती है। इसके दो कारण है, प्रथम पुरातात्विक अवशेष समसामयिक एवं प्रामाणिक दस्तावेज होते हैं। द्वितीय, साहित्यिक स्रोतों की तुलना में इनमें अतिरंजना का अभाव होता है तथा ये काल विशेष के दोषरहित एवं पारदर्शी दस्तावेज होते हैं।
67. किस वेद में प्राचीन वैदिक युग की संस्कृति के बारे में सूचना दी गई है? [SSC – 1999]
ऋग्वेद
यजुर्वेद
सामवेद
अथर्ववेद
उत्तर- (A)
व्याख्या :- ऋग्वेद में प्राचीन वैदिक युग की संस्कृति के बारे में सूचना दी गई है। वैदिक सभ्यता ही हिन्दू सभ्यता है। इस काल की जानकारी हमे मुख्यत: वैदिक साहित्य से प्राप्त होती है, जिसमे ऋग्वेद सर्वप्राचीन होने के कारण सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
68. निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रंथ श्रुति ग्रंथ का अंग नहीं माना जाता है?
संहिता
ब्राह्मण
उपनिषद
पुराण
उत्तर- (D)
व्याख्या :- पुराण वेदों का हिस्सा नहीं हैं। वे उत्तर-वैदिक साहित्य हैं जो ब्रह्मांड विज्ञान, भूगोल, चिकित्सा, वंशावली, खनिज विज्ञान, व्याकरण आदि जैसे विभिन्न विषयों को शामिल करते हैं।
69. निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रन्थ यह दावा करता है: ”जो उस ग्रंथ में है वह विश्व में है और उस ग्रंथ में नहीं है यह विश्व में अलभ्य है?”
ऋग्वेद
यजुर्वेद
सामवेद
महाभारत
उत्तर- (D)
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व्याख्या :- त्रिपिटक बौद्ध धर्म का प्रमुख ग्रंथ है जिसे सभी बौद्ध सम्प्रदाय (महायान, थेरवाद, बज्रयान, मूलसर्वास्तिवाद आदि) मानते है। यह बौद्ध धर्म के प्राचीनतम ग्रंथ है जिसमें भगवान बुद्ध के उपदेश संगृहीत है। यह ग्रंथ पालि भाषा में लिखा गया है और विभिन्न भाषाओं में अनुवादित है।
71. ‘जातक’ किसका ग्रंथ है? [RRB – 2003]
वैष्णव
जैन
बौद्ध
शैव
उत्तर- (C)
व्याख्या :- जातक या जातक पालि या जातक कथाएं बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक का सुत्तपिटक अंतर्गत खुद्दकनिकाय का 10 वां भाग है। इन कथाओं में भगवान बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथायें हैं।
72. कल्हण की पुस्तक का नाम क्या है? [BPSC – 2011]
अर्थशास्त्र
इंडिका
पुराण
राजतरंगिणी
उत्तर- (D)
व्याख्या :- कल्हण कश्मीरी इतिहासकार तथा विश्वविख्यात ग्रंथ राजतरंगिनी (1148-50 ई.) के रचयिता थे।
73. ‘अष्टाध्यायी” किसके द्वारा लिखी गई है? [JPSC – 2011]
वेदव्यास
पाणिनी
शुकदेव
वाल्मीकि
उत्तर- (B)
व्याख्या :- अष्टाध्यायी महर्षि पाणिनि द्वारा रचित संस्कृत व्याकरण का एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ (700 ई पू) है। इसमें आठ अध्याय हैं; प्रत्येक अध्याय में चार पद हैं; प्रत्येक पद में 38 से 220 तक सूत्र हैं। इस प्रकार अष्टाध्यायी में आठ अध्याय, बत्तीस पद और सब मिलाकर लगभग 4000 सूत्र हैं।
74. ‘विक्रमांकचरित’ के रचनाकार का नाम है-
कल्हण
विल्हण
वाल्मीकि
वेदव्यास
उत्तर- (B)
व्याख्या :- विक्रमांकदेव चरित की रचना 11 वी शताब्दी के उत्तरार्ध में कश्मीरी कवि विल्हण द्वारा की गई थी, जो चालुक्य वंश के विक्रमादित्य षष्ठ के दरबार में राजआश्रित थे।
75. चंदबरदाई द्वारा रचित ग्रंथ का नाम है?
