इस ब्लॉग में हमलोग समास के बारे में विस्तार से पढ़ने वाले हैं। समास किसे कहते हैं? समास की परिभाषा क्या है? समास के कितने भेद होते हैं? सभी भेदों को उनकी परिभाषा तथा उनके 10 – 10 उदहारण तथा उनके समास विग्रह के साथ विस्तार से पढ़ेंगे।
जब दो या दो से अधिक शब्दों के संगम से एक नया सब्द बनता है, इस शब्द के बनाने की प्रक्रिया को समास कहते है । साधारण भाषा में कहें तो दो या इस से अधिक शब्दों के मिलकर नए शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं, इस समास की विस्तार कहानी को । की आखिर समास क्या हैं ?
हिंदी व्याकरण के अनुसार समास दो शब्दों से बना है। एक है सम् और दूसरा है आस। सम् का अर्थ होता है संक्षिप्त, और आस का अर्थ होता है कथन या शब्द, अर्थात समास का अर्थ होगा संक्षिप्त कथन या शब्द। समास में दो या दो से अधिक शब्दों का संक्षिप्तीकरण किया जाता है।
समास किसे कहते हैं (Samas kise kahate hain)?
जब दो या दो से अधिक शब्दों के संगम से एक नया सब्द बनता है, इस शब्द के बनाने की प्रक्रिया को समास कहते है । साधारण भाषा में कहें तो दो या इस से अधिक शब्दों के मिलकर नए शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते हैं
समास दो शब्दों से मिल कर बना है, पहल सम् और दूसरा आस। सम् का अर्थ संक्षिप्त होता है , और आस का अर्थ कथन या शब्द होता है , अर्थात समास का अर्थ होगा संक्षिप्त कथन या शब्द। समास में दो या दो से अधिक शब्दों का संक्षिप्तीकरण किया जाता है।
- समास का अंग्रेजी Compound होता है ।
- “समास” एक संस्कृत शब्द है,
- यह हिन्दी व्याकरण का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है, जो नए शब्द के निर्माण और वाक्य के रचना में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- समास का अर्थ “समेत आस” या “एकत्र आसन्न” होता है ।
अर्थात समास वह विधि है जिसमें दो या दो से अधिक पदों को मिलाकर एक नये शब्द का निर्माण होता है, इसे दूसरी भाषा में कहें तो समास एक ऐसा विशेष वाक्य / शब्द रचना का रूप है जिसमें दो या दो से अधिक पद होते हैं, और इन पदों के मिलन से एक नया शब्द का निर्माण होता है।
समास की परिभाषा ( Samas ki paribhasha )
दो या दो से अधिक शब्द मिल कर एक नए सार्थक शब्द बनाने की प्रक्रिया समास कहलाती है। इस प्रक्रिया से बने नए शब्द, समस्त पद या सामासिक पद कहलाते हैं। समस्त पद समास के नियमो से बनता है। समास के रचना में प्रायः दो या इस से अधिक पद होते हैं, इस में पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उतर पद कहते हैं। इस में पदों की विभक्तियाँ लुप्त हो जाती हैं।
जैसे :- ‘राजा का पुत्र‘ मिल कर नए शब्द ‘राजपुत्र‘ बनाते हैं इस प्रक्रिया में ‘का’ विभक्ति का लोप हो गया है।
समास विग्रह किसे कहते हैं (samas vigrah kise kahate hain)
जब समास की प्रक्रिया द्वारा बने शब्द को अलग – अलग किया जाता हैं तो यह प्रक्रिया समास विग्रह कहा जाता हैं । समास की प्रक्रिया में दो या दो से अधिक शब्दों का संगम होता है । जबकि समास विग्रह में सामासिक शब्द की तोड़ कर अलग अलग किया जाता हैं।
नीलकमल का समास विग्रह है – ‘नीला है जो कमल’।
चौराहा का समास विग्रह है – ‘चार राहों का समूह’।
समास के प्रकार – समास के कितने भेद हैं?
