प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत MCQ [Free PDF]: प्रश्न उत्तर और व्यख्या

भारतीय इतिहास के स्रोत विभिन्न प्रकार के होते हैं, जो इसके अध्ययन को सुगम बनाते हैं। इन स्रोतों में साहित्यिक, स्थलीय, राजनीतिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक सहित सामाजिक साक्षरता की विविध जानकारी होती है। ये स्रोत पुराने समय से ही भारतीय इतिहास को प्रकट करने में मदद करते हैं। आइये प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत से महत्वपूर्ण MCQ प्रश्न उत्तर पढ़े, समझे और उसका Free PDF डाउनलोड करें।

यहाँ 80 से अधिक प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत MCQ प्रश्न उत्तर उनके व्याख्या के साथ दिए गए हैं, यहाँ दिए गए सभी प्रकार के प्रतियोगी परीक्षाओ (Competetives Exams) जैसे बैंकिंग, SSC, रेलवे, UPSC, State PSC, State Police आदि में सहयता करेंगे।

हमने यहाँ निम्न बिन्दुओं को कवर किया हैं-

  • प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत MCQ
  • बहुविकल्पीय प्रश्न – Multiple choice Questions
  • प्रश्नोत्तर – Question and Answer
  • व्याख्या – Explanation
  • फ्री पीडीऍफ़ – Free PDF

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत MCQ प्रश्न उत्तर और व्यख्या

1. फारस के सुल्तान मिर्जा शाहरुख के राजदूत अब्दुर्रज्जाक (1443-44 ई.) ने किस विजयनगर सम्राट के शासनकाल में विजयनगर की यात्रा की ?

  1. देवराय-I
  2. देवराय-II
  3. कृष्णदेव राय
  4. सदाशिव राय

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- फारस के सुल्तान मिर्जा शाहरुख के राजदूत अब्दुर्रज्जाक (1443-44 ई.) ने देवराय-II विजयनगर सम्राट के शासनकाल में विजयनगर की यात्रा की।
2. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) की स्थापना कब हुई थी?
  1. 1784 ई. में
  2. 1800 ई. में
  3. 1857 ई. में
  4. 1861 ई. में

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की स्थापना वर्ष 1861 में हुई थी। यह देश की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं पुरातात्विक शोध के क्षेत्र में एक प्रमुख संगठन है।

3. अलबेरुनी किसके शासनकाल में इतिहासकार था?
[RRB -2004, RRB – 2005, JPSC – 2010]

  1. महमूद गजनवी
  2. बलबन
  3. अकबर
  4. मुहम्मद बिन तुगलक

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- अबु रेहान मुहम्मद बिन अहमद अल-बयरुनी (973-1048) एक फ़ारसी विद्वान लेखक, वैज्ञानिक, धर्मज्ञ तथा विचारक था। ग़ज़नी के महमूद, जिसने भारत पर कई बार आक्रमण किये, के कई अभियानों में वो सुल्तान के साथ था। अलबरुनी को भारतीय इतिहास का पहला जानकार कहा जाता था।

4. यात्री इब्नबतूता कहाँ से आया था?
[SSC – 2002, RRB – 2005]

  1. मोरक्को
  2. फारस
  3. तुर्की
  4. मध्य एशिया

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- इब्न बतूता एक विद्वान अफ़्रीकी यात्री था, जिसका जन्म 24 फ़रवरी 1304 ई. को उत्तर अफ्रीका के मोरक्को प्रदेश के प्रसिद्ध नगर तांजियर में हुआ था।

5. दक्षिण अफ़्रीकी यात्री इब्नबतूता किसके शासनकाल में भारत आया था?
[RRB – 2005]
  1. हुमायूँ
  2. अकबर
  3. मुहम्मद बिन तुगलक
  4. अलाउद्दीन खिलजी

उत्तर- (C) 

व्याख्या :- इब्नबतूता 1333 ई. में सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ के राज्यकाल में भारत आया। भारत के उत्तर पश्चिम द्वार से प्रवेश करके इब्नबतूता सीधा दिल्ली पहुँचा, जहाँ तुगलक सुल्तान मुहम्मद ने उसका बड़ा आदर सत्कार किया और उसे राजधानी का काजी नियुक्त किया।

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6. ‘भारतीय पुरातत्व का जनक” (The Father of Indian Archaeology) किसे कहा जाता है?
[MPSC – 2017]

  1. अलेक्जेंडर कनिंघम
  2. जेम्स प्रिंसेप
  3. जॉन मार्शल
  4. मार्टिमर ह्वीलर

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- सर अलेक्ज़ैंडर कनिंघम को भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग का जनक माना जाता है। सर अलेक्ज़ैंडर कनिंघम ब्रिटिश सेना के बंगाल इंजीनियर ग्रुप में इंजीनियर थे जो बाद में भारतीय पुरातत्व, ऐतिहासिक भूगोल तथा इतिहास के प्रसिद्ध विद्वान् के रूप में प्रसिद्ध हुए।
7. हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की पुरातात्विक खुदाई के प्रभारी थे-
[RAS/RTS – 1998]
  1. लाई मैकाले
  2. सर जान मार्शल
  3. लाई क्लाइव
  4. कर्नल टाड

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- सर जॉन हुबर्ट मार्शल (19 मार्च 1876, चेस्टर, इंग्लैण्ड – 17 अगस्त 1958, गिल्डफोर्ड, इंग्लैण्ड) 1902 से 1928 तक भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक थे।

8. अशोक के शिलालेखों को पढ़ने वाला प्रथम अंग्रेज कौन था?
[CGPCS – 2003, BPSC – 2008, SSC – 2012]

  1. जॉन टॉवर
  2. हैरी स्मिथ
  3. चार्ल्स मेटकॉफ
  4. जेम्स प्रिंसेप

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- इन शिलालेखों की खोज सबसे पहले 1750 में फेंथलर ने की थी और सबसे पहले 1837 में इसको जेम्स प्रिंसेप ने इन शिलालेखों को पढ़ा था।

9. निम्नलिखित विद्वानों में से हड़प्पा सभ्यता का सर्वप्रथम खोजकर्ता कौन था ?
[SSC – 1999]

  1. सर जॉन मार्शल
  2. आर. डी. बनर्जी
  3. ए. कनिंघम
  4. दयाराम सहनी

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- सन हड़प्पा सभ्यता की सर्वप्रथम खोज 1921 ई0 में दयाराम साहनी और माधव स्वरूप वत्स द्वारा किया गया। हड़प्पा सभ्यता की खोज प्रथम स्थली हड़प्पा है, जो मोंटगोमरी जिला के पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान में) राज्य में अवस्थित है। सर जॉन मार्शल के निर्देशन में हड़प्पा सभ्यता का उत्खनन कार्य शुरू हुआ।

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत MCQ notes और व्यख्या

10. हड़प्पा सभ्यता की खोज किस वर्ष में हुई?
[SSC – 2004]

  1. 1901 ई.
  2. 1921 ई.
  3. 1935 ई.
  4. 1942 ई.

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- हड़प्पा सभ्यता की सर्वप्रथम खोज सन 1921 ई0 में दयाराम साहनी और माधव स्वरूप वत्स द्वारा किया गया। हड़प्पा सभ्यता की खोज प्रथम स्थली हड़प्पा है, जो मोंटगोमरी जिला के पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान में) राज्य में अवस्थित है। सर जॉन मार्शल के निर्देशन में हड़प्पा सभ्यता का उत्खनन कार्य शुरू हुआ।

11. सिंधु घाटी सभ्यता को खोज निकालने में जिन दो भारतीय का नाम जुड़ा है, वे हैं?
[CGPCS – 2003]

  1. दयाराम साहनी एवं राखालदास बनर्जी
  2. जॉन मार्शल एवं ईश्वरी प्रसाद
  3. आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव एवं रंगनाथ राव
  4. माधोस्वरूप वत्स एवं वी० बी० राव

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- सिंधु घाटी सभ्यता को खोज निकालने में जिन दो भारतीयों का नाम जुड़ा है ,वे हैं. राखालदास बनर्जी तथा दयाराम सहानी।

12. अशोक के अधिकांश अभिलेख किस भाषा व लिपि में है?

  1. प्राकृत व ब्राह्मी
  2. संस्कृत व ब्राह्मी
  3. पालि व ब्राह्मी
  4. हिन्दी व ब्राह्मी

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- अशोक के अधिकांश अभिलेख तीन भाषाओं में लिखे गए हैं – प्राकृत, यूनानी और आरामाईक। प्राकृत शिलालेख मुख्य रूप से खरोष्ठी और ब्राह्मी लिपियों में लिखे गए हैं।
13. कहाँ से अशोक के द्विभाषाई (ग्रीक एवं आरमाइक) अभिलेख प्राप्त हुए हैं?
  1. शर-ए-कुना (कंधार)
  2. मनसेहरा
  3. काल्सी
  4. कलिंग

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- कान्धार में प्राप्त सम्राट अशोक का द्विभाषी शिलालेख जिसमें ग्रीक और अरामी में सन्देश उत्कीर्ण किया हुआ है।

14. अशोक के मानसेहरा (पाकिस्तान) एवं शाहबाजगढ़ी (पाकिस्तान) से प्राप्त शिलालेख में किस लिपि का प्रयोग किया गया है?
[CGPCS – 2012]

  1. खरोष्ठी
  2. संस्कृत
  3. तमिल
  4. यूनानी

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- मानसेहरा की तरह शाहबाजगढ़ी की प्रतिलिपियाँ खरोष्ठी लिपि में खुदी हैं, जो दाहिनी से बाईं ओर लिखी जाती है, शेष पाँचो स्थानों की प्रतिलिपियाँ ब्राह्मी लिपि में हैं। यह पहाड़ी पेशावर से 40 मील उत्तरपूर्व है।
15. न्यूमिसमेटिक्स (Numismatics) क्या है?
[RRB – 2004]
  1. प्राचीन पांडुलिपियों का अध्ययन
  2. सिक्कों व धातुओं का अध्ययन
  3. ताल पत्रों का अध्ययन
  4. ताम्र पत्रों का अध्ययन

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- मुद्राशास्त्र (Numismatics) सिक्कों, कागजी मुद्रा आदि के संग्रह एवं उसके अध्ययन का विज्ञान है। मुद्राशास्त्र इतिहास और संस्कृति को जानने का सर्वाधिक विश्वनीय और दिलचस्प माध्यम है। मुद्राओं की धातु, शिल्प और प्रतीकों के माध्यम से उनका काल और मूल्य निर्धारण किया जाता है तथा उनके सूक्ष्म अध्ययन से उस समय के समाज की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अवस्था को जाना जा सकता है। यह एक छंद भी है।

16. एशिया माइनर स्थित बोगाज कोई का महत्व इसलिए है कि –
[BPSC – 1994, NET/JRF – 2012]

  1. वहाँ से जो अभिलेख पाप्त हुए हैं, उनमें चार वैदिक देवताओं – इन्द्र, वरुण, मित्र व नासत्य, – का उल्लेख मिलता है
  2. मध्य एशिया व तिब्बत के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र था
  3. वेद के मूल ग्रंथ की रचना यहीं हुई थी
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- एशिया माइनर स्थित बोगाजकोई का महत्व इसलिए है, की वहां जो अभिलेख प्राप्त हुए हैं, उनमें 4 वैदिक देवताओं- इंद्र, वरुण, मित्र, नासत्य का उल्लेख मिलता है। इसलिए उपरोक्त सभी विकल्पों में ऑप्शन (a) का उत्तर सही होगा।

17. प्राचीन भारत में कौन-सी एक लिपि दायीं से बायीं ओर लिखी जाती थी?
[UPSC – 1997]

  1. ब्राह्मी
  2. नंदनागरी
  3. शारदा
  4. खरोष्ठी

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- खरोष्ठी लिपि दायीं ओर से बायीं ओर लिखी जाती थी। शेष लिपियां बायीं से दायीं ओर लिखी जाती हैं। शारदा का विकास ब्राह्मी से ही हुआ है।
18. हेलियोडोरस का बेसनगर अभिलेख संदर्भित है –
[UPPCS- 1999]
  1. संकर्षण तथा वासुदेव से
  2. संकर्षण तथा प्रद्युम्न से
  3. संकर्षण, प्रद्युम्न तथा वासुदेव से
  4. केवल वासुदेव से

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- हेलियोडोरस का बेसनगर अभिलेख केवल वासुदेव का उल्लेख होता है। शुंग वंश का नवां शासक भागभद्र था। उसके शासनकाल के 14वें वर्ष में तक्षशिला के यवन नरेश एन्टियालकीड्स का राजदूत हेलियोडोरस, उसके विदिशा स्थित दरबार में उपस्थित हुआ। उसने भागवत धर्म ग्रहण कर लिया तथा विदिशा (बेसनगर) में गरुड़ स्तम्भ की स्थापना कर भगवान विष्णु की पूजा की।

19. निम्नलिखित में से कौन-सा अभिलेख कलिंग नरेश खारवेल से संबंधित है?

  1. हाथीगुफ्फा
  2. जूनागढ़
  3. नानाघाट
  4. नासिक

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- खारवेल कलिंग के तीसरे राजवंश चेदिवंश का शासक था। खारवेल को ऐरा, महामेघवाहन एवं कलिंगाधिपति भी कहा गया है। इतिहासकार के.पी. जायसवाल ने मेघवंश राजाओं को चेदिवंश का माना है। उनके अनुसार ये लोग उड़ीसा तथा कलिंग के उन्हीं चेदियों के वंशज थे जो खारवेल के वंश थे और अपने साम्राज्यकाल में ‘महामेघ’ कहलाते थे।

20. सर्वप्रथम भारत में विशुद्ध संस्कृत भाषा में लम्बा अभिलेख किस राजा द्वारा जारी किया गया?

  1. यवन राजा मिनाण्डर द्वारा
  2. शक क्षत्रप रूद्रदमन द्वारा
  3. पार्थव राजा गोंदोफिर्निस द्वारा
  4. कुषाण राजा कनिष्क द्वारा

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- रुद्रदामन एक महान विजेता होने के साथ-साथ एक उच्च कोटि का विद्वान भी था। उसने सबसे पहले विशुद्ध संस्कृत भाषा में लम्बा अभिलेख ( जूनागढ़ अभिलेख ) जारी किया। उसके समय में उज्जैनी शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था।

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत MCQ और विवरण

21. मेहरौली (दिल्ली) स्थित लौह-स्तम्भ का निर्माण किस सदी में हुआ?
[NDA – 1998]

  1. द्वितीय सदी ई.
  2. तृतीय सदी ई.
  3. चतुर्थ सदी ई.
  4. सप्तम सदी ई.

