GSLV Mk3 Geosynchronous Satellite Launch Vehicle mark 3

GSLV Mk-III

GSLV-mk3 ( Geosynchronous Satellite Launch Vehicle mark 3 ) स्वदेशी रूप से विकसित एक क्रायोजनिक इंजन है। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के द्वारा निर्मित किया गया है

introduction

GSLV-mk3 ( रॉकेट ) स्वदेशी रूप से विकसित एक क्रायोजनिक इंजन है ।
इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के द्वारा निर्मित किया गया है ।
GSLV-mk3 एक लंच व्हीकल है जो जिओ स्टेशनरी ऑर्बिट में उपग्रहों और अंतरिक्ष यात्रियों को लंच करता है ।
GSLV-mk3 का पूरा नाम Geosynchronous Satellite Launch Vehicle mark 3 है।
GSLV full form – Geosynchronous Satellite Launch Vehicle mark 3

When was GSLV Mk3 launched?

Chandrayaan-2 को GSLV-mk3 लंच व्हीकल से चन्द्रमा पर लंच किया गया था।
GSLV-mk3 के निर्माण की प्रक्रिया 2000 ईο में प्रारम्भ हुआ, और इसका 18 दिसम्बर 2014 को सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया गया ।

Which is the most powerful rocket in ISRO? Which is the biggest rocket in India?

ISHRO का सबसे शक्तिशाली राकेट GSLV-mk3 है । इस की लम्बाई 43.43 मीटर और भर 640,000kg है।
इसकी छमता  धरती के निचले कक्षा में 8000kg का पेलोड ले जाने की है। GSLV-mk3 में 2 बुस्टर लगे होते है जिसे s-200 नाम दिया गया है इस बुस्टर में लगभग 207000kg ईंधन ले जाने की छमता है

GSLV-mk3 कैसे कार्य करता है

GSLV-mk3 ( रॉकेट ) में तीन स्तर के ईंधन भरे होते है।
और रॉकेट के ऊपरी भाग में  उपग्रह या पेलोड  रखे जाते हैं।
जैसे- जैसे उपर जाते है ये बूस्टर अलग हो जाते हैं।
फिर इसके बॉडी  पार्ट अलग हो जाते हैं,
और फाइनलि बचता है उपग्रह या पेलोड जो आपने निर्धारित स्थान तक पहुंच जाता है।

उपग्रह या पेलोड को आपने निर्धारित स्थान तक पहुंच की प्रकिया की  बात करे तो,
सबसे पहले पृथ्वी से राकेट को लांच किया जाता है।
फिर राकेट धरती से  ऊपर उठाया जाता है।
इस के बाद राकेट पृथ्वी के चोरो ओर चकर लगाना शुरू करता है।
राकेट को पृथ्वी के चाकर कटाने के साथ साथ उसे पृथ्वी से दुरी बढ़ा दी जाती है।
फाइनली दुर जाने के बाद ये आपने नर्धारित डेस्टिनेशन की और चला जाता है ।

GSLV Mk-III

Chandrayaan-2 के लिए GSLV-mk3 का कार्य 

Chandrayaan-2 को जब चन्द्रमा की ओर भेजा जायेगा तो यह पृथ्वी से चलकर चंद्रमा की कक्षा में पहुँचता है ।
चंद्रमा की कक्षा में पहुँचने के बाद या राकेट चन्द्रमा की चकर लगाना शुरू करेगा और धीरे- धीरे
चन्द्रमा के नजदीक आते जायेगा।

जब यह चंद्रमा के अर्विट मे पहुच जायेगा तब  chandrayaan-2 से Orbitar को बहार निकल देगा ।
Orbiter जो की चंद्रमा के चोरो तरफ घुम कर चन्द्रमा से संबंध मे जनकारी इकट्ठा करता रहेगा।
और ISHRO को भेजता रहेगा ।

जब यह चन्द्रमा से लगभग 100 km के दुरी पर ये स्टेबल हो जायेगा।
उसके बाद इस उपग्रह से एक लेंडर निकलेगा जो की जाकर चंद्रमा की सतह पर लैण्ड करेगा।
इसका नाम दिया गया है ( विक्रम  ) और इससे पहले जो लैंडर होते थे वे भारत के द्वारा विकसित किये गये थे वे झटके वाले थे। इस बार सॉफ्ट लेटर का प्रयोग किया गया है।