ऐसे बात करे तो समास के बहुत से भेद होता हैं । परन्तु समास के मुख्यतः 6 भेद होते हैं । 1. अव्ययीभाव समास , 2. तत्पुरुष समास, 3. कर्मधारय समास, 4. द्विगु समास, 5. द्वन्द समास और 6. बहुव्रीहि समास। इन में इ कुछ समास के भी अलग अलग प्रकार होता हैं । इनको भी हमने समास चार्ट के माध्यम से विस्तार से बताया हैं ।
हिंदी में समास के छह भेद होते हैं।
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- द्वन्द समास
- बहुव्रीहि समास
NCERT के अनुसान समास के चार भेद होते हैं । 1. अव्ययीभाव समास , 2. तत्पुरुष समास, 3. द्वन्द समास और 4. बहुव्रीहि समास । परन्तु तत्पुरुष के दो उपभेद भी हैं कर्मधारय एवं द्विग। इस प्रकार सामान्य रूप से समास के छ: भेद हैं।
इस के आलाव तत्पुरुष समास के 7 भेद होते हैं। 1. द्वितीया तत्पुरुष, 2. तृतीया तत्पुरुष, 3. चतुर्थी तत्पुरुष,4. पञ्चमी तत्पुरुष, 5. षष्ठी तत्पुरुष, 6. सप्तमी तत्पुरुष, 7. नञ तत्पुरुष इन के अलावा भी तत्पुरुष समास के दो और भेद होते हैं जो ऊपर दिए गए हैं- ये हैं कर्मधारय एवं द्विग। दुगु समास के भी दो भेद होते है ये है, इतरेतर द्वन्द और समाहार द्वन्द । इसे आप चार्ट से अच्छी तरह से समझ सकते है ।
1. अव्ययीभाव समास ( Avyayibhav Samas )
यह समास का मुख्य प्रकार है। इस समास में अव्यय और भाव यानि संज्ञा होता है । इसी कारण इसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इस समास को इस उदाहरण यथार्थ (यथा + अर्थ) – जिसका अर्थ सत्य हो, सत्यरूप से समझना काफी आसान होगा ।
इस समास का प्रथम पद अव्यय तथा प्रधान हो । अव्ययी भाव समास को पहचानना बिलकुल आसान हैं। जब किसी समास का पहला पद अनु, आ, प्रति, भर, यथा, यावत आदि हो तब वह समास अव्ययीभाव समास होगा।
अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं? (Avyayibhav Samas kise kahate hain)
यह एक समास का प्रकार है जो अव्यय (indeclinable word) और भाव (noun) के मेल से बनता है। इसमें किसी अव्यय का विशेषणीय रूप में एक भाव होता है और इस प्रकार का समास विशेषत: हिंदी भाषा में पाया जाता है।
इस समास में अव्यय का अर्थ बदलने का कारण होता है, और वह भाव का विशेषणीय रूप धारण करता है। यह समास अधिकतर शास्त्रीय एवं शास्त्रीय भाषा में प्रयुक्त होता है।
उदाहरण:
- यथार्थ (यथा + अर्थ) – जिसका अर्थ सत्य हो, सत्यरूप
- प्रतिदिन (प्रति + दिन) – हर दिन
- युगलशील (युगल + शील) – संगी का स्वभाव
इस प्रकार के समास से वाक्य में सुंदरता और संक्षेप मिलता है और भाषा का प्रभावित और बोझिला रहता है।
अव्ययीभाव समास की परिभाषा (Avyayibhav samas ki paribhasha)
जिस समास का प्रथम पद अव्यय तथा प्रधान हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। अव्ययी भाव समास को पहचानना बिलकुल आसान हैं।
जब किसी समास का पहला पद अनु, आ, प्रति, भर, यथा, यावत आदि हो तब वह समास अव्ययीभाव समास होगा।
उदाहरण
- थाशक्ति – शक्ति के अनुसार
- यथासंभव -जैसा संभव हो
- आजन्म – जन्म से लेकर
- प्रतिदिन – प्रत्येक दिन
- यथामति – मति के अनुसार
- अनुरूप – रूप के योग्य
- भरपेट – पेट भर के
- प्रतिकूल – इच्छा के विरुद्ध
- हाथों हाथ – हाथ ही हाथ में
- यथासमय – समय के अनुसार
उदाहरण सहित समास विग्रह
निचे हम ने व्ययीभाव समास के 10 उदहारण उन के समास विग्रह के साथ दिया हैं ।
पूर्व पद | उत्तरपद | समस्त पद | समास विग्रह |
यथा + | शक्ति = | यथाशक्ति | शक्ति के अनुसार |