उत्तर- (C) 

व्याख्या :- मेहरौली (दिल्ली) स्थित लौह-स्तम्भ चौथी सदी में बना था। यह कुतुबमीनार के पास स्थित है। इसमें चन्द्र का उल्लेख हुआ है। विद्वानों द्वारा इसे चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा स्थापित माना जाता है। मेहरौली स्तंभ लगभग 1600 वर्षो बाद भी अपनी चमक बरकरार रखे हुए है। यह उत्कृष्ट गुणवत्ता की इस्पात के कारण संभव हो सका है।

22. दिल्ली के महरौली कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद के प्रांगण में स्थित प्रसिद्ध लौह-स्तम्भ किसकी स्मृति में है?
[UPPCS – 2005]

  1. अशोक
  2. चन्द्र
  3. हर्ष
  4. अनंगपाल

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- मेहरौली (दिल्ली) स्थित लौह-स्तम्भ चौथी सदी में बना था। यह कुतुबमीनार के पास स्थित है। इसमें चन्द्र का उल्लेख हुआ है। विद्वानों द्वारा इसे चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा स्थापित माना जाता है।
23. सती-प्रथा का पहला पुरातात्विक उल्लेख कहाँ मिलता है?
  1. भीतरगांव लेख से
  2. विलसद स्तंभ लेख से
  3. एरण अभिलेख से
  4. भितरी स्तंभ लेख से

उत्तर- (C) 

व्याख्या :- सती प्रथा का पहला अभिलेखीय साक्ष्य 510 ई. एरण अभिलेख में मिलता है।

24. काव्य-शैली का प्राचीनतम नमूना किसके अभिलेख में मिलता है?
[UPPCS – 1997]

  1. रूद्रदमन के
  2. अशोक के
  3. राजेन्द्र-I के
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- रूद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेख अपनी शैली की रोचकता, भाव-प्रवणता एवं हृदयावर्जन के लिए प्रसिद्ध है। वस्तुत: वह एक छोटा गद्य-काव्य है। विशुद्ध संस्कृत में लिखा हुआ उसका यह लेख प्राचीनतम अभिलेख माना जाता है। यह गिरनार जिले में शक संवत 72 (150 ई.) में उत्कीर्ण किया गया।
25. निम्नलिखित में से किस अभिलेख में चन्द्रगुप्त मौर्य और अशोक दोनों का उल्लेख किया गया है?
[UPPCS (LS) 2008]
  1. गौतमीपुत्र शातकर्णी का नासिक अभिलेख
  2. महाक्षत्रप रुद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेख
  3. अशोक का गिरनार अभिलेख
  4. स्कंदगुप्त का जूनागढ़ अभिलेख

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- महाक्षत्रप रुद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेख में चन्द्रगुप्त मौर्य और अशोक दोनों का उल्लेख किया गया है।

26. समुद्रगुप्त की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन किस अभिलेख में उपलब्ध है?
[UPPCS – 2002, BPSC – 2008]

  1. एरण के
  2. गया के
  3. नालंदा के
  4. प्रयाग के

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- समुद्रगुप्त, गुप्त राजवंश के चौथे शासक थे, और उनका वर्णन प्रयाग में अशोक मौर्य के स्तंभ पर विशद रूप में खुदा हुआ है।
27. प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख का लेखक हरिषेण किस शासक का दरबारी कवि था?
  1. समुद्रगुप्त
  2. अशोक
  3. कनिष्क
  4. चन्द्रगुप्त – II

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- हरिषेण चौथी शताब्दी के संस्कृत कवि और मन्त्री थे। वे समुद्रगुप्त की राजसभा के एक महत्वपूर्ण सभासद थे। 345 ई में रचित उनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध कृति प्रयाग प्रशस्ति है जिसमें समुद्रगुप्त की वीरता का वर्णन है। यह एक महान कवि थे।

28. एरण अभिलेख का संबंध किस शासक से है?
[RRB ASM/GG 2005]

  1. ब्रह्मगुप्त
  2. चन्द्रगुप्त I
  3. चन्द्रगुप्त II
  4. भानुगुप्त

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- एरण नामक ऐतिहासिक स्थान मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित है। प्राचीन सिक्कों पर इसका नाम ऐरिकिण लिखा है। एरण से एक अन्य अभिलेख भी प्राप्त हुआ था जो लगभग 510 ईसवी का माना जा रहा है। इसे भानुगुप्त का अभिलेख कहते हैं। यह अभिलेख भानुगुप्त के मंत्री गोपराज के बारे में है, माना यह जाता है कि भानुगुप्त के मंत्री गोपराज उनके साथ युद्ध लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे जिससे गोपराज की पत्नी सती हो गई थी। इसी वजह से इस अभिलेख को एरण का सती अभिलेख भी कहा जाता है।
29. ऐहोल प्रशस्ति व रचयिता रविकीर्ति किस चालुक्य शासक का दरबारी कवि था?
  1. पुलकेशिन – I
  2. पुलकेशिन – II
  3. विक्रमादित्य – I
  4. विक्रमादित्य – II

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- ऐहोले से चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय का 634 ई. का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह प्रशस्ति के रूप में है और संस्कृत काव्य परम्परा में लिखा गया है। इसके रचयिता जैन कवि रविकीर्ति थे। इस अभिलेख में पुलकेशी द्वितीय की विजयों का वर्णन है।

30. हर्ष एवं पुलकेशिन-II के मध्य हुए संघर्ष की जानकारी कहाँ से मिलती है?

  1. ऐहोल अभिलेख से
  2. बंसखेड़ा अभिलेख से
  3. हाथीगुफा अभिलेख से
  4. ह्वेन त्सांग के वर्णन से

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- अभिलेख में पुलकेशी द्वितीय के हाथों हर्षवर्धन की पराजय के बारे में जानकारी मिलती है। यह अनुमान लगाया जा सकता है कि हर्ष और पुलकेशी के मध्य युद्ध 630 और 634ई0 के बीच हुआ था।

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31. भारत में सिक्कों का प्रचलन कब आरंभ हुआ?

  1. 600 ई. पू. में
  2. 300 ई. पू. में
  3. कनिष्क के शासनकाल में
  4. हर्षवर्द्धन के शासनकाल में

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- भारत में सिक्कों का प्रचलन 600 ई. पू. में आरंभ हुआ।
32. भारत में प्राचीनतम मुद्रा माना जाता है?
  1. आहत सिक्के
  2. इंडो-बैक्ट्रियन सिक्के
  3. सीथियन सिक्के
  4. पार्थियन सिक्के

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- प्राचीन भारतीय मुद्रा फूटी कौड़ी से कौड़ी, कौड़ी से दमड़ी, दमड़ी से धेला, धेला से पाई, पाई से पैसा, पैसा से आना, आना से रुपया बना। अगर किसी के पास 256 दमड़ी होती थी तो वह 192 पाई के बराबर होती थी। इसी तरह 128 धेला, 64 पैसे, व 16 आना 1 रुपये के बराबर होता था।

33. भारत में सर्वप्रथम स्वर्ण-मुद्राएँ किसने चलाई?
[SSC – 2001, 2002]

  1. कुषाण
  2. इंडो-बैक्ट्रियन
  3. शक
  4. गुप्त

उत्तर- (B) 

34. कवि कालिदास के नाम का उल्लेख किस लेख में हुआ है?
[UPSC – 1994]

  1. इलाहाबाद स्तम्भ लेख में
  2. ऐहोल के उत्कीर्ण लेख में
  3. अलापाडू दान लेख में
  4. हनुमकोंडा उत्कीर्ण लेख में

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- छठीं सदी ईसवी में बाणभट्ट ने अपनी रचना हर्षचरितम् में कालिदास का उल्लेख किया है तथा इसी काल के पुलकेशिन द्वितीय के एहोल अभिलेख में कालिदास का जिक्र है अतः वे इनके बाद के नहीं हो सकते।
35. अभिलेखों को ऐतिहासिक प्राक्कथन के साथ प्रारंभ करने की परम्परा का सूत्रपात किसने किया?
  1. परान्तक -I
  2. राजराजा – I
  3. राजेन्द्र – I
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- अभिलेखों को ऐतिहासिक प्राक्कथन के साथ प्रारंभ करने की परम्परा का सूत्रपात राजराजा – प्रथम ने किया। राजराज प्रथम (985-1014 ई.) अथवा अरिमोलिवर्मन परान्तक द्वितीय का पुत्र एवं उत्तराधिकारी, परान्तक द्वितीय के बाद चोल राजवंश के सिंहासन पर बैठा। उसके शासन के 30 वर्ष चोल साम्राज्य के सर्वाधिक गौरवशाली वर्ष थे। उसने अपने पितामह परान्तक प्रथम की ‘लौह एवं रक्त की नीति’ का पालन करते हुए ‘राजराज’ की उपाधि ग्रहण की।

36. कहाँ से प्राप्त अभिलेख में ‘महासभा’ की कार्य प्रणाली के विषय में विस्तृत जानकारी मिलती है?

  1. उत्तरमेरुर
  2. तंजौर
  3. मणिमंगलम
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- उत्तिरमेरूर से पल्लव एवं चोल काल के लगभग दो सौ अभिलेख मिले हैं। इन अभिलेखों से परिज्ञात होता है कि पल्लव एवं चोल शासन के अन्तर्गत ग्राम अधिकतम स्वायत्तता का उपभोग करते थे। 10वीं शताब्दी का एक लेख आज भी एक मन्दिर की दीवार पर ख़ुदा है, जो यह बताता है कि चोल शासन के अन्तर्गत स्थानीय ‘सभा’ किस प्रकार कार्य करती थी।
37. निम्नलिखित में किसने सोने के सर्वाधिक शुद्ध सिक्के जारी किए?
  1. कुषाण
  2. इंडो-बैक्ट्रियन
  3. शक
  4. गुप्त

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- शुद्ध सोने के सिक्के सबसे पहले कुषाण शासक कनिष्क द्वारा चलाये गए।

38. निम्नलिखित में से किस स्थल में रोमन सिक्के मिलें हैं?

  1. दिल्ली
  2. आगरा
  3. जयपुर
  4. अरिकमेडू

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- अरिकमेडु (Arikamedu) भारत के पुदुचेरी केन्द्र-शासित प्रदेश के अरियांकुप्पम कोम्यून के काक्कायनतोपे गाँव में स्थित एक पुरातत्व स्थल है। यह पुदुचेरी नगर से लगभग 4 किलोमीटर (2.5 मील) दूर और गिंगी नदी के किनारे स्थित है। प्राचीन काल में यह भारत और रोम व यूनान के बीच व्यापार का एक केन्द्र हुआ करता था और यहाँ उस काल के कई रोमन और यूनानी अवशेष व वस्तुएँ मिली हैं।
39. भीमबेटका किसके लिए प्रसिद्ध है?
[MPPSC 2003]
  1. गुफाओं के शैलचित्र
  2. खनिज
  3. बौद्ध प्रतिमाएं
  4. सोन नदी का उद्गम स्थल

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- भीमबेटका की गुफाएं मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में हैं। ये पाषाणी आश्रय मध्य भारतीय पठार के दक्षिणी छोर पर विंध्य पर्वतमाला के तलहटी में हैं। डॉ. वी.एस. वाकाणकर (प्रख्यात पुरातत्वविदों में से एक), ने 1958 में इन गुफाओं की खोज की थी। ‘भीमबेटका’ शब्द, ‘भीम बाटिका’ से बना है। इन गुफाओं का नाम महाभारत के पांच पांडवों में से एक ‘भीम’ के नाम पर रखा गया है। भीमबेटका का अर्थ है– भीम के बैठने का स्थान।

40. प्राचीन काल में भारत के लोग वर्मा को किस नाम से जानते थे?
[UPSC – 1992]

  1. सुवर्णभूमि
  2. सुवर्णद्वीप
  3. यवद्वीप
  4. प्रलयमंडलम

उत्तर- (A) 


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41. अंकोरवाट कहाँ स्थित है?
[RRB ASM/GG2004. CgPSC 2012]

  1. वियतनाम
  2. तिब्बत
  3. इंडोनेशिया
  4. कम्बोडिया

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- अंकोरवाट कंबोडिया में एक मंदिर परिसर और दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है, 162.6 हेक्टेयर (1,626,000 वर्ग मीटर; 402 एकड़) को मापने वाले एक साइट पर। यह मूल रूप से खमेर साम्राज्य के लिए भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था, जो धीरे-धीरे 12 वीं शताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया था। यह कंबोडिया के अंकोर में है जिसका पुराना नाम ‘यशोधरपुर’ था। इसका निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय (1112-53ई.) के शासनकाल में हुआ था।
42. सातवाहनों के समय में मुद्रा सर्वाधिक किस धातु के बने?
  1. सीसा
  2. पोटीन
  3. तांबा
  4. स्वर्ण

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- सातवाहनों के समय में मुद्रा सर्वाधिक सीसा धातु के बने।

43. निम्नलिखित में किसने बड़े पैमाने पर स्वर्ण-मुद्राएँ चलाई थी-
[RRB – 2006]

  1. ग्रीक वासियों ने
  2. मौर्यों ने
  3. कुषाण शासकों ने
  4. शुंगो ने

उत्तर- (C) 

व्याख्या :- कुषाण शासकों ने बड़े पैमाने पर स्वर्ण-मुद्राएँ चलाई थी। कुषाण प्राचीन भारत के राजवंशों में से एक था। कुछ इतिहासकार इस वंश को चीन से आए युएझ़ी लोगों के मूल का मानते हैं।
44. सोने के सर्वाधिक सिक्के किस काल में जारी किए गए?
  1. कुषाण काल में
  2. गुप्त काल में
  3. मौर्य काल में
  4. हिन्द-यवन काल में

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- गुप्तों ने सबसे अधिक संख्या में सोने के सिक्के जारी किए और इसलिए, बहुत से इतिहासकार इस अवधि को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग मानते हैं।
45. प्लिनी की मूल कृति ‘नेचुरल हिस्ट्री’ किस भाषा में रचित है?
[NET/JRF – 2005]
  1. ग्रीक
  2. लैटिन
  3. फ्रेंच
  4. इंग्लिश

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- प्लिनी की मूल कृति ‘नेचुरल हिस्ट्री’ लैटिन भाषा में रचित है।

46. रबातक अभिलेख संबंधित है-
[UPPCS – 2017]

  1. अशोक से
  2. रूद्रदमन से
  3. कनिष्क से
  4. समुद्रगुप्त से

उत्तर- (C) 

व्याख्या :- रबातक शिलालेख अफ़ग़ानिस्तान के बग़लान प्रान्त में सुर्ख़ कोतल के पास स्थित रबातक नामक पुरातन स्थल पर एक शिला पर बाख़्तरी भाषा और यूनानी लिपि में कुषाण वंश के प्रसिद्ध सम्राट कनिष्क के वंश के बारे में एक 23 पंक्तियों का लेख है।
47. ‘भारतवर्ष’ के लिए ‘इण्डिया’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था?
[UPPCS – 2017]
  1. हेरोडोटस
  2. मेगस्थनीज
  3. स्ट्रैबो
  4. एरियन

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- ग्रीक इतिहासकार हेरोडोटस ने सर्वप्रथम भारत के लिए इंडिया शब्द का प्रयोग किया था। ये नाम इंडस नदी ( सिंधु नदी) के नाम पर था।

48. ‘चचनामा” सिंध का इतिहास है और मूल रूप में किस भाषा में लिखा गया है?
[NET/JRF – 2011]

  1. फ़ारसी
  2. हेब्रू
  3. अरबी
  4. संस्कृत

उत्तर- (C) 

व्याख्या :- चचनामा सिन्ध के इतिहास से सम्बन्धित एक पुस्तक है। इसमें चच राजवंश के इतिहास तथा अरबों द्वारा सिंध विजय का वर्णन किया गया है। इस पुस्तक को ‘फतहनामा सिन्ध’, तथा ‘तारीख़ अल-हिन्द वस-सिन्द’ भी कहते हैं।

49. भारत में सांस्कृतिक इतिहास के संदर्भ में इतिवृतों, राजवंशीय इतिहासों तथा वीर गाथाओं को कंठस्थ करना निम्नलिखित में किसका व्यवसाय था?
[UPSC – 2016]

  1. श्रमण
  2. परिव्राजक
  3. अग्रहारिक
  4. मागध

उत्तर- (D) 


प्राचीन भारतीय इतिहास के श्रोत वस्तुनिष्ट प्रश्न उत्तर

50. चीनी यात्री ‘सुंगयुन’ ने भारत यात्रा की थी-
[BPSC – 2017]

  1. 518 ई. से 522 ई.
  2. 525 ई. से 529 ई.
  3. 545 ई. से 552 ई.
  4. 592 ई. से 597 ई.