जो बड़े ही आसानी से चंद्रमा पर उतरेगा और किसी प्रकार का झटका नही देगा।
ये विक्रम नाम भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम सारा भाई के नाम दिया गया है 

chandrayaan – 2 के तीन भाग है। एक जो अर्बिट मे चकर लगायेंगे।
दुसरा विक्रम लेडर जो चंद्रमा के सतह पर उतरेगा उतरने के बाद ये जो सूचनाये देगा उसको प्रकाशित करेगा।
तीसरा
भाग है प्रज्ञान जो लैंडर विक्रम से बहार निक कर चन्द्रमा के सतह पर घूम घूम कर डाटा एकत्रित करेगा । 

 

GSLV mk3 का उद्देश्य क्या है?

GSLV mk3 का उद्देश्य भारत को लंच व्हीकल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है।
ताकि भारत अपना सेटेलाइट अपने द्वारा बनाये गए राकेट से अंतरिक्ष में छोड़ सके ।

 

How many times did GSLV fail?

2021 तक GSLV रॉकेट परिवार को 14 बार लंच किया गया है । जिस में से 8 लंच सफल रहा और 6 लंच विफल हो गया । इन सभी को सतीश धवन के सिरिहारी कोटा लंच पैड से लंच किया गया है ।

जीएसएलवी में किस ईंधन का उपयोग किया जाता है?

GSLV-mk3 ( रॉकेट ) स्वदेशी रूप से विकसित एक क्रायोजनिक इंजन है । इसी कारन इस के ईंधन के रूप में लिक्विड नाइट्रोजन और ओक्सिजन का उपयोग होता है ?

Why was GSLV mk3 renamed?

GSLV-mk3 एक लंच व्हीकल है जो जिओ स्टेशनरी ऑर्बिट में उपग्रहों और अंतरिक्ष यात्रियों को लंच करता है । यानि की यह उपग्रहों और अंतरिक्ष यात्रियों को लो अर्थ ऑर्बिट( जिओ स्टेशनरी ऑर्बिट ) तक ही पहुंचाता है इसी कारण GSLV-mk3 का नाम बदल कर इसरो ने LVM कर दिया ।

GSLV vs PSLV / GSLV तथा  PSLV

GSLV और PSLV में मुख्य अन्तर निम्लिखित है

  • GSLV PSLV की अपेक्ष अधिक भर का पेलोड कैरी कर सकता है।
  • PSLV में 4 बस्टर लगे होते है, जबकि  GSLV में 6 बस्टर लगे होते है ।
  • GSLV क्रायोजेनिक ईंधन का उपयोग करता है जबकि PSLV नहीं करता है ।
  • PSLV के 4 चरण हैं जबकि GSLV के 3 चरण हैं।
  • GSLV: Geosynchronous Satellite Launch Vehicle, PSLV: Polar Satellite

  • Pslv से ध्रुवीय कक्षा वाले जबकि  gslv से भू-स्थिर कक्षा वाले उपग्रह प्रक्षेपित किये जाते हैं। Launch Vehicle

FAQ

Q1. जीएसएलवी का निर्माण किसने किया?

Answer-जीएसएलवी का निर्माण ISRO ने किया।

 

Q2. क्या जीएसएलवी फैटबॉय फेल हो गया था?

Answer- एसएलवी-एमके 3 का उपनाम ‘फैट बॉय‘ रखा गया था । जीएसएलवी फैटबॉय फैल नहीं हुआ बल्कि सफल रहा ।

 

Q3. GSLV का फूल फॉर्म क्या है ?

Answer- GSLV: Geosynchronous Satellite Launch Vehicle

 

Q4. PSLV का फूल फॉर्म क्या है ?

Answer- PSLV: Polar Satellite Launch Vehicle

 

Q7. क्या GSLV MK3 पुन: प्रयोज्य है?
Answer- हां, GSLV MK3 एक  पुन: प्रयोज्य राकेट है।

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