प्रति + | दिन = | प्रतिदिन | प्रत्येक दिन |
आ + | जन्म = | आजन्म | जन्म से लेकर |
यथा + | संभव = | यथासंभव | जैसा संभव हो |
अनु + | रूप = | अनुरूप | रूप के योग्य |
भर + | पेट = | भरपेट | पेट भर के |
प्रति + | कूल = | प्रतिकूल | इच्छा के विरुद्ध |
हाथ + | हाथ = | हाथों हाथ | हाथ ही हाथ में |
यथा + | मति = | यथामति | मति के अनुसार |
यथा + | समय = | यथासमय | समय के अनुसार |
2. तत्पुरुष समास (Tatpurush samas)
तत्पुरुष समास भी समास का मुख्य प्रकार है। यह विशेषण (adjective) या सर्वनाम (pronoun) का प्रधानाधिकारी पदार्थ से मिलने से बनता है। इस में समास का उत्तर पद प्रधान होता हैं । तथा तत्पुरुष समास में आने वाले कारक चिह्नों जैसे :- को, से, के लिए, से, का/के/की, में, पर आदि चिह्नों का लोप हो जाता है
इस समास में प्रथम पद संज्ञा या विशेषण होता है और लिंग-वचन का निर्धारण अंतिम या द्वितीय पद के अनुसार होता है।
तत्पुरुष समास के 9 भेद होते हैं। 1. द्वितीया तत्पुरुष, 2. तृतीया तत्पुरुष, 3. चतुर्थी तत्पुरुष,4. पञ्चमी तत्पुरुष, 5. षष्ठी तत्पुरुष, 6. सप्तमी तत्पुरुष, 7. नञ तत्पुरुष, 8. कर्मधारय एवं 10. द्विग समास ।
विभक्तियों के लोप के आधार पर तत्पुरुष समास को निम्नलिखित छः भागो में बाँटा गया है-1. कर्म तत्पुरुष समास , 2. करण तत्पुरुष समास 3. सम्प्रदान तत्पुरुष समास 4. अपादान तत्पुरुष समास 5. सम्बंध तत्पुरुष समास 6. अधिकरण तत्पुरुष समास
तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? (tatpurush samas kise kahate hain)
यह एक प्रकार का समास है जो एक विशेषण (adjective) या सर्वनाम (pronoun) का प्रधानाधिकारी पदार्थ से मिलने से बनता है। इसमें प्रधान पदार्थ का अर्थ विशेषणीय रूप में होता है। तत्पुरुष समास भाषा में संक्षेप और सुंदरता लाने के लिए प्रयुक्त होता है।
परिभाषा :– जिस समास का उत्तर पद प्रधान हो तथा दोनों पदों के बिच की विभक्ति का लोप हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। तत्पुरुष समास में आने वाले कारक चिह्नों जैसे :- को, से, के लिए, से, का/के/की, में, पर आदि चिह्नों का लोप हो जाता है।
इस समास में प्रथम पद संज्ञा या विशेषण होता है और लिंग-वचन का निर्धारण अंतिम या द्वितीय पद के अनुसार होता है।
जैसे:-
राजा का कुमार = राजकुमार
गंगा का जल = गंगा जल
रचना को करने वाला = रचनाकार
धर्म का ग्रन्थ = धर्म ग्रन्थ
ऊपर दिए गए सभी उदाहरणों के उत्तर पद जैसे – कुमार, जल, करने वाला, ग्रन्थ प्रधान पद हैं।
तत्पुरुष समास के उदहारण
- स्वर्गप्राप्त = स्वर्ग को प्राप्त
- राजा का कुमार = राजकुमार
- दिल तोड़ = दिल को तोड़ने वाला
- शरणागत = शरण को आया हुआ
- रचना को करने वाला = रचनाकार
- अकालपीड़ित = अकाल से पीड़ित
- तुलसीकृत = तुलसीदास द्वारा किया हुआ
- कष्टसाध्य = कष्ट से साध्य
- देशभक्ति = देश के लिए भक्ति
- घुड़साल = घोड़ों के लिए साल (भवन)
- सभामंडप = सभा के लिए मंडप
- गुणरहित = गुण से रहित
- धर्म का ग्रन्थ = धर्म ग्रन्थ
- जन्मान्ध = जन्म से अन्धा
- पापमुक्त = पाप से मुक्त
- राजसभा = राजा की सभा
- चर्मरोग = चर्म का रोग
- जलधारा = जल की धारा
- आत्मनिर्भर = स्वयं पर निर्भर
- कविराज = कवियों में राजा
- सिरदर्द = सिर में दर्द
- आपबीती = अपने पर बीती हुई
तत्पुरुष समास के भेद
विभक्तियों के लोप के आधार पर तत्पुरुष समास को निम्नलिखित छः भागो में बाँटा गया है-
- कर्म तत्पुरुष समास –
- करण तत्पुरुष समास –