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- चीनी यात्री ‘सुंगयुन’ ने 518 ई. से 522 ई. में भारत यात्रा की थी। सोंग युन एक ‘चीनी बौद्ध भिक्षु’ थे।

51. महाभारत युद्ध के लिए 3101 ई. पू. तिथि का उल्लेख निम्नलिखित में से किस अभिलेख में हुआ है?
[NET/JRF, 2015]

  1. पुलकेशिन – II का ऐहोल अभिलेख
  2. रूद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेख
  3. 226 ई. का नन्दसा अभिलेख
  4. 238 ई. का बड़वा अभिलेख

उत्तर- (A) 

52. किसने ब्राह्मी एवं खरोष्ठी लिपियों को उद्वाचित किया?
[CDS – 2018]
  1. पियदस्सी
  2. कोलिन मैकेंजी
  3. अलेक्जेंडर कनिंघम
  4. जेम्स प्रिंसेप

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- जेम्स प्रिंसेप ईस्ट इण्डिया कम्पनी में एक अधिकारी के पद पर नियुक्त थे। उन्होंने 1838 ई. में सर्वप्रथम ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों को पढ़ने में सफलता प्राप्त की। इन लिपियों का उपयोग सबसे आरम्भिक अभिलेखों और सिक्कों में किया गया है।

53. निम्नलिखित में से प्राचीन भारत की कौन-सी लिपि दाहिने से बाई ओर लिखी जाती थी?
[BPSC – 2019]

  1. ब्राह्मी
  2. शारदा
  3. खरोष्ठी
  4. नंदनागरी

उत्तर- (C) 

व्याख्या :- सिंधु घाटी की चित्रलिपि को छोड़ कर, खरोष्ठी भारत की दो प्राचीनतम लिपियों में से एक है। यह दाएँ से बाएँ को लिखी जाती थी।

54. मेगस्थनीज के पुस्तक का नाम क्या है?
[BPSC-2005]

  1. अर्थशास्त्र
  2. ऋग्वेद
  3. पुराण
  4. इंडिका

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- इंडिका ग्रीक लेखक मेगस्थनीज द्वारा मौर्यकालीन भारत का एक लेख है। यह मूल रूप से प्राप्त नहीं हुई है परन्तु इसके कुछ भाग परवर्ती लेखकों के ग्रंथों से प्राप्त हुए है इनमें डियोडोरस, सुकीलस , स्ट्रैबो ( जियोग्राफिका ), प्लिनी और एरियन ( इंडिका ), प्लूटार्क, जस्टिन के नाम उल्लेखनीय है।
55. ‘ज्योग्राफिया’ की रचना किसने की?
  1. हेरोडोटस
  2. मेगस्थनीज
  3. स्ट्रैबो
  4. प्लिनी

उत्तर- (C) 

व्याख्या :- स्ट्रेबो (Strabo) यूनानी भूगोलवेत्ता तथा इतिहासकार था। उनका जन्म एशिया माइनर के अमासिया स्थान में ईसा से लगभग 63 वर्ष पूर्व हुआ था। स्ट्रेबो ने अनेक यात्राएँ कीं किंतु जब 19 ई. में मरे तो रोम में रहते थे। स्ट्रेबो का 17 खंडों में लिखा हुआ ‘ज्योग्रैफ़िका’ सुरक्षित है, जो यूरोप, एशिया तथा अफ्रीका के भूगोल से संबंधित है। यह बड़ा महत्वपूर्ण ग्रंथ है।

56. फाह्यान किसके शासनकाल में भारत आया था?
[NDA – 2003]

  1. चन्द्रगुप्त-I
  2. अशोक
  3. हर्षवर्धन
  4. चन्द्रगुप्त-II

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- फाहियान एक चीनी यात्री था जो चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में भारत आया था। वो 399 ईसवी से लेकर 412 ईसवी तक भारत मे रहा

57. हर्षवर्द्धन के समय में कौन-सा चीनी यात्री भारत आया था?
[SSC – 2001, RRB – 2004]

  1. फाह्यान
  2. इत्सिंग
  3. मेगस्थनीज
  4. ह्वेन त्सांग

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- ह्वेनसांग एक चीनी यात्री था जो हर्ष के समय भारत आया। वो यहाँ गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का अध्ययन करने के लिए आया था। उसने नालंदा विश्वविद्यालय में पहले छात्र फिर शिक्षक के रूप में कार्य किया।
58. प्लिनी की पुस्तक का नाम है-
  1. हिस्ट्रीज
  2. नेचुरलिस हिस्टोरिया
  3. ज्योग्राफिया
  4. ज्योग्राफी

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- प्लिनी (प्रथम शताब्दी) अथवा गुइस प्लिनस जो कि प्लिनी द एल्डर के रूप में अधिक विख्यात है, एक प्रमुख रोमन भूगोलवेत्ता था। इसके ग्रंथों से भारत के बारे में काफ़ी सूचनाएँ प्राप्त होती हैं, विशेषकर नेचुरल हिस्ट्री नामक ग्रन्थ से।

59. ‘पेरिप्लस ऑफ एरिथ्रियन सी’ की रचना किसने की?

  1. हेरोडोटस ने
  2. मेगस्थनीज ने
  3. स्ट्रैबो ने
  4. अज्ञातनामा यूनानी लेखक ने

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- ‘पेरिप्लस ऑफ एरिथ्रियन सी’ की रचना किसी अज्ञात यूनानी लेखक ने की थी। जिसमें भारत व रोमन के बीच में होने वाले व्यापार का विस्तृत वर्णन है।

प्राचीन भारतीय इतिहास के श्रोत प्रश्न उत्तर PDF

60. फाह्यान कहाँ का निवासी था?

  1. भूटान
  2. अमेरिका
  3. चीन
  4. वर्मा

उत्तर- (C) 

व्याख्या :- फाहियान एक चीनी यात्री था जो चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के शासनकाल में भारत आया था। वो 399 ईसवी से लेकर 412 ईसवी तक भारत मे रहा

61. 9 वीं सदी में भारत आये अरब यात्री सुलेमान ने किस साम्राज्य को ‘रूहमा’ कहकर संबोधित किया?

  1. पाल
  2. प्रतिहार
  3. राष्ट्रकूट
  4. सेन

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- 9 वीं सदी में भारत आये अरब यात्री सुलेमान ने पाल साम्राज्य को ‘रूहमा’ कहकर संबोधित किया। अरब यात्री सुलेमान ने भारत भ्रमण के दौरान लिखी पुस्तक सिलसिलीउत तुआरीख 851 ईस्वीं में सम्राट मिहिरभोज को इस्लाम का सबसे बड़ा शत्रु बताया है, साथ ही मिहिरभोज प्रतिहार की महान सेना की तारीफ भी की है, साथ ही मिहिरभोज के राज्य की सीमाएं दक्षिण में राजकूटों के राज्य, पूर्व में बंगाल के पाल शासक और पश्चिम में मुलतान के शासकों की सीमाओं को छूती हुई बतायी है।
62. बीते हुए युगों की घटनाओं के संबंध में जानकारी देने वाले स्त्रोतों को कहा जाता है-
  1. ऐतिहासिक स्त्रोत
  2. भौगोलिक स्त्रोत
  3. सामाजिक स्त्रोत
  4. राजनैतिक स्त्रोत

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- बीते हुए युगों की घटनाओं के संबंध में जानकारी देने वाले साधनों (स्रोतों) को ऐतिहासिक स्रोत (Historical Sources) कहा जाता है।

63. ‘मिलिंदपन्हो’ (मिलिंद के प्रश्न) राजा मिलिंद और किस बौद्ध भिक्षु के मध्य संवाद के रूप में है?
[UPSC – 1997, NET/JRF – 2006]

  1. नागसेन
  2. नागार्जुन
  3. नागभट्ट
  4. कुमारिल भट्ट

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- मिलिंदपन्हो एक पाली भाषा में रचित एक बौद्ध ग्रंथ है जिसकी रचना काल 100 ईसा पूर्व है। इसमें बौद्ध भिक्षु नाग सेन तथा भारत यूनानी शासक मिलिंद के बीच हुए वार्तालाप का वर्णन है। भारत की ओर से बौद्ध भिक्षुक नागसेन तथा मिलिंदपन्हो राजा मिलिंद के बीच संवाद है।

64. निम्नलिखित में से किसकी तुलना मैकि यावेली के ‘प्रिंस’ से की जा सकती है?
[UPPCS – 1994]

  1. कालिदास का ‘मालविकाग्निमित्र’
  2. कौटिल्य का ‘अर्थशास्त्र’
  3. वात्स्यायन का ‘कामसूत्र’
  4. तिरुवल्लूवर का ‘तिरुवकुरल’

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- अर्थशास्त्र की तुलना ‘मैकियावेली के प्रिंस’ से की जाती है।
65. कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ में किस पहलू पर प्रकाश डाला गया है?
[BPSC – 2002]
  1. आर्थिक जीवन
  2. राजनीतिक नीतियाँ
  3. धार्मिक जीवन
  4. सामजिक जीवन

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में ‘राजनीतिक नीतियों’ (Political Policies) के पहलू पर प्रकाश डाला गया है।

66. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
[SSC – 1999]

  1. साहित्यिक स्त्रोत की तुलना में पुरातात्विक स्रोत अधिक प्रामाणिक होते हैं।
  2. पुरातात्विक स्रोत की तुलना में साहित्यिक स्रोत अधिक प्रमाणिक है।
  3. साहित्यिक स्रोत एवं पुरातात्विक स्रोत दोनों एकसमान प्रमाणिक होते हैं।
  4. साहित्यिक स्रोत की तुलना पुरातात्विक स्रोत से नहीं की जा सकती।

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- इतिहास की जानकारी के लिए पुरातात्विक स्त्रोतों का अधिक महत्व है, क्योकि साहित्यिक स्रोतों की तुलना में इनसे प्राप्त जानकारी अधिक विश्वसनीय, प्रामाणिक एवं दोषरहित मानी जाती है। इसके दो कारण है, प्रथम पुरातात्विक अवशेष समसामयिक एवं प्रामाणिक दस्तावेज होते हैं। द्वितीय, साहित्यिक स्रोतों की तुलना में इनमें अतिरंजना का अभाव होता है तथा ये काल विशेष के दोषरहित एवं पारदर्शी दस्तावेज होते हैं।

67. किस वेद में प्राचीन वैदिक युग की संस्कृति के बारे में सूचना दी गई है?
[SSC – 1999]

  1. ऋग्वेद
  2. यजुर्वेद
  3. सामवेद
  4. अथर्ववेद

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- ऋग्वेद में प्राचीन वैदिक युग की संस्कृति के बारे में सूचना दी गई है। वैदिक सभ्यता ही हिन्दू सभ्यता है। इस काल की जानकारी हमे मुख्यत: वैदिक साहित्य से प्राप्त होती है, जिसमे ऋग्वेद सर्वप्राचीन होने के कारण सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
68. निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रंथ श्रुति ग्रंथ का अंग नहीं माना जाता है?
  1. संहिता
  2. ब्राह्मण
  3. उपनिषद
  4. पुराण

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- पुराण वेदों का हिस्सा नहीं हैं। वे उत्तर-वैदिक साहित्य हैं जो ब्रह्मांड विज्ञान, भूगोल, चिकित्सा, वंशावली, खनिज विज्ञान, व्याकरण आदि जैसे विभिन्न विषयों को शामिल करते हैं।

69. निम्नलिखित में से कौन-सा ग्रन्थ यह दावा करता है: ”जो उस ग्रंथ में है वह विश्व में है और उस ग्रंथ में नहीं है यह विश्व में अलभ्य है?”

  1. ऋग्वेद
  2. यजुर्वेद
  3. सामवेद
  4. महाभारत

उत्तर- (D)


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70. ‘त्रिपिटक’ धर्मग्रंथ है –
[SSC – 2002, RRB- 2005, RAS/RTS- 2012]

  1. जैनों का
  2. बौद्धों का
  3. सिक्खों का
  4. हिन्दुओं का

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- त्रिपिटक बौद्ध धर्म का प्रमुख ग्रंथ है जिसे सभी बौद्ध सम्प्रदाय (महायान, थेरवाद, बज्रयान, मूलसर्वास्तिवाद आदि) मानते है। यह बौद्ध धर्म के प्राचीनतम ग्रंथ है जिसमें भगवान बुद्ध के उपदेश संगृहीत है। यह ग्रंथ पालि भाषा में लिखा गया है और विभिन्न भाषाओं में अनुवादित है।

71. ‘जातक’ किसका ग्रंथ है?
[RRB – 2003]

  1. वैष्णव
  2. जैन
  3. बौद्ध
  4. शैव

उत्तर- (C) 

व्याख्या :- जातक या जातक पालि या जातक कथाएं बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक का सुत्तपिटक अंतर्गत खुद्दकनिकाय का 10 वां भाग है। इन कथाओं में भगवान बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथायें हैं।

72. कल्हण की पुस्तक का नाम क्या है?
[BPSC – 2011]

  1. अर्थशास्त्र
  2. इंडिका
  3. पुराण
  4. राजतरंगिणी

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- कल्हण कश्मीरी इतिहासकार तथा विश्वविख्यात ग्रंथ राजतरंगिनी (1148-50 ई.) के रचयिता थे।
73. ‘अष्टाध्यायी” किसके द्वारा लिखी गई है?
[JPSC – 2011]
  1. वेदव्यास
  2. पाणिनी
  3. शुकदेव
  4. वाल्मीकि

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- अष्टाध्यायी महर्षि पाणिनि द्वारा रचित संस्कृत व्याकरण का एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ (700 ई पू) है। इसमें आठ अध्याय हैं; प्रत्येक अध्याय में चार पद हैं; प्रत्येक पद में 38 से 220 तक सूत्र हैं। इस प्रकार अष्टाध्यायी में आठ अध्याय, बत्तीस पद और सब मिलाकर लगभग 4000 सूत्र हैं।

74. ‘विक्रमांकचरित’ के रचनाकार का नाम है-

  1. कल्हण
  2. विल्हण
  3. वाल्मीकि
  4. वेदव्यास

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- विक्रमांकदेव चरित की रचना 11 वी शताब्दी के उत्तरार्ध में कश्मीरी कवि विल्हण द्वारा की गई थी, जो चालुक्य वंश के विक्रमादित्य षष्ठ के दरबार में राजआश्रित थे।
75. चंदबरदाई द्वारा रचित ग्रंथ का नाम है?
  1. पृथ्वीराज रासो
  2. पृथ्वीराज विजय
  3. परमाल रासो
  4. वीसलदेव रासो

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- पृथ्वीराज रासो हिन्दी भाषा में लिखा एक महाकाव्य है जिसमें सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जीवन और चरित्र का वर्णन किया गया है। इसके रचयिता चंदबरदाई पृथ्वीराज के बचपन के मित्र और उनके राजकवि थे और उनकी युद्ध यात्राओं के समय वीर रस की कविताओं से सेना को प्रोत्साहित भी करते थे। चंदबरदाई हिन्दी साहित्य के आदिकालीन कवि तथा पृथ्वीराज चौहान के मित्र थे। उन्होने पृथ्वीराज रासो नामक प्रसिद्ध हिन्दी ग्रन्थ की रचना की।

76. निम्न में से कौन सिकन्दर के साथ भारत आनेवाला इतिहासकार नहीं था?