पृथ्वीराज रासो
पृथ्वीराज विजय
परमाल रासो
वीसलदेव रासो
उत्तर- (A)
व्याख्या :- पृथ्वीराज रासो हिन्दी भाषा में लिखा एक महाकाव्य है जिसमें सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जीवन और चरित्र का वर्णन किया गया है। इसके रचयिता चंदबरदाई पृथ्वीराज के बचपन के मित्र और उनके राजकवि थे और उनकी युद्ध यात्राओं के समय वीर रस की कविताओं से सेना को प्रोत्साहित भी करते थे। चंदबरदाई हिन्दी साहित्य के आदिकालीन कवि तथा पृथ्वीराज चौहान के मित्र थे। उन्होने पृथ्वीराज रासो नामक प्रसिद्ध हिन्दी ग्रन्थ की रचना की।
76. निम्न में से कौन सिकन्दर के साथ भारत आनेवाला इतिहासकार नहीं था?
नियार्कस
एनासिक्रिटिस
एरिस्टोबुल्स
डाइमेकस
उत्तर- (D)
व्याख्या :- डाइमेकस सेल्यूसिड साम्राज्य का एक यूनानी था और वह तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से सम्बंधित है। डाइमेकस पाटलिपुत्र में मौर्य शासक बिन्दुसार ‘अमीत्रगाथा’ के दरबार में राजदूत बने। उन्हें एंटिओकस प्रथम सोटर द्वारा भेजा गया था। डाइमेकस प्रसिद्ध राजदूत और इतिहासकार मेगस्थनीज के उत्तराधिकारी थे। एलेग्जेंडर की सेना में नियार्कस एक अधिकारी, एक नेवार्च (नौदल कमांडर) था। आनेसिक्रिटस एक यूनानी ऐतिहासिक लेखक और निंदक दार्शनिक थे, जो एशिया में अपने अभियानों पर एलेग्जेंडर के साथ थे।
77. निम्नलिखित में से किस विदेशी यात्री ने भारत का दौरा सबसे पहले किया था? [SSC – 2002]
मेगस्थनीज
फाह्यन
ह्वेन सांग
इत्सिंग
उत्तर- (A)
व्याख्या :- मेगस्थनीज यूनान का एक राजदूत था जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। यूनानी सामंत सिल्यूकस भारत में फिर राज्यविस्तार की इच्छा से 305 ई. पू. भारत पर आक्रमण किया था किंतु उसे संधि करने पर विवश होना पड़ा था। संधि के अनुसार मेगस्थनीज नाम का राजदूत चंद्रगुप्त के दरबार में आया था। वह कई वर्षों तक चंद्रगुप्त के दरबार में रहा।
78. ‘महाभाष्य’ के रचनाकार का नाम है?
कौटिल्य
पतंजलि
कालिदास
भारवि
उत्तर- (B)
व्याख्या :- पतंजलि ने पाणिनि के अष्टाध्यायी के कुछ चुने हुए सूत्रों पर भाष्य लिखी जिसे व्याकरणमहाभाष्य का नाम दिया (महा+भाष्य (समीक्षा, टिप्पणी, विवेचना, आलोचना))। व्याकरण महाभाष्य में कात्यायन वार्तिक भी सम्मिलित हैं जो पाणिनि के अष्टाध्यायी पर कात्यायन के भाष्य हैं।
79. कालिदास द्वारा रचित ‘मालविकाग्निमित्र’ नाटक का नायक था- [UPPCS – 1998]
पुष्यमित्र शुंग
गौतमीपुत्र शातकर्णी
अग्निमित्र
चन्द्रगुप्त-II
उत्तर- (C)
व्याख्या :- मालविकाग्निमित्रम् कालिदास द्वारा रचित संस्कृत नाटक है। यह पाँच अंकों का नाटक है जिसमे मालवदेश की राजकुमारी मालविका तथा विदिशा के राजा अग्निमित्र का प्रेम और उनके विवाह का वर्णन है। वस्तुत: यह नाटक राजमहलों में चलने वाले प्रणय षड्यन्त्रों का उन्मूलक है तथा इसमें नाट्यक्रिया का समग्र सूत्र विदूषक के हाथों में समर्पित है।
80. ‘हर्षचरित’ किसके द्वारा लिखी गई थी? [SSC – 2002, BPSC- 2005]
कालिदास का ‘मालविकाग्निमित्र’
वाणभट्ट
वाल्मीकि
वेदव्यास
उत्तर- (B)
व्याख्या :- सातवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में संस्कृत गद्य साहित्य के विद्धान सम्राट हर्ष के राजकवि बाणभट्ट द्वारा रचित इस ग्रंथ से हर्ष के जीवन एवं हर्ष के समय में भारत के इतिहास पर प्रचुर प्रकाश पड़ता है।
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