- सम्प्रदान तत्पुरुष समास –
- अपादान तत्पुरुष समास –
- सम्बंध तत्पुरुष समास –
- अधिकरण तत्पुरुष समास –
कर्म तत्पुरुष समास
जिस तत्पुरुष समास में कर्म कारक की विभक्ति ‘को ‘ का लोप हुआ हो, उसे कर्म तत्पुरुष समास कहते हैं।
कर्म तत्पुरुष को द्वितीय तत्पुरुष भी कहते हैं।
कर्म तत्पुरुष समास के उदाहरण
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
कृष्णार्पण | कृष्ण को अर्पण |
गगनचुम्बी | गगन को चूमने वाला |
रथचालक | रथ को चलने वाला |
यशप्राप्त | यश को प्राप्त |
ग्रामगत | ग्राम को गया हुआ |
नेत्र सुखद | नेत्रों को सुखद |
चिड़ीमार | चिड़ी को मारने वाला |
कठफोड़ा | काठ को फ़ोड़नेवाला |
नरभक्षी | नरों का भोजन करने वाला |
करण तत्पुरुष समास
इस समास में करण कारक की विभक्ति ‘ से ‘, ‘ के द्वारा ‘ का लोप हो जाता हैं।
करण तत्पुरुष को तृतीया तत्पुरुष भी कहते हैं ।
करण तत्पुरुष समास के उदाहरण
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
करुणापूर्ण | करुणा से पूर्ण |
रेखांकित | रेखा के द्वारा अंकित |
मनचाहा | मन से चाहा |
सूररचित | सुर द्वारा रचित |
पददलित | पद से दलित |
शोकाकुल | शोक से आकुल |
प्रकाशयुक्त | प्रकाश से युक्त |
गुणयुक्त | गुण से युक्त |
मदमाता | मद से मत्त हुआ |
सम्प्रदान तत्पुरुष समास
इस समास में सम्प्रदान कारक की विभक्ति ‘ के लिए ‘ का लोप हो जाता हैं।
करण तत्पुरुष को चतुर्थ तत्पुरुष भी कहते हैं।
सम्प्रदान तत्पुरुष समास के उदाहरण
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
प्रयोगशाला | प्रयोग के लिए शाला |
रसोईघर | रसोई के लिए घर |
गोशाला | गौ के लिए शाला |
देवालय | देव के लिए आलय |
धर्मशाला | धर्म के लिए शाला |
विद्यालय | विद्या के लिए आलय |
देशभक्त | देश के लिए भक्ति |
हथकड़ी | हाथ के लिए कड़ी |
यज्ञशाला | यज्ञ के लिए शाला |
अपादान तत्पुरुष समास
इस समास में अपादान कारक (से अलग होने के अर्थ में) की विभक्ति ‘ से ‘ का लोप हो जाता हैं।
आपदान तत्पुरुष को पंचमी तत्पुरुष भी कहते हैं।
अपादान तत्पुरुष समास के उदाहरण
समस्त पद | विग्रह |
जलहीन | जल से हीन |
पापमुक्त | पाप से मुक्त |
गुणहीन | गन से हीन |
धनहीन | धन से हीन |
ऋणमुक्त | ऋण से मुक्त |
सेवानिवृत्त | सेवा से निवृत्त |
जलरिक्त | जल से रिक्त |
देशनिकाला | देश से निकाला हुआ |
पथभ्र्ष्ट | पथ से भ्र्ष्ट |
सम्बंध तत्पुरुष समास
इस समास में सम्बंध कारक की विभक्ति ‘ का ‘, ‘ के ‘, ‘ की ‘ का लोप हो जाता हैं।
सम्बन्ध तत्पुरुष को षष्ठी तत्पुरुष भी कहते हैं।
सम्बंध तत्पुरुष समास के उदाहरण
समस्त पद | विग्रह |
राजपुत्र | राजा का पुत्र |
देशरक्षा | देश की रक्षा |
गृहस्वामी | गृह का स्वामी |
विद्यासागर | विधा का सागर |
राजमाता | राजा की माता |
मंत्रिपरिषद | मंत्रियों की परिषद |
राष्ट्रपति | राष्ट्र का पति |
सेनापति | सेना का पति |
सेनाध्यक्ष | सेना का अध्यक्ष |
अधिकरण तत्पुरुष समास
इस समास में अधिकरण कारक की विभक्ति ‘ में ‘, ‘ पर ‘ का लोप हो जाता हैं।
अधिकरण तत्पुरुष को सप्तमी तत्पुरुष भी कहते हैं ।
अधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण
समस्त पद | विग्रह |
शोकमग्न | शोक में मग्न |
पुरुषोत्तम | पुरुषो में उत्तम |
आपबीती | आप पर बीती |
गृहप्रवेश | गृह में प्रवेश |
धर्मवीर | धर्म में वीर |
कलाश्रेष्ठ | कला में श्रेष्ठ |
घुड़सवार | घोड़े पर सवार |
नराधम | नरों में अधम |
लोकप्रिय | लोक में प्रिय |
नञ् समास