  1. नियार्कस
  2. एनासिक्रिटिस
  3. एरिस्टोबुल्स
  4. डाइमेकस

उत्तर- (D) 

व्याख्या :- डाइमेकस सेल्यूसिड साम्राज्य का एक यूनानी था और वह तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से सम्बंधित है। डाइमेकस पाटलिपुत्र में मौर्य शासक बिन्दुसार ‘अमीत्रगाथा’ के दरबार में राजदूत बने। उन्हें एंटिओकस प्रथम सोटर द्वारा भेजा गया था। डाइमेकस प्रसिद्ध राजदूत और इतिहासकार मेगस्थनीज के उत्तराधिकारी थे। एलेग्जेंडर की सेना में नियार्कस एक अधिकारी, एक नेवार्च (नौदल कमांडर) था। आनेसिक्रिटस एक यूनानी ऐतिहासिक लेखक और निंदक दार्शनिक थे, जो एशिया में अपने अभियानों पर एलेग्जेंडर के साथ थे।

77. निम्नलिखित में से किस विदेशी यात्री ने भारत का दौरा सबसे पहले किया था?
[SSC – 2002]

  1. मेगस्थनीज
  2. फाह्यन
  3. ह्वेन सांग
  4. इत्सिंग

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- मेगस्थनीज यूनान का एक राजदूत था जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। यूनानी सामंत सिल्यूकस भारत में फिर राज्यविस्तार की इच्छा से 305 ई. पू. भारत पर आक्रमण किया था किंतु उसे संधि करने पर विवश होना पड़ा था। संधि के अनुसार मेगस्थनीज नाम का राजदूत चंद्रगुप्त के दरबार में आया था। वह कई वर्षों तक चंद्रगुप्त के दरबार में रहा।
78. ‘महाभाष्य’ के रचनाकार का नाम है?
  1. कौटिल्य
  2. पतंजलि
  3. कालिदास
  4. भारवि

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- पतंजलि ने पाणिनि के अष्टाध्यायी के कुछ चुने हुए सूत्रों पर भाष्य लिखी जिसे व्याकरणमहाभाष्य का नाम दिया (महा+भाष्य (समीक्षा, टिप्पणी, विवेचना, आलोचना))। व्याकरण महाभाष्य में कात्यायन वार्तिक भी सम्मिलित हैं जो पाणिनि के अष्टाध्यायी पर कात्यायन के भाष्य हैं।

79. कालिदास द्वारा रचित ‘मालविकाग्निमित्र’ नाटक का नायक था-
[UPPCS – 1998]

  1. पुष्यमित्र शुंग
  2. गौतमीपुत्र शातकर्णी
  3. अग्निमित्र
  4. चन्द्रगुप्त-II

उत्तर- (C) 

व्याख्या :- मालविकाग्निमित्रम् कालिदास द्वारा रचित संस्कृत नाटक है। यह पाँच अंकों का नाटक है जिसमे मालवदेश की राजकुमारी मालविका तथा विदिशा के राजा अग्निमित्र का प्रेम और उनके विवाह का वर्णन है। वस्तुत: यह नाटक राजमहलों में चलने वाले प्रणय षड्यन्त्रों का उन्मूलक है तथा इसमें नाट्यक्रिया का समग्र सूत्र विदूषक के हाथों में समर्पित है।

80. ‘हर्षचरित’ किसके द्वारा लिखी गई थी?
[SSC – 2002, BPSC- 2005]

  1. कालिदास का ‘मालविकाग्निमित्र’
  2. वाणभट्ट
  3. वाल्मीकि
  4. वेदव्यास

उत्तर- (B) 

व्याख्या :- सातवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में संस्कृत गद्य साहित्य के विद्धान सम्राट हर्ष के राजकवि बाणभट्ट द्वारा रचित इस ग्रंथ से हर्ष के जीवन एवं हर्ष के समय में भारत के इतिहास पर प्रचुर प्रकाश पड़ता है।

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इतिहास का सामान्य परिचय MCQ [Free PDF] : प्रश्न उत्तर और व्याख्या

इतिहास एक महत्वपूर्ण विषय है जो हमें भूतकाल के घटनाओं का अध्ययन करने का अवसर प्रदान करता है। यह हमें समझने में मदद करता है कि हमारे समाज और सांस्कृतिक विकास कैसे हुआ है। इतिहास के अध्ययन से हम विभिन्न समयांतरों में हुई घटनाओं के परिणामस्वरूप हमारी समझ में सुधार होती है। इतिहास का शब्दिक अर्थ है “गुजरा हुआ कल” और यह हमें हमारे पूर्वजों द्वारा किए गए कार्यों और घटनाओं की जानकारी प्रदान करता है। इसमें समाज, राजनीति, धर्म, विज्ञान, कला, और साहित्य के क्षेत्र में हुई घटनाएं शामिल होती हैं। आइये इतिहास का सामान्य परिचय से महत्वपूर्ण MCQ प्रश्न उत्तर पढ़े, समझे और उसका PDF डाउनलोड करें।

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  • प्रश्नोत्तर – Question and Answer
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इतिहास का सामान्य परिचय प्रश्न उत्तर और व्याख्या

1. वर्ष 1015 ई. किस शताब्दी में आता है?

  1. 10वीं शताब्दी ई. पू. में
  2. 10 वीं शताब्दी ई. में
  3. 11 वीं. शताब्दी ई. पू. में
  4. 11 वीं शताब्दी ई. में

उत्तर- (D)

व्याख्या :- वर्ष 1001 ई. से आगे का समय 11 वीं शताब्दी ई. में आता है।

2. विक्रम संवत प्रारंभ हुआ –[RRB – 2004]

  1. 58 ई. पू.
  2. 78 ई.
  3. 57 ई. पू.
  4. 73 ई. पू.

उत्तर- (A)

व्याख्या :- विक्रमी भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित हिन्दू पंचांग है।भारत में यह अनेकों राज्यों में प्रचलित पारम्परिक पञ्चाङ्ग है। प्रायः माना जाता है कि विक्रमी संवत् का आरम्भ 58 ई.पू. में हुआ था।

3. शक संवत का प्रारम्भ किस सम्राट के शासनकाल में 78 ई. में हुआ था? [SSC-2000,2008, CRF – 2008, WBPSC- 2008. JPSC – 2008]

  1. अशोक
  2. कनिष्क
  3. हर्ष
  4. समुद्रगुप्त

उत्तर- (B)

व्याख्या :- शक संवत भारत का राष्ट्रीय संवत है जिसे कुषाण वंशी राजा कनिष्क ने 78 ई में शुरू किया।

4. गुप्त संवत (319-320 ई.) को प्रारंभ करने का श्रेय किसे दिया जाता है?

  1. चन्द्रगुप्त I
  2. चन्द्रगुप्त II
  3. समुद्रगुप्त
  4. स्कन्दगुप्त

उत्तर- (A)

व्याख्या :- चंद्रगुप्त प्रथम ने अपने शासन काल में एक नया संवत चलाया ,जिसे गुप्त संवत कहा जाता है। यह संवत गुप्त सम्राटों के काल तक ही प्रचलित रहा बाद में उस का चलन नहीं रहा। चन्द्रगुप्त प्रथम ने एक संवत ‘गुप्त संवत’ (319-320 ई.) के नाम से चलाया।

5. चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त संवत का प्रारंभ किस उपलक्ष्य में किया?

  1. अपने राज्यारोहण के समारक के रूप में
  2. शकों के उन्मूलन के उपलक्ष्य में
  3. हूणों को परास्त करने के उपलक्ष्य में
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (A)

व्याख्या :- चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्तवंश को एक साम्राज्य की प्रतिष्ठा प्रदान की। इसे इतिहास में एक नये संवत (गुप्त संवत) चलाने का श्रेय भी दिया जाता है।

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6. भारत का राष्ट्रीय पंचांग (National Calendar) किस संवत पर आधारित है? [SSC – 1999]

  1. कलि संवत
  2. विकम संवत
  3. शक संवत
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (C)

व्याख्या :- शक संवत भारत का राष्ट्रीय संवत है जिसे कुषाण वंशी राजा कनिष्क ने 78 ई में शुरू किया।

General introduction to history MCQ with Answers and Explanation

7. हर्षवर्द्धन ने 606 ई. में हर्ष संवत की स्थापना किस उपलक्ष्य में की थी?

  1. अपने राज्यारोहण के उपलक्ष्य में
  2. कन्नौज पर अधिकार करने के उपलक्ष्य में
  3. सिंध विजय के उपलक्ष्य में
  4. पूर्वी भारत की विजय के उपलक्ष्य में

उत्तर- (A)

व्याख्या :- हर्षवर्द्धन ने 606 ई. में हर्ष संवत की स्थापना अपने राज्यारोहण के उपलक्ष्य में की थी। हर्षवर्धन (590-647 ई.) प्राचीन भारत में एक राजा था जिसने उत्तरी भारत में 606 ई से 647 ई तक राज किया। वह वर्धन राजवंश के शासक प्रभाकरवर्धन का पुत्र था। जिसके पिता अल्कोन हूणों को पराजित किया था।

8. निम्नलिखित में वह कौन-सा संवत है, जो कलचुरियों द्वारा प्रयुक्त किये जाने के कारण ‘कल्चुरि संवत’ भी कहलाता है?

  1. विक्रम संवत
  2. शक संवत
  3. त्रैकूटक संवत
  4. इनमे से कोई नहीं

उत्तर- (C)

व्याख्या :- कलचुरी शासक ‘त्रैकूटक संवत’ का प्रयोग करते थे, जो 248-249 ई. में प्रचलित हुआ था।

9. चालुक्य विक्रम संवत का प्रचलन किसने किया?

  1. तैलप II
  2. सोमेश्वर I
  3. विक्रमादित्य VI
  4. सोमेश्वर II

उत्तर- (C)

व्याख्या :- विक्रमादित्य VI (1076 – 1126 ई) पश्चिमी चालुक्य शासक था। वह अपने बड़े भाई सोमेश्वर द्वितीय को अपदस्थ कर गद्दी पर बैठा। चालुक्य-विक्रम संवत् उसके शासनारूढ़ होने पर आरम्भ किया गया।

10. निम्न कथनों पर विचार कीजिए तथा नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-[UPPCS – 2011]
1. विक्रम संवत 58 ई. पू. से आरंभ हुआ
2. शक संवत सन 78 से आरंभ हुआ
3. गुप्त संवत सन 319 से आरंभ हुआ
4. भारत में मुसलमान शासन का युग सन 1191 ई. से शुरू हुआ
कूट:

  1. 1 व 2
  2. 3 व 4
  3. 1,2 व 3
  4. 1,2,3 व 4

उत्तर- (C)

व्याख्या :- विक्रम संवत 58 ई. पू. से तथा शक संवत 78 ई. से प्रारम्भ हुआ था। गुप्त काल सन 319 से आरंभ हुआ, इसका तात्पर्य चन्द्रगुप्त प्रथम के शासनकाल के आरम्भ से है। भारत में मुस्लिम शासन युग का आरंभ, मुहम्मद गोरी की तराईन के द्वितीय युद्ध में विजय (1192 ई.) से माना जाता है।

इतिहास का सामान्य परिचय वस्तुनिष्ट प्रश्न उत्तर और व्याख्या

11. निम्नलिखित में से किसे एक नये संवत चलाने का यश प्राप्त है? [UPPCS 1999]

  1. धर्मपाल
  2. देवपाल
  3. विजयसेन
  4. लक्ष्मणसेन

उत्तर- (D)

व्याख्या :- लक्ष्मण सेन 1119 ईस्वी में राजा बनें और उसी वर्ष लक्ष्मण संबत की स्थापना की। जिसका इस्तेमाल बंगाल और बिहार में कम से कम 400 वर्षों से किया जाता रहा है।

12. निम्नलिखित में कौन-सा वर्ष दिसम्बर, 2009 में शक संवत का वर्ष होगा? [UPPCS (M) 2007]

  1. 1931
  2. 1952
  3. 2066
  4. 2087

उत्तर- (A)

व्याख्या :- शक संवत कनिष्क-I ने चलाया था। यह तिथि 78 ई. मानी जाती है। अत: वर्ष 2009 में शक संवत होता – 2009 – 78 = 1931

13. विक्रम एवं शक संवत के आरंभ के बीच कितने वर्षों का अंतर है? [NET/JRF 2017]

  1. 21 वर्ष
  2. 78 वर्ष
  3. 135 वर्ष
  4. 248 वर्ष

उत्तर- (C)

व्याख्या :- विक्रम संवत व शक संवत में आपस में अंतर 57 + 78 = 135 वर्ष का अंतर है।

14. सुमेलित कीजिए:

सूची-I (संवत्सर)सूची-II (किस समय में गणना)
A विक्रम संवत्सर1. 3102 ई. पू.
B. शक संवत्सर2. 320 ई.
C. गुप्त संवत्सर3. 78 ई.
D. कलि संवत्सर4. 58 ई. पू.
  1. A – 2, B – 4, C – 5, D – 1
  2. A – 1, B – 3, C – 2, D – 4
  3. A – 4, B – 5, C – 2, D – 3
  4. A – 4, B – 3, C – 2, D – 1

उत्तर- (D)

व्याख्या :- विक्रम संवत = प्रायः माना जाता है कि विक्रमी संवत् का आरम्भ 58 ई. पू. में हुआ था। शक संवत = शक संवत् राष्ट्रीय शाके अथवा शक संवत भारत का राष्ट्रीय कलैण्डर है। यह 78 ईसवी से प्रारम्भ हुआ था। गुप्त संवत = चंद्रगुप्त प्रथम ने अपने शासन काल में एक नया संवत चलाया ,जिसे गुप्त संवत कहा जाता है। यह संवत गुप्त सम्राटों के काल तक ही प्रचलित रहा बाद में उस का चलन नहीं रहा। चन्द्रगुप्त प्रथम ने एक संवत ‘गुप्त संवत’ (319-320 ई.) के नाम से चलाया। कलि संवत = कलियुग संवत भारत का प्राचीन संवत है जो 3102 ई.पू.से आरम्भ होता है। इस संवत की शुरुआत पांडवो के द्वारा अभिमन्यु के पुत्र परिक्षित को सिँहासनारुढ़ करके स्वयं हिमालय की और प्रस्थान करने एंव भगवान श्रीकृष्ण के वैकुण्ठ जाने से मानी जाती है।

15. पुलकेशिन-I का वादामी शिलालेख शक वर्ष 465 का दिनांकित है। यदि इसे विक्रम संवत में दिनांकित करना हो तो वर्ष होगा- [UPSC – 1997]

  1. 600
  2. 300
  3. 330
  4. 407

उत्तर- (A)

व्याख्या :- पुलकेशिन-I का वादामी शिलालेख शक वर्ष 465 का दिनांकित है। यदि इसे विक्रम संवत में दिनांकित करना हो तो वर्ष 600 होगा।

General introduction to history Objective Question Answer in Hindi

16. विक्रमी संवत 2070 को ईसवी संवत में रूपांतरित करने पर मान होगा-

  1. 2070 ई. पू.
  2. 2070 ई.
  3. 2013 ई. पू.
  4. 2013 ई.

उत्तर- (D)

व्याख्या :- विक्रम संवत् या विक्रमी भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित हिन्दू पंचांग है। ईसवी सन और विक्रम सम्वत में 57 वर्षों का अंतर है। ईसवी सन 2013 में विक्रम संवत 2070 चल रहा था।

17. कैलेण्डर में वि. सं. 2063 लिखा हुआ है तो शके (शक संवत) क्या होगा? [RPSC – 2011]

  1. 1908 शाके
  2. 1918 शाके
  3. 1928 शके
  4. 1938 शाके

उत्तर- (C)

व्याख्या :- विक्रम संवत व शक संवत में आपस में अंतर 57 + 78 = 135 वर्ष का अंतर है। अत: 2063-135 = 1928।

18. प्रागैतिहास का अंत एवं इतिहास का आरंभ तब माना जाता है जब –

  1. मानव ने चलना सीखा
  2. मानव ने एक-दूसरे से बातचीत करना सीखा
  3. मानव ने लिखना सीखा
  4. मानव ने घर बनाकर रहना सीखा

उत्तर- (C)

व्याख्या :- प्रागैतिहास का अंत एवं इतिहास का आरंभ तब माना जाता है जब मानव ने लिखना सीखा।

19. इतिहास के तहत अध्ययन किया जाता है-

  1. अतीत का
  2. समाज का
  3. शासन का
  4. पर्यावरण का

उत्तर- (A)

व्याख्या :- इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है। दूसरे शब्दों में मानव की विशिष्ट घटनाओं का नाम ही इतिहास है।

20. पुरातत्व में स्तर-विन्यास पद्धति (Stratigraphy) निम्नलिखित में किसको समझने के लिए प्रयुक्त की जाती है? [UPSC – 2011]

  1. किसी संस्कृति के विस्तार की सीमा
  2. भौतिक अवशेष के क्रमिक निक्षेप
  3. बस्ती निवासियों के शारीरिक लक्षण
  4. दुधारू पशुओं की सांख्यिक सम्पति

उत्तर- (B)

व्याख्या :- किसी भी पुरातात्विक स्थल का उत्खनन स्तर-विन्यास के सिद्धांत पर आधारित है। इस तिथि निर्धारण पद्धति का मूल सिद्धांत यह है कि सभी जीवित प्राणी (इनमें पेड़-पौषे भी शामिल है) वायुमंडल से रेडियोधर्मी कार्बन, ‘कार्बन-14’ ग्रहण करते हैं। जब प्राणी की मृत्यु हो जाती है तब एक ज्ञात दर के अनुसार रेडियोधर्मी कार्बन का क्षय होता है, जिससे वह सामान्य कार्बन ‘कार्बन-12’ में बदल जाता है। अत: किसी प्राचीन वस्तु में बचे हुए रेडियोधर्मी कार्बन के परिणाम की गणना करके यह हिसाब लगाना सम्भव हो जाता है कि वह कितने वर्ष पूर्व जीवित प्राणी का अंश था।

इतिहास का सामान्य परिचय MCQ प्रश्न उत्तर और व्याख्या

21. कार्बन-14 तिथि – निर्धारण पद्धति का विकास किया-

  1. हेरोडोटस ने
  2. हीगेल ने
  3. वी. ए. स्मिथ ने
  4. विलर्ड लिब्बी ने

उत्तर- (D)