जिस सनस में पूर्वपद निषेधसूचक या नकारात्मक ( जैसे :- अ, अन्, अन, न, ना, गैर आदि ) हो उसे नञ् समास कहते हैं
जैसे- अधर्म शब्द न और धर्म के संयोग से बना होता है। इसी प्रकार अनावश्यक शब्द न और आवश्यक शब्द के मेल से बना है।
नञ् तत्पुरुष समास के उदाहरण
समस्त पद | विग्रह |
अज्ञान | न +ज्ञान |
अधर्म | न +धर्म |
अनाआवश्यक | न +आवश्यक |
नापसंद | न + पसंद |
अनुपयोगी | न +उपयोगी |
नास्तिक | न + आस्तिक |
अनिष्ट | न + इष्ट |
नालायक | न + लायक |
गैरवाजिब | न + वाजिब |
Note:- नया समास एक तत्पुरुष समास है।
तत्पुरुष समास के 10 उदाहरण
समस्त पद | विग्रह |
करुणापूर्ण | करुणा से पूर्ण |
शोकमग्न | शोक में मग्न |
रेखांकित | रेखा के द्वारा अंकित |
पुरुषोत्तम | पुरुषो में उत्तम |
यशप्राप्त | यश को प्राप्त |
रथचालक | रथ को चलने वाला |
धनहीन | धन से हीन |
ऋणमुक्त | ऋण से मुक्त |
सेवानिवृत्त | सेवा से निवृत्त |
गुणहीन | गुण से हीन |
3. बहुव्रीहि समास
“बहुव्रीहि समास” एक और प्रकार का समास है जो एक बहुवचनीय (polysemantic) शब्द से बनता है। इसमें दो या दो से अधिक पदों का मेल होता है और एक ऐसा नया शब्द बनता है जिसका अर्थ बहुवचन होता है, अर्थात वह शब्द एक से अधिक वस्तुओं को सूचित करता है।
उदाहरण के लिए:
- अश्वमेधी (अश्व + मेधा): जिसने अश्वमेधा यज्ञ किया हो, इसे “अश्वमेधी” कहा जाता है।
- सहस्रबाहु (सहस्र + बाहु): जिसके हजार बाहु (हजार हाथ) होते हैं, उसे “सहस्रबाहु” कहा जाता है।
इस प्रकार के समास से भाषा में संक्षेप, सुंदरता और भाषा की विविधता में वृद्धि होती है।
बहुब्रीहि समास किसे कहते हैं?
बहुव्रीहि समास की परिभाषा :– जिस समास के समस्त पदों में से कोई भी प्रधान नहीं हो तथा दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद का निर्माण करते हो उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं।
जैसे – ‘नीला है कंठ जिसका ‘= नीलकंठ, नीलकंठ का अर्थ शिव होता है।
इस उदहारण से साफ-साफ पता चल रहा है की कई सारा पद मिलकर एक नए पद का निर्माण कर रहे है तथा नया पद किसी तीसरे पद की ओर संकेत कर रहा है ।
बहुव्रीहि समास के उदाहरण
समस्त पद | विग्रह |
---|---|
लम्बोदर | लम्बा है उदार जिसका ( गणेश ) |
दशानन | दस है आनन् जिसके ( रावण ) |
चक्रपाणि | चक्र है पाणि में जिसके ( विष्णु ) |
महावीर | महान है वीर जो ( हनुमान ) |
चतर्भुज | चार है भुजाये जिसकी ( विष्णु ) |
पंकज | पंक में पैदा हो जो ( कमल ) |
अनहोनी | न होने वाली घटना ( कोई विशेष घटना ) |
पीताम्बर | पीत है अम्बर जिसका ( कृष्ण ) |
घनश्याम | गहन के सामान श्याम है जो ( कृष्ण ) |
विषधर | विष को धारण करने वाला ( सर्प ) |
4. कर्मधारय समास
“कर्मधारय समास” एक प्रकार का समास है जो दो या दो से अधिक पदों के मेल से बनता है, और इसमें एक पद का संबंध दूसरे पद से होता है, जिससे एक नया शब्द बनता है। इस समास में प्रधान पद अपने अर्थ को सीमित करके उपपद की क्रिया को सूचित करता है।
उदाहरण के लिए:
- गङ्गाजल (गङ्गा + जल): जिसका अर्थ है “गङ्गा का जल”। यहाँ, “जल” शब्द गङ्गा का विशेषण है और इस समास में “जल” की स्वभाव क्रिया को सूचित करता है।
- सूर्यकान्ति (सूर्य + कान्ति): जिसका अर्थ है “सूर्य की कांति”। यहाँ, “कान्ति” शब्द सूर्य की चमक को सूचित करता है।
कर्मधारय समास से वाक्य में संक्षेप, सुंदरता, और प्रभाव बनता है जो भाषा को अधिक प्रभावशाली बनाता है।
कर्मधारय समास किसे कहते हैं?