व्याख्या :- रेडियोकार्बन तिथि निर्धारण : सन 1949 में रसायनशास्त्री विलर्ड लिबी के द्वारा रेडियोकार्बन विधि का आविष्कार किया गया। पुरातत्व में सबसे अधिक उपयोग होता है। वायुमंडल में कार्बन-12 (सी-12 सामान्य कार्बन) तथा कार्बन-14 (सी-14 कार्बन का एक रेडियोधर्मी समस्थानिक) के बीच का अनुपात अपरिवर्तनशील रहता है। अन्तरिक्षीय विकिरण का वायुमंडल में विद्यमान नाइट्रोजन के साथ प्रतिक्रिया होने से कार्बन-14 का निर्माण होता है।

22. काष्ठ, अस्थि और शंख के पुरातत्वीय नमूनों का काल-निर्धारण करने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा अपनाया जाता है? [UPSC – 1993]

  1. कार्बन – 14
  2. ऑर्गन – 40 आइसोटोप
  3. स्ट्रांशियम-90
  4. युरेनियम – 238

उत्तर- (A)

व्याख्या :- काष्ठ, अस्थि, शंख तथा अन्य पुरातात्विक जीवाश्मों के काल निर्धारण या प्राचीनता का पता लगाने हेतु रेडियो एक्टिव समस्थानिक कार्बन-14 (C-14) का प्रयोग किया जाता है। पृथ्वी तथा पुरानी चट्टानों की आयु का पता लगाने हेतु युरेनियम-238 (U-238) रेडियोएक्टिव समस्थानिक का तथा कोबाल्ट – 60 (Co-60) का प्रयोग कैंसर के उपचार में किया जाता है।

23. कार्बन डेटिंग निम्न की आयु-निर्धारण हेतु प्रयुक्त होती है- [Utt. PSC – 2008]

  1. जीवाश्म
  2. पौधे
  3. चट्टाने
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (A)

व्याख्या :- कार्बन डेटिंग जीवाश्म की आयु-निर्धारण हेतु प्रयुक्त होती है।

24. प्रथम यूनानी इतिहासकार कौन था? [NET/JRF 2005, 2009, 2013]

  1. थ्यूसीडाईडिस
  2. हेरोडोटस
  3. मानेथो
  4. होमर

उत्तर- (B)

व्याख्या :- यूनान के प्रथम इतिहासकार एवं भूगोलवेत्ता हेरोडोटस थे। इन्होने अपने इतिहास का विषय पेलोपोनेसियन युद्ध को बनाया था। इन्होने हीस्टोरिका नामक पुस्तक लिखी।

25. द हिस्ट्रीज’ (The Histories) के रचनाकार का नाम है-

  1. हेरोडोटस
  2. मेगस्थनीज
  3. प्लूटार्क
  4. प्लिनी

उत्तर- (A)

व्याख्या :- द हिस्ट्रीज’ (The Histories) के रचनाकार का नाम हेरोडोटस है। विदित है कि हेरोडोटस को इतिहास का पिता कहा जाता है।

26. इतिहास के पिता (The Father of History) की पदवी सही अर्थों में निम्न में किससे संबंधित है? [RAS/RTS 1994-95, UPJSE- 2018]

  1. हेरोडोटस
  2. यूरीपिडिज
  3. थ्यूसीडाइडिस
  4. सुकरात

उत्तर-  (A)

व्याख्या :- हेरोडोटस को इतिहास का पिता कहा जाता है। यूनान के प्रथम इतिहासकार एवं भूगोलवेत्ता हेरोडोटस थे। इन्होने अपने इतिहास का विषय पेलोपोनेसियन युद्ध को बनाया था। इन्होने हीस्टोरिका नामक पुस्तक लिखी।

27. ‘इतिहास अपने को दोहराता है” – यह किसका कथन है?

  1. हीगेल
  2. कार्ल मार्क्स
  3. कल्हण
  4. बरनी

उत्तर- (B)

व्याख्या :- काल मार्क्स का कथन है कि ”इतिहास अपने को दोहराता है पहले त्रासदी के रूप में दूसरी बार प्रहसन की तरह”।

28. निम्नलिखित में से किसने स्पष्टतया कहा कि ”इतिहास के समस्त निष्कर्ष युक्तिसंगत साक्ष्यों पर आधारित है”? [NET/JRF 2012]

  1. हेरोडोटस
  2. थ्यूसीडाइडिस
  3. पॉलीबियस
  4. टैसिटस

उत्तर- (B)

व्याख्या :- थ्यूसीडाइडिस ने स्पष्टत: यह कहा है कि इतिहास के समस्त निष्कर्ष युक्ति संगत साक्ष्यों पर आधारित होते हैं।

29. ‘हम इतिहास से यही सीखते हैं कि आदमी इतिहास से कभी कुछ नहीं सीखता” – यह कथन किसका है?

  1. हीगेल
  2. कार्ल मार्क्स
  3. जे. बी. ब्युरी
  4. ई. एच. कार

उत्तर- (A)

व्याख्या :- “हमने इतिहास से यह सीखा है कि हमने इतिहास से कुछ नहीं सीखा।” ये कथन ‘हीगल’ का है। ‘हीगल’ एक जर्मनी का दार्शनिक था, जिसका जन्म 1770 में हुआ था। हीगल ने दर्शन और राजनीति के संबंध में अनेक विचारों का प्रतिपादन किया था।

30. निम्नलिखित में से किसने द्वंद्वात्मक भौतिकवाद के सिद्धांत का प्रतिपादन किया? [TGT – 2016]

  1. हीगल
  2. मार्क्स
  3. एंजिल्स
  4. लेनिन

उत्तर- (B)

व्याख्या :- द्वंदात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत मार्क्स के संपूर्ण चिंतन का मूल आधार है। द्वंद का विचार मार्क्स ने हीगल से ग्रहण किया तथा भौतिकवाद का विचार फ्यूअरबाख से लिया। क्योंकि इस सिद्धांत का प्रतिपादन दो विचारों द्वंद तथा भौतिकवाद के सम्मिश्रण से हुआ है।

इतिहास का सामान्य परिचय MCQ [Free PDF] : प्रश्न उत्तर और व्याख्या

31. तिथियों के साथ प्रयुक्त होने वाला B.C. किसका संक्षिप्ताक्षर है?

  1. विफोर क्राइस्ट (Before Christ)
  2. ब्रिटिश कोलम्बिया (British Columbia)
  3. ब्रिटिश काउंसिल (British Council)
  4. बुकिंग क्लर्क (Booking Clerk)

उत्तर- (A)

व्याख्या :- BC का फुल फॉर्म Before Christ होता है। BC का मतलब ईसा मसीह के जन्म के पहले से है।

32. किसका कथन है – ”समस्त इतिहास वर्ग- संघर्ष का इतिहास है?”

  1. कार्ल मार्क्स
  2. जे. बी. ब्युरी
  3. कॉलिंगवुड
  4. ई. एच. कार

उत्तर- (A)

व्याख्या :- मार्क्सवाद के शिल्पकार कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंजेल्स ने लिखा है, ‘ अब तक विद्यमान सभी समाजों का लिखित इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास है।’ मार्क्स द्वारा प्रतिपादित वर्ग-संघर्ष का सिद्धांत ऐतिहासिक भौतिकवाद की ही उपसिधि है ओर साथ ही यह अतिरिक्त मूल्य के सिद्धांत के अनुकूल है।

33. निम्नलिखित में से कौन- सा एक इतिहास के विषय में मार्क्स के दृष्टिकोण का संक्षिप्त वर्णन करता है? [CDS – 2010]

  1. इतिहास विभिन्न व्यक्तियों के बीच मुद्दों का अभिलेख है
  2. इतिहास शोषक और शोधित वर्गों के बीच संघर्ष का सिलसिला है
  3. इतिहास अतीत की घटनाओं का विश्वसनीय अभिलेख है
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (B)

व्याख्या :- मार्क्स एक साम्यवादी आलोचक थे जिन्होंने वर्ग संघर्ष के सिद्धांत को प्रमुखता दी। उन्होंने इतिहास को वर्ग संघर्ष की प्रक्रिया की उपज बताया।

34. तिथियों के साथ प्रयुक्त होनेवाले ए. डी. (A.D.) का पूर्ण रूप होता है –

  1. एनो डॉमिनी (Anno Domini)
  2. असिस्टेंट डायरेक्टर (Assistant Director)
  3. एक्नॉलेजमेंट ड्यू (Acknowledgement Due)
  4. आफ्टर डेट (After Date)

उत्तर- (A)

व्याख्या :- AD का फुल फॉर्म Anno Domini होता है। AD का मतलब ईसा मसीह के जन्म के बाद की तारीख से है।

35. वर्ष 50 ई. पू.-

  1. वर्ष 150 ई. पू. के पहले आता है
  2. वर्ष 150 ई. पू. के बाद आता है
  3. जिस वर्ष में वर्ष 150 ई. पू. आता है
  4. जिस दशक में वर्ष 150 ई. पू. आता है

उत्तर- (B)


इतिहास का सामान्य परिचय प्रश्न उत्तर व्यख्या के साथ

36. कार्ल मार्क्स ने वर्ग-संघर्ष की प्रक्रिया को निम्नलिखित में से किस सिद्धांत की मदद से समझाया है? [UPSC – 2011]

  1. आधुनिकवाद उदारवाद
  2. अस्तित्ववाद
  3. डार्विन का विकासवाद
  4. द्वंद्वात्मक भौतिकवाद

उत्तर- (D)

व्याख्या :- द्वंदात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत मार्क्स के संपूर्ण चिंतन का मूल आधार है। द्वंद का विचार मार्क्स ने हीगल से ग्रहण किया तथा भौतिकवाद का विचार फ्यूअरबाख से लिया। क्योंकि इस सिद्धांत का प्रतिपादन दो विचारों द्वंद तथा भौतिकवाद के सम्मिश्रण से हुआ है।

37. ‘इतिहास विगत की राजनीति है” – यह कथन किसका है? [NET/JRF 2004, 2013]

  1. स्टब्स
  2. कार्लायल
  3. सीले
  4. ट्रेवेलियन

उत्तर- (C)

व्याख्या :- इतिहास और राजनीति विज्ञान के बीच के संबंध में, स्वर्गीय सर जॉन सीले द्वारा कहा गया है कि इतिहास के बिना राजनीति का कोई मूल नहीं है और राजनीति के बिना इतिहास का कोई फल नहीं है। जॉन सीले एक निबंधकार (राजनीतिक) और इतिहासकार थे।

38. सुमेलित कीजिए: [NET/JRF – 2013]

सूची-I (लेखक)सूची – II (इतिहास की परिभाषा)
A. ओकशाट1. सम्पूर्ण इतिहास विचारों का इतिहास है।
B. ट्रैवेलियन2. इतिहास स्वत: मात्र एक विज्ञान है। इससे कम नहीं और इससे अधिक नहीं।
C. कॉलिंगवुड3. सच यह है…….. कि इतिहास में अतीत वर्तमान के साथ बदलता है।
D. ब्यूरी4. इतिहास का महत्व वैज्ञानिक नहीं है।
  1. A – 3, B – 4, C – 1, D – 2
  2. A – 2, B – 3, C – 4, D – 1
  3. A – 4, B – 2, C – 3, D – 1
  4. A – 4, B – 3, C – 1, D – 2

उत्तर- (A)

39. किस इतिहास दर्शनशास्त्री ने कहा था ”समस्त इतिहास समकालीन इतिहास है”? [NET/JRF – 2019]

  1. गायमबतिस्ता विको
  2. बेनेडिटो क्रोचे
  3. ओसवाल्ड स्पेंगलर
  4. ऑगस्टे कोम्टे

उत्तर- (B)

व्याख्या :- इतालवी दार्शनिक बेनेदितो क्रोचे​ ने एक बार कहा था, ‘सभी इतिहास समकालीन इतिहास हैं’ और समकालीन पूर्वाग्रहों के दृष्टिकोण से लिखा गया है। उन्होंने कहा कि ‘समकालीन इतिहास’ आमतौर पर एक निकट अतीत को संदर्भित करता है। वास्तविकता में समकालीन इतिहास वह होता है जो उस समय शुरू होता है जब मैं एक क्रिया करता हूं, इसे वास्तविक वर्तमान के रूप में परिभाषित किया जाता है: वह बताता है कि इन पृष्ठों को लिखते समय वह समकालीन इतिहास की सीमाओं के भीतर है।

40. ‘इतिहास अतीत एवं वर्तमान के बीच अंतहीन वार्ता है” यह किसने कहा था? [NET/ JRF- 2016, Bihar judiciary Service – 2016]

  1. ई. एच. कार
  2. चार्ल्स फर्थ
  3. कार्ल मार्क्स
  4. वी. ए. स्मिथ

उत्तर- (A)

व्याख्या :- ‘इतिहास अतीत एवं वर्तमान के बीच अंतहीन वार्ता है” यह ई. एच. कार ने कहा था। एडवर्ड हल्लेत्त को कार की उपाधि ब्रिटिश साम्राज्य के आदेशानुसार दी गयी थी, वे एक यथार्थवादी थे लेकिन बाद में मार्क्सवादी बन गए। वे एक प्रसिद्ध ब्रिटिश इतिहासकार, पत्रकार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विचारक और इतिहास के भीतर अनुभववाद के एक प्रतिद्वंद्वी के रूप में जाने जाते हैं।

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सिंधु घाटी सभ्यता MCQ Free PDF : प्रश्न उत्तर, विवरण और फ्री पीडीऍफ़

सिंधु घाटी सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित एक प्राचीन सभ्यता थी। इसे सिंधु-सरस्वती सभ्यता भी कहा जाता है, क्योंकि इसके प्रमुख स्थान सिंधु और सरस्वती नदी के क्षेत्र में थे। सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों में से कई स्थानों पर खुदाई हुई है, जैसे कि मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, रखीगढ़ी, लोथल, दीक्षित, और कलीबंगन। इन स्थलों से मिले आवशेषों ने इस सभ्यता की सामाजिक और सांस्कृतिक जीवनशैली के बारे में हमें जानकारी प्रदान की है। इसका अध्ययन आधुनिक भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह एक प्राचीन और समृद्धिशील सभ्यता थी जिसने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की थी। आईये सिंधु घाटी सभ्यता से महत्वपूर्ण MCQ प्रश्न उत्तर पढ़ते हैं और सबका Free PDF डाउनलोड करते हैं।

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सिंधु घाटी सभ्यता वस्तुनिष्ट प्रश्न उत्तर और व्याख्या (MCQ with Answer and Explanation)

1. ‘सिंध का नखलिस्तान / बाग’ हड़प्पा सभ्यता के किस पुरास्थल को कहा गया?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. कालीबंगा
  4. लोथल

उत्तर- (B)

व्याख्या :- मोहनजोदड़ो को ‘सिंध का बाग’, ‘मुर्दों का टीला’ तथा ‘नखलिस्तान’ भी कहा जाता है।

2. ‘हड़प्पा सभ्यता के सम्पूर्ण क्षेत्र का आकार किस प्रकार का था ?

  1. वर्गाकार
  2. आयताकार
  3. त्रिभुजाकार
  4. गोलाकार

उत्तर- (C)

व्याख्या :- इसका फैलाव उत्तर में मांडा में रावी नदी के तट से लेकर दक्षिण में दैमाबाद (महाराष्ट्र) तक और पश्चिम में बलूचिस्तान के मकरान समुद्र तट के सुत्कागेनडोर पाक के सिंंध प्रांत से लेकर उत्तर पूर्व में आलमगिरपुुुर में हिरण्‍‍य तक मेरठ और कुरुक्षेत्र तक था। प्रारंभिक विस्तार जो प्राप्त था उसमें सम्पूर्ण क्षेत्र त्रिभुजाकार था (उत्तर में जम्मू के माण्डा से लेकर दक्षिण में गुजरात के भोगत्रार तक और पश्चिम में अफगानिस्तान के सुत्कागेनडोर से पूर्व में उत्तर प्रदेश के मेरठ तक था और इसका क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किलोमीटर था।) इस तरह यह क्षेत्र आधुनिक पाकिस्तान से तो बड़ा है ही, प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया से भी बड़ा है।

3. काष्ठ, अस्थि और शंख के पुरातत्वीय नमूनों का काल-निर्धारण करने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा अपनाया जाता है?
[UPSC – 1993]

  1. कार्बन – 14
  2. ऑर्गन – 40 आइसोटोप
  3. स्ट्रांशियम-90
  4. युरेनियम – 238

उत्तर- (A)

व्याख्या :- काष्ठ, अस्थि, शंख तथा अन्य पुरातात्विक जीवाश्मों के काल निर्धारण या प्राचीनता का पता लगाने हेतु रेडियो एक्टिव समस्थानिक कार्बन-14 (C-14) का प्रयोग किया जाता है। पृथ्वी तथा पुरानी चट्टानों की आयु का पता लगाने हेतु युरेनियम-238 (U-238) रेडियोएक्टिव समस्थानिक का तथा कोबाल्ट – 60 (Co-60) का प्रयोग कैंसर के उपचार में किया जाता है।

4. कार्बन डेटिंग निम्न की आयु-निर्धारण हेतु प्रयुक्त होती है-
[Utt. PSC – 2008]

  1. जीवाश्म
  2. पौधे
  3. चट्टाने
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (A)

व्याख्या :- कार्बन डेटिंग जीवाश्म की आयु-निर्धारण हेतु प्रयुक्त होती है।

5. प्रागैतिहास का अंत एवं इतिहास का आरंभ तब माना जाता है जब –

  1. मानव ने चलना सीखा
  2. मानव ने एक-दूसरे से बातचीत करना सीखा
  3. मानव ने लिखना सीखा
  4. मानव ने घर बनाकर रहना सीखा

उत्तर- (C)

व्याख्या :- प्रागैतिहास का अंत एवं इतिहास का आरंभ तब माना जाता है जब मानव ने लिखना सीखा।

6. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए :

सूची-I (स्थल)सूची-II (नदी)
A. हड़प्पा1. रावी
B. मोहनजोदड़ो2. सिंधु
C. लोथल3. भोगवा
D. कालीबंगा4. घग्घर

 

  1. A—1, B—2, C—3, D—4
  2. A—2, B—1, C—4, D—3
  3. A—4, B—3, C—2, D—1
  4. A—1, B—2, C—4, D—3

उत्तर- (A)

व्याख्या :- हड़प्पा, रावी नदी के किनारे, जबकि मोहनजोदड़ों सिन्धु नदी के किनारे पर अवस्थित है। सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख स्थल लोथल है जो कि वर्तमान गुजरात में स्थित है यह भोगवा नदी के किनारे स्थित है, साबरमती नदी का प्राचीन नाम भोगवा है। सिंधु घाटी सभ्यता का स्थल कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी के बाएं तट पर स्थित है।

7. हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत हल से जोते गये खेत का साक्ष्य कहाँ से मिला है?

  1. रोपड़
  2. लोथल
  3. अणावली
  4. कालीबंगा

उत्तर- (D)

व्याख्या :- कालीबंगा में हवनकुंड तथा बलि प्रथा, जोते हुए खेल (हल के साक्ष्य), अलंकृत ईंट और भू-कम्पन के प्रमाण मिले हैं।

8. सैंधव सभ्यता की ईटों का अलंकरण किस स्थान से मिला है? [RRB मुंबई TC 2005]

  1. कालीबंगा
  2. चन्हूदड़ो
  3. मोहनजोदड़ो
  4. बणावली

उत्तर- (A)

व्याख्या :-  कालीबंगन में हवनकुंड तथा बलि प्रथा, जोते हुए खेल (हल के साक्ष्य), अलंकृत ईंट और भू-कम्पन के प्रमाण मिले हैं।

यह भी पढ़ें- 

9. मोहनजोदड़ो कहाँ स्थित है?  [RRB मुंबई/भोपाल CC 2003]

  1. उत्तर प्रदेश
  2. पंजाब
  3. सिंध
  4. गुजरात

उत्तर- (C)

व्याख्या :- मोहन जोदड़ो पाकिस्तान के सिन्ध प्रांत का एक पुरातात्विक स्थल है। सिन्धु घाटी सभ्यता के अनेकों अवशेष यहाँ से प्राप्त हुए हैं।

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10. हड़प्पा में एक उन्नत जल-प्रबंधन प्रणाली का पता चलता है
[46वीं BPSC 2004]

  1. धौलावीरा में
  2. लोथल में
  3. कालीबंगन में
  4. आलमगीरपुर में

उत्तर- (A)

व्याख्या :- धौलावीरा स्थल की खुदाई से एक विशाल सैन्धवकालीन नगर के अवशेष का और एक उन्नत जल प्रबन्धन प्रणाली का पता चला है। धौलावीरा गांव खडीर द्वीप के उत्तरी- पश्चिमी किनारे पर बसा है।

11. हड़प्पा के मिट्टी के बर्तनों पर सामान्यतः किस रंग का उपयोग हुआ था?
[40वीं BPSC 1995]

  1. लाल
  2. नीला-हरा
  3. पांडु
  4. नीला

उत्तर- (A)

व्याख्या :- हड़प्पा का पुरास्थल पाकिस्तान के साहीवाल जिले में, रावी नदी के बायें तट पर, नदी से लगभग 3.60 किमी. हटकर स्थित है। हड़प्पा से प्राप्त मिट्टी के सामान्यतः लाल रंग के हैं।

12. सिन्धु सभ्यता निम्नलिखित में से किस युग में पड़ता है?
[39वीं BPSC 1994]

  1. ऐतिहासिक काल (Historical Period)
  2. प्रागतिहासिक काल (Pre-Historical Period)
  3. उत्तर-प्रागैतिहासिक काल (Post-Historical Period)
  4. आद्य ऐतिहासिक काल (Proto-Historical Period)

उत्तर- (D)

व्याख्या :- एतिहासिक काल का निर्धारण पठनीय लेखन कला के ज्ञान के आधार पर किया जाता है। लेखन कला के ज्ञान से पहले का कालखंड प्रागैतिहासिक कालखंड होता है। भारतीय इतिहास में 2500 BC से 600 BC का कालखंड आद्य-एतिहासिक माना गया है। सैंधव सभ्यता आद्य-एतिहासिक काल की सभ्यता है, क्योंकि यहाँ पर लेखन कला का ज्ञान तो है, परन्तु अभी तक इसे पढ़ा नहीं जा सका है।

13. सिंधु घाटी सभ्यता की विकसित अवस्था में निम्नलिखित में से किस स्थल में घरों में कुँओं के अवशेष मिले हैं?
[UPPCS 2004]

  1. हडपा
  2. कालीबंगा
  3. लोथल
  4. मोहनजोदड़ो

उत्तर- (D)

व्याख्या :- मोहन जोदड़ो की जल निकास प्रणाली अद्भुत थी। लगभग हर नगर के हर छोटे या बड़े मकान में प्रांगण और स्नानागार होता था। कालीबंगां के अनेक घरों में अपने-अपने कुएं थे। घरों का पानी बहकर सड़कों तक आता जहां इनके नीचे मोरियां (नालियां) बनी थीं। अक्सर ये मोरियां ईंटों और पत्थर की सिल्लियों से ढकीं होती थीं।

14. सिंधु घाटी सभ्यता को खोज निकालने में जिन दो भारतीय का नाम जुड़ा है
[CPSC 2003]

  1. दयाराम साहनी एवं राखालदास बनर्जी
  2. जान मार्शल एवं ईश्वरी प्रसाद
  3. आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव एवं रंगनाथ राव
  4. माधोस्वरूप वत्स एवं वी० बी० राव

उत्तर- (A)

व्याख्या :- सिंधु घाटी सभ्यता को खोज निकालने में जिन दो भारतीयों का नाम जुड़ा है ,वे हैं. राखालदास बनर्जी तथा दयाराम सहानी।

15. रंगपुर जहाँ हड़प्पा की समकालीन सभ्यता थी, है –
[RAS/RTS 1999-2000]

  1. पंजाब में
  2. उत्तर प्रदेश में
  3. सौराष्ट्र में
  4. राजस्थान में

उत्तर- (C)

व्याख्या :- सौराष्ट्र भारत के गुजरात प्रान्त का एक उपक्षेत्र है जो ज्यादातर अर्धमरुस्थलीय है। सौराष्ट्र, वर्तमान काठियावाड़-प्रदेश, जो प्रायद्वीपीय क्षेत्र है।

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16. सिंधु सभ्यता में वृहत् स्नानागार पाया गया है   [RRB कोलकाता ASM/GG 2005]

  1. हड़प्पा में
  2. मोहनजोदड़ो में
  3. लोथल में
  4. कालीबंगा में

उत्तर- (B)

व्याख्या :- मोहनजोदड़ो से प्राप्त वृहत स्नानागार एक प्रमुख स्मारक है, जिसके मध्य स्थित स्नानकुंड 11.48 मीटर लंबा 7.01 मीटर चौड़ा एवं 2.43 मीटर गहता है।

17. सिंधु सभ्यता की मुद्रा में किस देवता के रामतुल्य चित्रांकन मिलता है?   [RRB गोरखपुर ASM/GG 2005]

  1. आद्य शिव
  2. आद्य ब्रह्मा
  3. अद्य विष्णु
  4. आद्य इन्द्र

उत्तर- (A)

व्याख्या :- कुछ मुहरों पर एक आकृति जिसे पालथीमार कर योगी की मुद्रा में बैठा दिखाया गया हैऔर कभी-कभी जिसेजानवरों से घिरा दिखाया गया है, को आद्य शिव, अर्थात हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक का आरंभिक रूप की संज्ञा दी गई है।

18. निम्नलिखित में से कौन-सा हड़प्पाकालीन स्थल गुजरात में था ?
[RRB रांची Tech. 2005]

  1. कालीबंगा
  2. रोपड़
  3. वणावली
  4. लोथल

उत्तर- (D)

व्याख्या :- लोथल प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण शहर है। लगभग 2400 ईसापूर्व पुराना यह शहर भारत के राज्य गुजरात के भाल क्षेत्र में स्थित है। कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थल है।

19. मोहनजोदड़ो को किस एक अन्य नाम से भी जाना जाता है ?
[RRB मुंबई/भोपाल Tech. 2004, SSC MP JEE 2014]

  1. जीवितों का टीला (Mound of Living)
  2. कंकालों का टीला (Mound of Skeletons)
  3. दासों का टीला (Mound of Slaves)
  4. मृतकों का टीला (Mound of Dead)

उत्तर- (D)

व्याख्या :- मोहनजोदड़ो को ‘सिंध का बाग’, ‘मुर्दों का टीला’ तथा ‘नखलिस्तान’ भी कहा जाता है।

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20. हड़प्पा सभ्यता का प्रचलित नाम है।

  1. सिंधु सभ्यता
  2. लोथल सभ्यता
  3. सिन्धु घाटी की सभ्यता
  4. मोहनजोदड़ो की सभ्यता

उत्तर- (D)

व्याख्या :- हड़प्पा सभ्यता का प्रचलित नाम सिन्धु घाटी की सभ्यता है। इस सभ्यता को 1921 में सर्वप्रथम हड़प्पा नामक स्थान पर ही दयाराम साहनी की देखरेख में खुदाई के माध्यम से इस सभ्यता की खोज की गई थी।

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21. सैंधव स्थलों के उत्खनन से प्राप्त मुहरों पर निम्नलिखित में से किस पशु का सर्वाधिक उत्कीर्णन हुआ है?

  1. शेर
  2. घोड़ा
  3. बैल
  4. हाथी

उत्तर- (C)

व्याख्या :- कुबङवाला बैल का चित्रांकन मोहरों पर अधिक मिलता है तथा एकश्रृंगी बैल का चित्र भी मिलता है। जो पशुपूजा की ओर संकेत करते हैं।

22. सिंधु घाटी सभ्यता जानी जाती है।

  1. अपने नगर नियोजन के लिए
  2. मोहनजोदड़ो एवं हड़प्पा के लिए
  3. अपने कृषि संबंधी कार्यों के लिए
  4. अपने उद्योगों के लिए

उत्तर- (A)

व्याख्या :- सिंधु सभ्यता सैंधवकालीन नगरीय सभ्यता थी. सैंधव सभ्‍यता से प्राप्‍त परिपक्‍व अवस्‍था वाले स्‍थलों में केवल 6 को ही बड़े नगरों की संज्ञा दी गई है. ये हैं: मोहनजोदड़ों, हड़प्पा, गणवारीवाला, धौलवीरा, राखीगढ़ और कालीबंगा

23. सिंधु सभ्यता का कौन-सा स्थान भारत में स्थित है?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. लोथल
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (C)

व्याख्या :- लोथल प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण शहर है। लगभग 2400 ईसापूर्व पुराना यह शहर भारत के राज्य गुजरात के भाल क्षेत्र में स्थित है।

24. कैलेण्डर में वि. सं. 2063 लिखा हुआ है तो शके (शक संवत) क्या होगा?
[RPSC – 2011]

  1. 1908 शाके
  2. 1918 शाके
  3. 1928 शके
  4. 1938 शाके

उत्तर- (C)

व्याख्या :- विक्रम संवत व शक संवत में आपस में अंतर 57 + 78 = 135 वर्ष का अंतर है। अत: 2063-135 = 1928

25. पुरातत्व में स्तर-विन्यास पद्धति (Stratigraphy) निम्नलिखित में किसको समझने के लिए प्रयुक्त की जाती है?
[UPSC – 2011]

  1. किसी संस्कृति के विस्तार की सीमा
  2. भौतिक अवशेष के क्रमिक निक्षेप
  3. बस्ती निवासियों के शारीरिक लक्षण
  4. दुधारू पशुओं की सांख्यिक सम्पति

उत्तर- (A)

व्याख्या :- किसी भी पुरातात्विक स्थल का उत्खनन स्तर-विन्यास के सिद्धांत पर आधारित है। इस तिथि निर्धारण पद्धति का मूल सिद्धांत यह है कि सभी जीवित प्राणी (इनमें पेड़-पौषे भी शामिल है) वायुमंडल से रेडियोधर्मी कार्बन, ‘कार्बन-14’ ग्रहण करते हैं। जब प्राणी की मृत्यु हो जाती है तब एक ज्ञात दर के अनुसार रेडियोधर्मी कार्बन का क्षय होता है, जिससे वह सामान्य कार्बन ‘कार्बन-12’ में बदल जाता है। अत: किसी प्राचीन वस्तु में बचे हुए रेडियोधर्मी कार्बन के परिणाम की गणना करके यह हिसाब लगाना सम्भव हो जाता है कि वह कितने वर्ष पूर्व जीवित प्राणी का अंश था।

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26. कार्बन – 14 तिथि – निर्धारण पद्धति का विकास किया-

  1. हेरोडोटस ने
  2. हीगेल ने
  3. वी. ए. स्मिथ ने
  4. विलर्ड लिब्बी ने

उत्तर- (D)

व्याख्या :- रेडियोकार्बन तिथि निर्धारण : सन 1949 में रसायनशास्त्री विलर्ड लिबी के द्वारा रेडियोकार्बन विधि का आविष्कार किया गया। पुरातत्व में सबसे अधिक उपयोग होता है।

27. हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की पुरातात्विक खुदाई के प्रभारी थे
[RAS/RTS 1998]

  1. लाई मैकाले
  2. सर जान मार्शल
  3. लाई क्लाइव
  4. कर्नल टाड

उत्तर- (B)

व्याख्या :- सर जॉन हुबर्ट मार्शल (19 मार्च 1876, चेस्टर, इंग्लैण्ड – 17 अगस्त 1958, गिल्डफोर्ड, इंग्लैण्ड) 1902 से 1928 तक भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक थे।

28. हड़प्पावासी किस धातु से परिचित नहीं थे?

  1. सोना एवं चांदी
  2. तांबा एवं कांसा
  3. टीन एवं सीसा
  4. लोहा

उत्तर- (D)

व्याख्या :- हड़प्पा सभ्यता एक कांस्ययुगीन सभ्यता थी। यहां से तांबा, कांसा, स्वर्ण और चांदी आदि धातुएं तो मिली हैं परंतु लोहे की प्राप्ति नहीं हुई है। वस्तुत: हड़प्पाकालीन लोग लोहे से परिचित नहीं थे। भारत में लौह युग का प्रारंभ उत्तर वैदिक काल (लगभग 1000 ई.पू.) से माना जाता है।

29. निम्नलिखित में से किस हड़प्पाकालीन स्थल से युगल शवाधान का साक्ष्य मिला है
[UPPCS (M), 2016]

  1. कुन्तासी
  2. धोलावीरा
  3. लोथल
  4. कालीबंगन

उत्तर- (C)

व्याख्या :- लोथल से बंदरगाह, युगल, शवाधान, हवनकुंड, चावल, फारस की मोहर आदि का प्रमाण मिलता है।

30. कपास का उत्पादन सर्वप्रथम सिन्धु क्षेत्र में हुआ, जिसे ग्रीक या यूनान के लोग किस नाम से पुकारा ?