परिभाषा :– जिस समास का उत्तर प्रधान हो तथा पूर्वपद और उत्तर पद में उपमा – उपमेय या विशेषण-विशेष का सम्बन्ध हो उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
पहचान :- विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में है जो , के सामान इत्यादि आते है।
कर्मधारय समास के 10 उदाहरण
समस्त पद | विग्रह |
परमानन्द | परम है जो आनंद |
महादेव | महान है जो देव |
चरणकमल | कमल के सामान चरण |
कमलनयन | कमल के सामान नयन |
चन्द्रमुख | चंद्र के सामान मुख |
नीलकंठ | नीला है जो कंठ |
महापुरुष | महान है जो पुरुष |
प्राणप्रिया | प्राण के सामान प्रिय |
मृगनयन | मृग के सामान नयन |
क्रोधाग्नि | क्रोध रूपी अग्नि |
5.द्विगु समास
“द्विगु समास” एक प्रकार का समास है जो दो पदों के मेल से बनता है, और इसमें प्रधान पद अपने अर्थ को सीमित करके उपपद की क्रिया को सूचित करता है। इस समास में प्रधान पद दोनों पदों का सम्बन्ध बताता है, जिससे एक नया शब्द बनता है।
उदाहरण के लिए:
- अग्निमेध (अग्नि + मेध): जिसका अर्थ है “अग्नि की यज्ञ क्रिया”। यहाँ, “मेध” शब्द अग्नि के यज्ञ को सूचित करता है।
- सर्वज्ञ (सर्व + ज्ञ): जिसका अर्थ है “सभी ज्ञान को जानने वाला”। यहाँ, “ज्ञ” शब्द सभी ज्ञान को सूचित करता है।
द्विगु समास भी भाषा में संक्षेप, सुंदरता, और प्रभाव बनाने में मदद करता है।
परिभाषा:– जिस समास का पूर्वपद संख्या वाचक हो उसे द्विगु समास कहते हैं। द्विगु समास से समूह से समाहार का ज्ञान होता है
द्विगु समास के 10 उदाहरण
S.R | समस्त पद | विग्रह |
1 | सप्तसिंधु | सात सिन्धुवो का समूह |
2 | दोपहर | दो पहरो का समूह |
3 | तिरंगा | तीन रंगो का समूह |
4 | चौराहा | चार राहों का समूह |
5 | त्रिलोक | तीन लोको का समाहार |
6 | नवरात्र | नव रात्रियों का समूह |
7 | त्रिकोण | तीन कोणों का समाहार |
8 | दुपट्टा | दो पाट वाला. |
9 | पंचमढ़ी | पाँच मढ़ियों का समूह |
10 | सप्ताह | सात दिनों का समूह |
7. द्वंद्व समास
“द्वंद्व समास” एक प्रकार का समास है जो दोनों पदों का मेल करके एक नया शब्द बनाता है, जिसमें दोनों पदों का समानार्थिक अर्थ होता है। इस समास में प्रधान पद दोनों पदों का संबंध बताता है, और नया शब्द उन दोनों के सम्बंधित अर्थों का संक्षेप होता है।
उदाहरण के लिए:
- सुख-शान्ति (सुख + शान्ति): जिसका अर्थ है “शान्ति और सुख”। यहाँ, “सुख” और “शान्ति” दोनों ही शब्दों का समानार्थिक अर्थ होता है।
- राम-लक्ष्मण (राम + लक्ष्मण): जिसका अर्थ है “राम और लक्ष्मण”। यहाँ, “राम” और “लक्ष्मण” दोनों ही शब्दों का समानार्थिक अर्थ होता है।
द्वंद्व समास का उपयोग भाषा में सुंदरता और संक्षेप में किया जाता है, और इससे वाक्य को रोचक बनाने में मदद होती है।