  1. सिन्डन (Sindon)
  2. कॉटन (Cotton)
  3. ‘a’ एवं ‘b’ दोनों
  4. हड़प्पा

उत्तर- (A)

व्याख्या :- सबसे पहले कपास पैदा करने का श्रेय सिंधु सभ्यता के लोगों को है, इसलिए यूनान के लोग कपास को सिन्डन (sindon) कहने लगे जो सिंधु शब्द से निकला है।



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31. हड़प्पा के काल का ताँबे का रथ किस स्थान से प्राप्त हुआ है ?
[CgPSC(P), 2013]

  1. कुणाल
  2. राखीगढ़ी
  3. दैमावाद
  4. बणावली

उत्तर- (C)

व्याख्या :- हड़प्पाकालीन ताम्र रथ दैमाबाद से प्राप्त हुआ है। यह पुरास्थल महाराष्ट्र प्रान्त में स्थित है।

32. हड़प्पावासी किन-किन धातुओं का आयात करते थे ? उत्तर कूट में दें –

कूट :
1. चाँदी
2. टिन
3. सोना

  1. 1, 2 एवं 3
  2. 1 एवं 2
  3. 1 एवं 3
  4. 2 एवं 3

उत्तर- (A)

व्याख्या :– इस समय तांबे में टिन मिलाकर कांसा तैयार किया जाता था। तांबा राजस्थान के खेतड़ी से, टिन अफ़गानिस्तान से मंगाया जाता था।
1- टिन अफ़गानिस्तान, ईरान
2- ताँबा = खेतड़ी, राजस्थान, बलूचिस्तान
3- चांदी = ईरान, अफ़गानिस्तान
4- सोना = अफ़गानिस्तान, फ़ारस, दक्षिणी भारत
5- लाजवर्द = मेसापोटामिया
6- सेलखड़ी = बलूचिस्तान, राजस्थान, गुजरात
7- नीलरत्न = बदख्क्षां
8- नीलमणि = महाराष्ट्र
9- हरितमणि = दक्षिण एशिया
10- शंख एवं कौड़ियां = सौराष्ट्र, दक्षिणी भारत
11- सीसा = ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, राजस्थान
12- शिलाजीत = हिमालय क्षेत्र

33. हड़प्पावासी लाजवर्द-Lapislazuli- (भवन निर्माण की सामग्री) का आयात कहाँ से करते थे ?

  1. हिन्दुकुश क्षेत्र के बदख्शां से
  2. ईरान से
  3. दक्षिण भारत से
  4. बलूचिस्तान से

उत्तर- (A) 

व्याख्या :- लाजवर्द या राजावर्त (Lapis lazuli) एक मूल्यवान नीले रंग का पत्थर है जो प्राचीनकाल से अपने सुन्दर नीले रंग के लिए पसंद किया जाता है। कई स्रोतों के अनुसार प्राचीन भारतीय संस्कृति में जिन नवरत्नों को मान्यता दी गई थी उनमें से एक लाजवर्द था। अफ़ग़ानिस्तान के बदख़्शान प्रान्त में कोकचा नदी कि वादी में लाजवर्द की सर-ए-संग नामक खान लगभग 3000-4000 ईसापूव से काम कर रही हैं और यहाँ पास के शोरतुगई नामक स्थान पर सिन्धु घाटी सभ्यता की एक व्यापारिक बस्ती भी मिली हैं जिसे ज़रिये सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों तक लाजवर्द पहुँचाया जाता था। लाजवर्द के कुछ स्रोत सुदूर पूर्व में साइबेरिया की बायकल झील के पास भी मिले हैं।

34. अफगानिस्तान स्थित सिंधु सभ्यता के स्थल हैं-

  1. मुंडीगक
  2. शोरतुग़​ई
  3. (a) और (b) दोनों
  4. हड़प्पा

उत्तर- (C)

व्याख्या :- हिन्दुकुश पर्वतमाला के पार अफगानिस्तान में
शोरतुग़​ई – यहाँ से नहरों के प्रमाण मिले है
मुंडीगक जो महत्वपूर्ण है

35. कौन-कौन से नगर सिंधु सभ्यता के बंदरगाह नगर थे ?

  1. लोथल एवं सुत्कागेंडर
  2. अल्लाहदीनो एवं बालाकोट
  3. कुनतासी
  4. इनमें से सभी

उत्तर- (D)

व्याख्या :- गुजरात के लोथल के सरागवाला गाँव से 80 km दूर से हड़प्पा सभ्यता के प्रमाण मिले हैं जो अहमदाबाद जिला में भोगवा नदी पर अवस्थित है। लोथल की खोज 1953 -1956 ई0 में रंगनाथ राव द्वारा किया गया। लोथल से बंदरगाह, युगल, शवाधान, हवनकुंड, चावल, फारस की मोहर आदि का प्रमाण मिलता है। कालीबंगन – राजस्थान के गंगानगर जिला में घग्घर नहीं पर अवस्थित हैं , जिसकी खोज 1953 ई0 में वि. वी. लाल और वी. के. थापर द्वारा की गई। कालीबंगन में हवनकुंड तथा बलि प्रथा, जोते हुए खेल (हल के साक्ष्य), अलंकृत ईंट और भू-कम्पन के प्रमाण मिले हैं।

36. मोहनजोदड़ो से प्राप्त पशुपति शिव/ आद्य शिव मुहर में किन किन जानवरों का अंकन हुआ है ?

  1. व्याघ्र एवं हाथी
  2. गैंडा एवं भैंसा
  3. हिरण
  4. इनमें से सभी

उत्तर- (D)

व्याख्या :- मोहनजोदडो से प्राप्त एक शील पर तीन मुख वाले देवता (पशुपति नाथ) की मूर्ति मिली है। उनके चारों ओर हाथी , गैंडा , चीता एवं भैसा विराजमान है।

37. निम्न में से किस पशु की आकृति जो मुहर पर मिली है, जिससे ज्ञात होता है, कि सिंधु घाटी एवं मेसोपोटामिया की सभ्यताओं के मध्य व्यापारिक संबंध थे
[RAS/RTS 1994-95]

  1. घोड़ा
  2. गधा
  3. बैल
  4. हाथी

उत्तर- (C)

व्याख्या :- मोहनजोदङो से एक मोहर मिली है जिस पर बैल की आकृति है , इस बैल की रक्षा एक शर्प कर रहा है तथा यह बैल एक शत्रु से लड रहा है इस शत्रु की आकृति मनुष्यों की सी है। इस बैल का उस शत्रु से लडने का उद्येश्य यह है कि वह शत्रु को पवित्र वृक्ष के निकट आने से रोक सके। यह मनुष्य शायद कोई दैत्य होगा जिसको हराने की कोशिश की जा रही है।

38. सिंधु घाटी के लोग विश्वास करते थे
[RAS/RTS 1993]

  1. आत्मा और ब्रह्म में
  2. कर्मकाण्ड में
  3. यज्ञ प्रणाली में
  4. मातृशक्ति में

उत्तर- (D)

व्याख्या :- सिंधु घाटी के लोग मातृदेवी की पूजा किया करते थे। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो में असंख्य देवियों की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। ये मूर्तियां मातृदेवी या प्रकृति देवी की हैं।

39. निम्नलिखित में कौन-सा सिंधु स्थल समुद्र तट पर स्थित नहीं था?

  1. सुरकोटड़ा
  2. लोथल
  3. बालाकोट
  4. कोटदीजी

उत्तर- (D)

व्याख्या :- कोटदीजी – इसकी खुदाई वर्ष 1955 में एफ. ए. खान द्वारा करवाई गयी थी। यह स्थल मोहनजोदड़ो के समीप स्थित है। यह समुद्र तट के निकट नहीं है।

40. निम्नलिखित में से कौन मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत मानी जाती है?

  1. विशाल अन्नागार / धान्यकोठार
  2. स्तम्भ हाल
  3. सभा भवन
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (A)

व्याख्या :- मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत अन्न-कोठार है। मोहनजोदड़ो का धान्यागार 45.72 मीटर लंबा तथा 22.86 मीटर चाड़ैा था, जो कि वहां का सबसे बड़ा भवन था। मोहनजोदड़ो के विशाल स्नानागार की उत्तर से दक्षिण की ओर लंबाई 11.88 मीटर तथा पूर्व से पश्चिम की ओर चाड़ैाई 7.01 मीटर थी।

41. हड़प्पाकालीन लोगों ने नगरों में घरों के विन्यास के लिए कौन-सी पद्धति अपनायी – थी ?

  1. कमल पुष्प की आकृति का
  2. गोलाकार आकृति में
  3. ग्रीड पद्धति में
  4. त्रिभुजाकार आकृति में

उत्तर- (C)

व्याख्या :- हड़प्पाकालीन लोगों ने नगरों में घरों के विन्यास के लिए सामान्यतः ग्रीड पद्धति पद्धति अपनायी थी। यहां बड़े बड़े घर, चौड़ी सड़के और बहुत सारे कुएं होना के प्रमाण मिलते हैं। यहां जल और मल निकासी के लिए नालियों के होने के प्रमाण भी मिलते हैं। इससे पता चलता है कि यह नगर वर्तमान के नगरों जैसे ही विकसित और भव्य थे।

42. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए :

सूची-I (प्राचीन स्थल)सूची-II (पुरातत्वीय अवशेष)
 A. लोथल 1. जूता हुआ खेत
 B. कालीबंगन 2. गोदीबाड़ा (Dockyard)
 C. धौलावीर 3. पकी मिट्टी की बनी हुई हल की प्रतिकृति
 D. बनवाली 4. हड़प्पाई लिपि के बड़े आकार के दस चिन्हों वाला एक शिलालेख

 

  1. A—1, B—2, C—3, D—4
  2. A—2, B—1, C—4, D—3
  3. A—1, B—2, C—4, D—3
  4. A—3, B—1, C—4, D—2

उत्तर- ()

43. निम्नलिखित पशुओं में से किस एक का हड़प्पा सभ्यता में पाई मुहरों और टेराकोटा कलाकृतियों में निरूपण / अंकन नहीं हुआ था ?

  1. शेर
  2. हाथी
  3. गैंडा
  4. बाघ

उत्तर- (A)

व्याख्या :- हड़प्पा संस्कृति की मुहरों एवं टेराकोटा कलाकृतियों में शेर का चित्रण नहीं मिलता जबकि हाथी, गैंडा, बाघ, हिरन, भेड़ आदि का अंकन मिलता है।

44. किस हड़प्पाकालीन स्थल से ‘नृत्य मुद्रा वाली स्त्री की कांस्य मूर्ति’ प्राप्त हुई है?

  1. मोहनजोदड़ो से
  2. कालीबंगा से
  3. हड़प्पा से
  4. वणावली से

उत्तर- (A)

व्याख्या :- नर्तकी यह एक कांस्य मूर्ति है जो मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई थी जो सिन्धु घाटी की सभ्यता का एक स्थल है। माना जाता है की इसे 2500 ईसापूर्व के आसपास बनाया गया होगा। मोहनजोदड़ो के एक घर से एक और कांस्य मूर्ति प्राप्त हुई थी जो लगभग इसी की तरह है। भिर्दाना में एक मिटटी के बर्तन पर भी नर्तकी का भित्तिचित्र मिला है। इस मूर्ति की उंचाई 10.5 सेन्टीमीटर है। यह मोहनजोदड़ो के ‘एच आर क्षेत्र’ में 1926 में अर्नेस्ट मैके को प्राप्त हुई थी। यद्यपि यह मूर्ति नृत्य मुद्रा में नहीं है फिर भी ‘नर्तकी’ इसलिये कहा गया क्योंकि इसकी सजावट से लगता है कि इसका व्यवसाय नृत्य होगा। इसके शरीर पर वस्त्र नहीं हैं किन्तु इसके एक हाथ में ऊपर तक चूड़ियाँ हैं।

45. किस हड़प्पाकालीन स्थल से ‘पुजारी की प्रस्तर मूर्ति’ प्राप्त हुई है?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. लोथल
  4. रंगपुर

उत्तर- (A)

व्याख्या :- पुजारी की प्रस्तर मूर्ति’ हड़प्पा से प्राप्त हुई है

46. किस सिंधुकालीन स्थल से एक ईट पर बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पंजों के निशान मिले हैं ?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. चन्हुदड़ो
  4. लोथल

उत्तर- (C)

व्याख्या :- सिन्धुकालीन स्थल चन्हूदड़ो से एक ईट पर बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पंजे के निशाँ मिले हैं।

47. किस हड़प्पाकालीन स्थल से प्राप्त जार पर चोंच में मछली दबाए चिड़िया एवं पेड़ के नीचे खड़ी लोमड़ी का चित्रांकन मिलता है, जो ‘पंचतंत्र ‘ के लोमड़ी की कहानी सदृश्य है?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. लोथल
  4. रंगपुर

उत्तर- (C)

व्याख्या :- लोथल से प्राप्त एक भांड पर ही चालाक लोमड़ी की कथा अंकित है। यहाँ से ममी की आकृति भी प्राप्त हुई है।

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48. स्वातंत्र्योत्तर भारत में सबसे अधिक संख्या में हड़पायुगीन स्थलों की खोज किस प्रांत में हुई है?

  1. गुजरात
  2. राजस्थान
  3. पंजाब और हरियाणा
  4. उत्तर-पश्चिमी उत्तर प्रदेश

उत्तर- (A)

व्याख्या :- स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात हड़प्पा संस्कृति के सर्वाधिक स्थल गुजरात में खोजे गए हैं।

49. सिन्धु घाटी सभ्यता जिन नदियों के तट पर बसी थी, वे थीं-
[UPPCS (Pre) 2009]

1. सिन्धु
2. चिनाब
3. झेलम
4. गंगा

नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
कूट:

  1. 1 और 2
  2. 1,2 और 3
  3. 2, 3 और 4
  4. सभी चारों

उत्तर- (B)

व्याख्या :- सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष पाकिस्तान एवं भारत के पंजाब, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पश्चिमी उ. प्र., जम्मू-कश्मीर के भागों में पाए जा चुके हैं। इस सभ्यता का फैलाव उत्तर में जम्मू से लेकर दक्षिण में नर्मदा के मुहाने तक और पश्चिम में मकरान समुद्र तट से लेकर पश्चिम उत्तर प्रदेश में मेरठ तक है। सभ्यता का सर्वाधिक पश्चिमी पुरास्थल सुत्कागेंडोर, पूर्वी पुरास्थल आलमगीरपुर, उत्तरी पुरास्थल मांडा (कश्मीर) तथा दक्षिण पुरास्थल दैमावाद है।

50. अधिसंख्य हड़प्पा स्थल स्थित है?
[UP UPA/LDA Spl. 2006]

  1. गंगा घाटी में
  2. सिन्धु घाटी में
  3. सरस्वती घाटी में
  4. नर्मदा घाटी में

उत्तर- (B)

व्याख्या :- हड़प्पा सभ्यता के अधिकांश पुरास्थल सिन्धु घाटी में स्थित है जिनका विस्तार पाकिस्तान से लेकर भारतवर्ष तक है। सिन्धु और उसकी सहायक नदी के तट पर आज भी अनेक सिन्धु स्थल मिल रहे हैं।

51. हड़प्पा, मोहनजोदड़ो तथा कालीबंगा में दुर्ग नगर के ……….. में स्थित है।
[UPPCS (Pre) Opt. History 1998]

  1. पूर्व
  2. पश्चिम
  3. उत्तर
  4. दक्षिण

उत्तर- (B)

व्याख्या :- सैन्धव सभ्यता के नगरों में दो टीले प्राप्त हुए हैं। जहाँ दुर्ग का टीला पश्चिम से घिरे हुए हैं। यही नगर विन्यास हड़प्पा, मोहनजोदड़ो एवं कालीबंगा में भी है। केवल कालीबंगा के टीले अलग-अलग रक्षा प्राचीर से घिरे हैं।

52. हड़प्पा सभ्यता का सर्वाधिक मान्यता प्राप्त काल है-

  1. 2800 ई०पू०-2000 ई०पू०
  2. 2500 ई०पू०-1750 ई०पू०
  3. 3500 ई०पू०-1800 ई०पू०
  4. निश्चित नहीं हो सका है

उत्तर- (B)

व्या

ख्या :– रेडियोकार्बन C^14 जैसी नवीन विश्लेषण-पद्धति के द्वारा सिन्धु सभ्यता का सर्वमान्य तिथि 2500 इसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व मानी गयी है।

53. सिंधु घाटी की सभ्यता निम्नलिखित में से किस सभ्यता के समकालीन नहीं थी?

  1. मिस्र की सभ्यता
  2. चीन की सभ्यता
  3. मेसोपोटामिया की सभ्यता
  4. ग्रीक की सभ्यता

उत्तर- (B)

व्याख्या :- सिन्धु घाटी की सभ्यता, मिस्त्र , मेसोपोटामिया एवं क्रीट सभ्यता की समकालीन थी। क्षेत्रफ़ल की दृष्टि से यह भाग मिस्त्र, मेसोपोटामिया एवं क्रीट की अपेक्षा कहीं अधिक विस्तृत था। समकालीन विश्व की कोई अन्य सभ्यता सिन्धु सभ्यता से विस्तृत नहीं थी।

54. सिंधु घाटी की सभ्यता कहाँ तक विस्तृत थी?

  1. पंजाब, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर
  2. राजस्थान, बिहार, बंगाल और उड़ीसा
  3. पंजाब, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, सिंध और बलुचिस्तान
  4. पंजाब, राजस्थान, गुजरात, उड़ीसा और बंगाल

उत्तर- (C)

55. सिंधु घाटी की सभ्यता में घोड़े के अवशेष कहाँ मिले हैं ?

  1. सुरकोटड़ा
  2. वणावली
  3. मांडा
  4. राखीगढ़ी

उत्तर- (A)

56. सिंधु घाटी स्थल कालीबंगन किस प्रदेश में है?
[SSC Mat. 1999, 2002]

  1. राजस्थान में
  2. गुजरात में
  3. मध्य प्रदेश में
  4. उत्तर प्रदेश में

उत्तर- (A)

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57. निम्नलिखित में से कौन-सी फसल हड़प्पाकालीन लोगों का मुख्य खाद्यान्न नहीं था?

  1. जौ
  2. दालें
  3. चावल
  4. गेहूँ

उत्तर- (C)

व्याख्या :- गेहूँ और जौ सिंधु सभ्यता के लोगों के मुख्य खाद्यान थे। इस सभ्यता के लोगों को गेहूँ एवं जौ के अतिरिक्त कपास, खजूर, तरबूज, मटर, राई, सरसों और तिल जैसी फसलों का भी ज्ञान था।  बनावली से अच्छी किस्म का जौ प्राप्त हुआ है। लोथल से आटा पीसने की पत्थर की चक्की के दो पाट मिले हैं।

58. कथन (A) ; हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ों अब विलुप्त हो गए हैं।
कारण (R) : वे उत्खनन के दौरान प्रकट हुए थे।
[UPPCS 2009]

  1. A और R दोनों सही हैं तथा R, A का सही स्पष्टीकरण है
  2. A और R दोनों सही हैं किन्तु R, A का सही स्पष्टीकरण नहीं है
  3. A सही है किन्तु R गलत है
  4. A गलत है किन्तु R सही है

उत्तर- (B)

व्याख्या :- वर्तमान में ये नगर मृतप्राय (विलुप्त) स्थिति में है। इस प्रकार कथन और कारण दोनों सही हैं। किंतु कारण, कथन की सही व्याख्या नहीं करता।

59. सिन्धु घाटी की सभ्यता के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए –

1. यह प्रमुखत: लौकिक सभ्यता थी तथा उसमें धार्मिक तत्व, यद्यपि उपस्थित था, वर्चस्वशाली नहीं था।
2. उस काल में भारत में कपास से वस्त्र बनाये जाते थे।
उपर्युक्त में से कौन से कथन सही हैं ?
[UPSC 2011]

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

उत्तर- 

व्याख्या :- यह प्रमुखत: लौकिक सभ्यता थी तथा उसमें धार्मिक तत्व, यद्यपि उपस्थित था, वर्चस्वशाली नहीं था। उस काल में भारत में कपास से वस्त्र बनाये जाते थे।

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60. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए :  [UPPCS (Pre) 2010]

सूची-I (हडप्पीय स्थल) सूची-II (स्थिति)
A. मांडा1. राजस्थान
B. दायमाबाद2. हरियाणा
C. कालीबंगा3. जम्मू-कश्मीर
D. राखीगढ़ी4. महाराष्ट्र

 

  1. A—1, B—2, C—3, D—4
  2. A—2, B—3, C—4, D—1
  3. A—3, B—4, C—1, D—2
  4. A—4, B—1, C—2, D—3

उत्तर- 

व्याख्या :- मांडा – मांडा चेनाब नदी के किनारे स्थित था। दायमाबाद -दैमाबाद गोदावरी नदी की सहायक प्रवरा नदी के तट पर स्थित एक निर्जन गाँव तथा पुरातत्व स्थल है, जो कि भारत के महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर ज़िले में है। कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थल है। यहां हड़प्पा सभ्यता के बहुत दिलचस्प और महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं। राखीगढ़ी – हरियाणा

61. हड़प्पाकालीन स्थलों में अभी तक किस धातु की प्राप्ति नहीं हुई है ?  [CgPSC(Pre), 2012]

  1. तांबा
  2. स्वर्ण
  3. चांदी
  4. लोहा

उत्तर- D

व्याख्या :- हड़प्पा सभ्यता एक कांस्ययुगीन सभ्यता थी। यहां से तांबा, कांसा, स्वर्ण और चांदी आदि धातुएं तो मिली हैं परंतु लोहे की प्राप्ति नहीं हुई है। वस्तुत: हड़प्पाकालीन लोग लोहे से परिचित नहीं थे। भारत में लौह युग का प्रारंभ उत्तर वैदिक काल (लगभग 1000 ई.पू.) से माना जाता है।

62. चन्हुदड़ो के उत्खनन का निर्देशन किया था –
[UPPCS, 2015]

  1. जे. एच. मैके ने
  2. सर जॉन मार्शल ने
  3. आर. ई. एम. व्हीलर ने
  4. सर ऑरेल स्टीन ने

उत्तर- (A)

व्याख्या :- चन्हुदड़ो की पहली बार खुदाई मार्च 1930 में एन॰जी॰ मजुमदार ने करवाई और उसके बाद 1935-36 में अमेरीकी स्कूल ऑफ़ इंडिक एंड इरानियन तथा म्यूज़ियम ऑफ़ फाइन आर्ट्स, बोस्टन के दल ने अर्नेस्ट जॉन हेनरी मैके के नेतृत्व में करवाई।

63. निम्नलिखित में से कौन-सा एक हड़प्पा स्थल नहीं है?
[UPSC CS 2019]

  1. चन्हुदड़ो
  2. कोटदिजी
  3. सोहगौरा
  4. देसलपुर

उत्तर- (C)

व्याख्या :- सहगौरा उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश के वर्तमान गोरखपुर जिले में अवस्थित है। यहाँ पाए गए अभिलेख चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल के है। साहगौरा अभिलेख में सूखे से पीड़ित प्रजा को राहत देने की बात कही गई है।

64. सिन्धु घाटी (हड़प्पा) के लिए मेसोपोटामिया रिकार्दोंन में निम्नलिखित में से किस शब्द का प्रयोग किया गया था ?
[NDA, 2017]

  1. दिलमुन
  2. मेलुहा
  3. मेगन
  4. फैलका

उत्तर- (B)

व्याख्या:- हड़प्पा सभ्यता में मेसोपोटामिया को ‘मेलुहा’ कहा गया है।

65. निम्नलिखित में से किस पदार्थ का उपयोग हड़प्पा काल की मुद्राओं के निर्माण में मुख्य रूप से किया गया था?
[SSC Mat. 2000, 2002; NET/JRF 2016]

  1. कांसा
  2. सेलखड़ी (steatite)
  3. ताँवा
  4. लोहा

उत्तर- (B)

66. हड़प्पा सभ्यता किस युग की थी ? [SSC Mat. 2001]

  1. कांस्य युग
  2. नवपाषाण युग
  3. पुरापाषाण युग
  4. लौह युग

उत्तर- (A)

67. सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या था? [SSC Mat. 2001]

  1. व्यापार
  2. पशुपालन
  3. शिकार
  4. कृषि

उत्तर- (A)

व्याख्या :- इस सभ्यता में किसानों और व्यापारियों का प्रभुत्व था जिसके कारण इस सभ्यता को कृषि-वाणिज्यिक सभ्यता के रूप में जाना जाता है। हड़प्पा सभ्यता में अनेक फसक की खेती होती थी,जिसमें गेहूं और जौ प्रमुख थे। चावल का प्रयोग हड़प्पा काल में सिमित मात्रा में होती थी। रंगपुर और लोथल से चावल के प्रमाण मिले हैं। हड़प्पा वासी मेसोपोटामिया में व्यापार करते थे। चांदी का प्रयोग भारत में प्रथम बार हड़प्पा वासी द्वारा किया गया।

68. हड़प्पा सभ्यता के निवासी थे
[SSC Mat. 2001]

  1. ग्रामीण
  2. जनजातीय
  3. शहरी
  4. यायावर / खानाबदोश

उत्तर- (C)

व्याख्या :- हड़प्पा शहरी सभ्यता थी।  भारत का प्रथम नगरीकरण हड़प्पा सभ्यता द्वारा शुरू किया गया। भारत में द्वितीय शहरीकरण गंगाधारी में छठी शताब्दी ई. पू. में हुआ। वैदिक सभ्यता ग्रामीण सभ्यता थी। हड़प्पा अर्थव्यवस्था, कृषि अधिशेष, पशुपालन, उन्नत हस्तशिल्प तथा समृद्ध आंतरिक तथा बाध्य व्यापार पर आधारित थी।

69. सिंधु सभ्यता के घर किससे बनाए जाते थे ?
[SSC Mat. 2001; RRB गोरखपुर Tech. 2004]

  1. ईंट से
  2. बांस से
  3. पत्थर से
  4. लकड़ी से

उत्तर- (A)

व्याख्या :- सिन्धु घाटी के घर मुख्यत: ईंट से बनाए जाते थे। लकड़ी का भी प्रयोग घर बनाने के लिए किया जाता था। ईंट-धुप में सुखाया हुआ आग के द्वरा पकाया प्रयोग में लाया जाता था।
ईंटों का अनुपात 4:2:1 था। ईंट का प्रयोग अनेक आकार का करते थे।

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70. हड़प्पावासी किस वस्तु के उत्पादन में सर्वप्रथम थे?
[SSC Mat. 2001; RRB त्रिवेंद्रम Tech. 2004]

  1. मुद्राएँ
  2. कांसे के औजार
  3. कपास
  4. जौ

उत्तर- (C)

व्याख्या :- कपास की खेती सर्वप्रथम हड़प्पा वासी द्वारा शुरू किया गया। हड़प्पावासी कपास के उत्पादन में सर्वप्रथम थे।

71. सिंधु सभ्यता का सर्वाधिक उपयुक्त नाम क्या है?

  1. हड़प्पा सभ्यता
  2. सिंधु सभ्यता
  3. सिंधु घाटी सभ्यता
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (A)

व्याख्या :- सिंधु सभ्यता का सर्वाधिक उपयुक्त नाम हड़प्पा सभ्यता माना गया है। इस सभ्यता के लिए साधारणत: तीन नामों का प्रयोग होता है -‘सिन्धु सभ्यता’, ‘सिन्धु घाटी की सभ्यता’ और हड़प्पा सभ्यता।

72. निम्न में से कौन से लक्षण सभ्यता के लोगों का सही चित्रण करता हैं-

1. उनके विशाल महल और मन्दिर होते थे
2. वे देवियों और देवताओं दोनों की पूजा करते थे l
3. वे युद्ध में घोड़ों द्वारा खींचे जानेवाले रथों का प्रयोग करते थे

नीचे दिए गये कूट का प्रयोग कर सही कथन को चुनिए

  1. 2
  2. 1,2
  3. 1,2,3
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर- (A)

व्याख्या :- देवी माता या मातृ देवी की पूजा सिन्धु घाटी सभ्यता का एक विशिष्ट लक्षण था। पुरातात्विक साक्ष्यों से प्राप्त मातृदेवी की मृणमूर्तियों से इस बात का ज्ञान होता है

73. हड़प्पा सभ्यता की खोज किस वर्ष में हुई थी ?
[SSC Grad 2004]

  1. 1935 ई०
  2. 1942 ई०
  3. 1901 ई०
  4. 1921 ई०

उत्तर- (D)

व्याख्या :- हड़प्पा सभ्यता की सर्वप्रथम खोज 1921 ई0 सन में दयाराम साहनी और माधव स्वरूप वत्स द्वारा किया गया। हड़प्पा सभ्यता की खोज प्रथम स्थली हड़प्पा है, जो मोंटगोमरी जिला के पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान में) राज्य में अवस्थित है।

74. ड़प्पा सभ्यता के बारे में कौन-सी उक्ति सही है ?
[SSC Grad 1999]

  1. उनकी संस्कृति सामान्यतः स्थिर नहीं थी।
  2. गाय उनके लिए पवित्र थी
  3. उन्हें अश्वमेध का जानकारी थी
  4. उन्होंने पशुपति का सम्मान करना आरंभ किया

उत्तर- (D)

75. हड़प्पा के लोगों की सामाजिक पद्धति…… थी
[SSC Grad 1999]

  1. दास-श्रमिक आधारित
  2. उचित समतावादी
  3.  वर्ण आधारित
  4. जाति आधारित

उत्तर- (B)

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76. निम्नलिखित विद्वानों में से हड़प्पा सभ्यता का सर्वप्रथम खोजकर्ता कौन था ?
[SSC Mat. 1999]

  1. सर जॉन मार्शल
  2. दयाराम सहनी
  3. ए० कनिंघम
  4. आर० डी० बनर्जी

उत्तर- (B)

व्याख्या :- हड़प्पा सभ्यता की सर्वप्रथम खोज 1921 ई0 सन में दयाराम साहनी और माधव स्वरूप वत्स द्वारा किया गया। हड़प्पा सभ्यता की खोज प्रथम स्थली हड़प्पा है, जो मोंटगोमरी जिला के पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान में) राज्य में अवस्थित है। सर जॉन मार्शल के निर्देशन में हड़प्पा सभ्यता का उत्खनन कार्य शुरू हुआ।

77. सिंधु सभ्यता का पत्तननगर (बंदरगाह) कौन-सा था ?
[SSC Mat. 1999; RRB रांची TC 2005; UPPCS 1999; 53-55वीं BPSC 2010]

  1. कालीबंगन
  2. लोथल
  3. रोपड़
  4. मोहनजोदड़ो

उत्तर- (B)

व्याख्या :- लोथल हड़प्पा सभ्यता (सिन्धु घाटी सभ्यता) पत्तन नगर (बंदरगाह) है। जिसका क्षेत्रफल 214x36x3.3 मीटर है। देसपुर और सुर्कोतड़ा बंदरगाह भी हड़प्पा सभ्यता के थे।

78. पैमानों की खोज ने यह सिद्ध कर दिया है कि सिंधु घाटी के लोग माप और तौल से परिचित थे। यह खोज कहाँ पर हुई?
[SSC Mat. 1999, CDS 1998]

  1. कालीबंगन
  2. हड़प्पा
  3. चन्हुदडो
  4. लोथल

उत्तर- (D)

व्याख्या :- पैमानों की खोज से यह सिद्ध हो गया है की हड़प्पावासी नाम – तौल से परिचित थे। यह लोथल की खोज से प्रमाणित होता है। हड़प्पावासी सोलह से गुणीज का प्रयोग अधिक करते थे। रैखिक माप के जनक हड़प्पावासी थे, जिनकी हाथ की माप इकाई थी।

79. हड़प्पाकालीन समाज किन वर्गों में विभक्त था ?

  1. शिकारी, पुजारी, किसान और क्षत्रिय
  2. विद्वान, योद्धा, व्यापारी और श्रमिक
  3. ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र
  4. राजा, पुरोहित, सैनिक और शूद्र

उत्तर- (B)

व्याख्या :- हड़प्पाकालीन समाज विद्वान, योद्धा, व्यापारी और श्रमिक वर्गों में विभक्त था।

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