द्वंद्व समास की परिभाषा :– जिस समास के दोनों पद प्रधान हो तथा इस के विग्रह करने पर ‘या‘, ‘और‘ ‘अथवा‘, ‘एवं‘ में से कोई भी लगत हो उसे द्वंद्व समास कहते हैं।
पहचान – दोनों पदों के बिच प्रायः योजक चिन्ह (-) लगा रहता है।
द्विगु समास के 10 उदाहरण
S.R | समस्त पद | विग्रह |
1 | माता – पिता | माता और पिता |
2 | नर – नारी | नौर और नारी |
3 | राजा – प्रजा | राजा और प्रजा |
4 | दाल – भात | दाल और भात |
5 | छल – कपट | छल और कपट |
6 | सुख – दुःख | सुख और दुःख |
7 | पाप – पुण्य | पाप और पुण्य |
8 | देश – विदेश | देश और विदेश |
9 | आगे – पीछे | आगे और पीछे |
10 | अपना – पराया | अपना और पराया |
समास पीडीऍफ़ डाउनलोड
यहाँ से आप समास के सभी भेद का पीडीऍफ़ download कर सकते है: Download PDF पर Click कर के समास का PDF Download करें-
समास MCQ: Objective Questions with Answer
निर्देश: नीचे कुछ सामासिक पद दिए गए है। प्रत्येक के लिए चार विकल्प दिए गए है। सही विकल्प का चयन करें।
1. ‘जन्म-मरण’ में कौन-सा समास है?
(a) द्वन्द्व
(b) द्विगु
(c) तत्पुरुष
(d) बहुब्रीहि
सही उत्तर- (a) द्वन्द्व
2. अष्टाध्यायी में कौन-सा समास है?
(a) द्विगु
(b) अव्ययीभाव
(c) बहुब्रीहि
(d) नञ्
सही उत्तर- (a) द्विगु
3. सबल कौन-सा समास है?
(a) अव्ययीभाव
(b) बहुव्रीहि
(c) कर्मधारय
(d) द्विगु
सही उत्तर- (b) बहुव्रीहि
4. नवग्रह कौन-सा समास है?
(a) द्विगु
(b) कर्मधारय
(c) तत्पुरुष
(d) बहुव्रीहि
सही उत्तर- (a) द्विगु
5. अव्ययीभाव समास में
(a) अंतिम पद प्रधान होता है
(b) प्रथम पद प्रधान होता है
(c) अन्य पद प्रधान होता है
(d) दोनों पद प्रधान होते हैं
सही उत्तर- (b) प्रथम पद प्रधान होता है
6. ‘कुसंग’ शब्द किस समास का उदाहरण है?
(a) बहुव्रीहि
(b) अव्ययीभाव
(c) कर्मधारय
(d) तत्पुरुष
सही उत्तर- (c) कर्मधारय
7. ‘सेनापति’ में कौन समास है
(a) द्वन्द्व
(b) तत्पुरुष
(c) बहुव्रीहि
(d) कर्मधारय
सही उत्तर- (b) तत्पुरुष
8. जन्मांध
(a) तत्पुरुष
(b) द्वन्द्व
(c) द्विगु
(d) कर्मघारय
सही उत्तर- (a) तत्पुरुष
9. ‘आजन्म’ में कौन-सा समास है?
(a) अव्ययीभाव
(b) कर्मधारय
(c) द्विगु
(d) इंद्र
सही उत्तर- (a) अव्ययीभाव
हिंदी समास MCQ प्रश्न उत्तर बोर्ड एग्जाम के लिए
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10. प्रतिमान
(a) तत्पुरुष
(b) कर्मधारय
(c) बहुब्रीहि
(d) अव्ययीभाव
सही उत्तर- (d) अव्ययीभाव
11. सदुपदेश’ शब्द किस समास का उदाहरण है ?
(a) बहुव्रीहि
(b) अव्ययीभाव
( c) कर्मधारय
(d) तत्पुरुष
सही उत्तर- ( c) कर्मधारय
12. तत्पुरुष समास है-
(a) शताब्दी
(b) चौमासा
(c) भाई-बहन
(d) पदप्राप्त
सही उत्तर- (d) पदप्राप्त
13. ‘पथभ्रष्ट’ में कौन-सा समास है?
(a) नञ्
(b) द्वंद्व
(c) द्विगु
(d) तत्पुरुष
सही उत्तर- (d) तत्पुरुष
14. तत्पुरुष समास का उदाहरण नहीं है:
(a) राजपुत्र
(b) पवनपुत्र
(c) वनवास
(d) चौराहा
सही उत्तर- (a) राजपुत्र
15. ‘गजानन’ किस समास का उदाहरण है ?
(a) बहुव्रीहि
(b) अव्ययीभाव
(c) कर्मधारय
(d) तत्पुरुष
सही उत्तर- (a) बहुव्रीहि
16. चरणकमल में प्रयुक्त समास है?
(a) बहुव्रीहि
(b) कर्मधारय
(c) तत्पुरुष
(d) इन्द्र
सही उत्तर- (b) कर्मधारय
17. अव्ययीभाव समास में पद प्रधान होता है:
(a) पूर्व
(b) उत्तर
(c) दोनों
(d) सभी
सही उत्तर- (a) पूर्व
18. द्वंद्व समास है
(a) दशानन
(b) प्रेमसागर
(c) दिन-रात
(d) प्रतिदिन
सही उत्तर- (c) दिन-रात
19. ‘जहाँ दोनों पद प्रधान हो, यहाँ समास होगा :
(a) द्विगु
(b) कर्मधारय
(c) तत्पुरुष
(d) द्वंद्व
सही उत्तर- (d) द्वंद्व
20. कर्मधारय समास है:
(a) चतुर्भुज
(b) ऋषिपुत्र
(c) चन्द्रमुख
(d) वनवास
सही उत्तर- (c) चन्द्रमुख
FAQ- समास किसे कहते हैं?
Q1:- समास कितने प्रकार के होते हैं?
Answer:- हिंदी व्याकरण में समास मुखत: छह प्रकार के होते है।
Q2:- पंचवटी में कौन सा समास है?
Answer:- “पंचवटी” एक तत्पुरुष समास है जो एक विशेष जगह का नाम बताता है जिसमें पाँच वट वृक्ष स्थित हैं।
Q3:- दशानन का समास विग्रह होगा?
Answer:- दस है आनन् जिसके
Q4:- पीताम्बर का समास विग्रह क्या होता है?
Answer:- पित है अम्बर जिसके “पीताम्बर” शब्द का समास विग्रह है जिसमें “पीत” और “आम्बर” का मिलना दिखाया जा सकता है, और इससे पीले वस्त्र से ढ़के हुए व्यक्ति को सूचित किया जा सकता है।
Q5:- आजन्म का समास विग्रह है-
Answer:- जन्म से लेकर आजन्म” शब्द का समास विग्रह है जिसमें “आ” नकारात्मक प्रत्यय के साथ “जन्म” का संबंध बताया जा सकता है, और इससे उस व्यक्ति को सूचित किया जा सकता है जो कभी भी जन्म नहीं लेता है।
Q6:- दशानन में कौन सा समास है?
Answer:- द्विगु समास
Q7:- नीलकमल में कौन सा समास है?
Answer:- नीला है जो कमल
Q8:- चौराहा में कौन सा समास है?
Answer:- द्विगु समास
Q9:- तिरंगा में कौन सा समास है?
Answer:- द्विगु समास
Q10:- त्रिवेणी में कौन सा समास है?
Answer:- द्विगु समास
Q11:- यथाशक्ति में कौन सा समास है?
Answer:- अव्ययीभाव समास
Q12:- प्रतिदिन में कौन सा समास है?
Answer:- अव्ययीभाव समास
Q13:- नीलकंठ का समास विग्रह होता है?
Answer:- नीला है कंठ जिसके “नीलकंठ” शब्द का समास विग्रह है जिसमें “नील” और “कंठ” का मिलना दिखाया जा सकता है, और इससे नीले रंग के गले को सूचित किया जा सकता है। “नीलकंठ” भगवान शिव का एक उपनाम है, जो उनके नीले गले के कारण प्रसिद्ध है।
Q14:- अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं?
Answer:- वैसा समास जिस का प्रथम पद अव्यय तथा प्रधान हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं।
Q15:- कर्मधारय समास किसे कहते हैं?
Answer- वैसा समास जिसका उत्तर प्रधान हो तथा पूर्वपद और उत्तर पद में उपमा – उपमेय या विशेषण-विशेष का सम्बन्ध हो वह कर्मधारय समास कहते हैं।